बुद्ध पूर्णिमा के दिन हो रहा है चंद्रग्रहण, भूलकर भी न करें ये काम

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख महीने की पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा मनाई जाती है। बौद्ध धर्म के लोग मानते हैं कि भगवान बुद्ध का जन्म इसी दिन हुआ था। वहीं हिन्दू धर्म में भगवान बुद्ध को विष्णु जी का नौवां अवतार माना गया है, इसीलिए दोनों ही धर्मों के लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ यह त्योहार बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।

वर्ष 2022 में बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। अतः इस बार भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध के साथ चंद्रदेव की पूजा भी की जाएगी।

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बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से जीवन में मौजूद कष्ट व दुःख ख़त्म हो जाते हैं। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है।

वहीं शास्त्रों के मुताबिक, बुद्ध पूर्णिमा के दिन सत्यविनायक व्रत रखना अत्यंत फलदायी होता है। इसका कारण यह है कि सत्यविनायक व्रत रखने से धर्मराज यमराज प्रसन्न होते हैं तथा व्रत करने वाले व्यक्ति के ऊपर से अकाल मृत्यु का ख़तरा टलता है इसीलिए इस दिन सफेद वस्तुएं जैसे कि चीनी, सफेद तिल, आटा, दूध, दही, खीर आदि दान करना शुभ माना जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा की तिथि व समय

दिनांक: 16 मई, 202

दिन: सोमवार

हिंदी महीना: वैशाख

पक्ष: शुक्ल पक्ष

तिथि: पूर्णिमा

पूर्णिमा तिथि आरंभ: 15 मई, 2022 को 12:47:23 से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 16 मई, 2022 को 09:45:15 तक

वैशाख पूर्णिमा का व्रत 16 मई, 2022 को रखा जाएगा तथा इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी।

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बुद्ध पूर्णिमा पूजन विधि एवं धार्मिक कार्य

बुद्ध और वैशाख पूर्णिमा की व्रत तथा पूजन विधि तथा अन्य पूर्णिमा के समान है ही है, लेकिन इस दिन किए जाने वाले कुछ धार्मिक कार्य हम आपको बता रहे हैं, जिन्हें लेकर मान्यता है कि इन्हें करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

  • बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि आपके घर के पास कोई नदी वगैरह नहीं है तो आप अपने घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर दिव्य स्नान कर सकते हैं। 
  • नहाने के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए, तांबे के कलश से सूर्य देव को देना चाहिए। 
  • इसके बाद व्रत संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करनी चाहिए। 
  • मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश तथा पकवान आदि दान करने से गोदान के बराबर फल मिलता है। 
  • इस दिन 5 या 7 ज़रूरतमंदों और ब्राह्मणों को शक्कर (चीनी) के साथ सफ़ेद तिल दान करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। 
  • इस दिन विशेष रूप से तिल के तेल का दीपक जलाना और तिलों का तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।  
  • यदि आप व्रत कर रहे हैं तो व्रत के दौरान सिर्फ़ एक समय ही भोजन करना चाहिए।

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वैशाख पूर्णिमा के दिन हो रहा है दो शुभ योगों का निर्माण

हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन दो शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, वरियान योग और परिघ योग। शास्त्रों के अनुसार वरियान योग के दौरान किए गए सभी मांगलिक कार्य जातक को सफलता प्रदान करते हैं। वहीं परिघ योग के दौरान शत्रु के ख़िलाफ़ किए गए सभी प्रकार के काम अवश्य सफल होते हैं।

वरियान योग आरंभ: 15 मई, 2022 को 09:48:30 से

वरियान योग समाप्त: 16 मई, 2022 को 06:16:50 तक

परिघ योग आरंभ: 16 मई, 2022 को 06:16:51 से

परिघ योग समाप्त: 17 मई, 2022 को 02:30:38 तक

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वैशाख या बुद्ध पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय

  • इस दिन चावल और मेवे से बनी खीर प्रसाद के रूप में वितरित करने से शांति व बल की प्राप्ति होती है तथा जीवन में संतुलन एवं समरसता का भाव विकसित होता है।
  • इस दिन मंदिर में धूप-अगरबत्ती तथा गाय के घी का दीपक जलाने से आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
  • इस दिन ग़रीब, ज़रूरतमंद व असमर्थ लोगों को ज़रूरत की वस्तुएं तथा सफ़ेद कपड़े दान करने से मानसिक शांति मिलती है।

राशि अनुसार दान-पुण्य के सुझाव

मेष: मेष राशि के जातक बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्यासे लोगों के लिए पेयजल की व्यवस्था घड़े, वाटर कूलर आदि के रूप में करें। इससे उनके सौभाग्य में वृद्धि होगी। 

वृषभ: वृषभ राशि के जाता इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को जूते, चप्पल, छाता आदि दान करें। इससे उन्हें अपने प्रयासों में शुभ फल मिलेंगे। 

मिथुन: मिथुन राशि के जातक इस दिन मौसमी फल जैसे कि तरबूज, आम, खरबूजा आदि दान करें। इससे उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होगी। 

कर्क: कर्क राशि के जातक इस दिन पथिकों/राहगीरों को छाता दान करें क्योंकि धर्म ग्रन्थों के अनुसार वैशाख महीने में छाया दान करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। 

सिंह: सिंह राशि के जातक इस दिन सत्तू दान करें और अगर सत्तू दान करना संभव न हो सके तो अनाज दान करें। इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 

कन्या: कन्या राशि के जातक इस दिन अनाथ आश्रम में जाकर पंखा, कूलर आदि दान करें। इससे उन्हें हमेशा शुभ फल प्राप्त होंगे। 

तुला: तुला राशि के जातक इस दिन छायादार वृक्ष लगाएं ताकि भविष्य में लोगों को छाया मिल सके। इससे उनका दुर्भाग्य दूर होगा। 

वृश्चिक: वृश्चिक राशि के जातक इस दिन किसी ब्राह्मण को बर्तन में तरबूज या खरबूजा रखकर दान दें, साथ ही दक्षिणा भी दें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।  

धनु: धनु राशि के जातक इस दिन मंदिर में भक्तजनों के लिए पेयजल की व्यवस्था करें। इससे उनके जीवन में शीतलता बनी रहेगी। 

मकर: मकर राशि के जातक इस दिन पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करें। इसके लिए आप मिट्टी का कोई बर्तन या कोई छोटा जलाशय बनवा सकते हैं। ऐसा करने से त्रिदेव प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। 

कुंभ: कुंभ राशि के जातक इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को सूती कपड़े दान करें। इससे आपकी राशि के स्वामी शनि देव प्रसन्न होंगे और आशीर्वाद देंगे। 

मीन: मीन राशि के जातक इस दिन तीरथ करने वाले यात्रियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करें। इससे उन्हें अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।

चंद्रग्रहण के दौरान बरतें ये सावधानियां

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण हो रहा है। हालांकि भारत में यह चंद्रग्रहण 16 मई, 2022 की सुबह 08 बजकर 59 मिनट से 10 बजकर 23 तक रहेगा इसलिए इसकी दृश्यता शून्य मानी जा रही है और इसलिए यहां इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। परंतु इसे एक बड़ी खगोलीय घटना के रूप में अवश्य देखा जाएगा, इसलिए इस दिन कुछ सावधानियां आपको बरतनी चाहिए, जो कि इस प्रकार हैं-

  • सूतक काल के अंत होने तक भगवान का मनन करें।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान की मूर्ति/प्रतिमा या फोटो न छुएं।
  • चंद्रग्रहण के दौरान अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करें।
  • चंद्र ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्” मंत्र का जाप करें।
  • सूतक काल के दौरान खाना-पीना, नाखून काटना, बाल काटना, ब्रश करना, कंघी करना, मल-मूत्र का त्याग करना, सोना आदि भी वर्जित होता है।
  • सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य न करें।
  • सूतक काल ख़त्म होने के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।
  • गर्भवती महिलाओं को सूतक काल के दौरान तेज़ धार वाली चीज़ें जैसे कि चाकू, कैंची, छुरी, सुई आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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