बृहस्पति मेष राशि में वक्री: किन राशियों की बढ़ेंगी मुश्किलें?

बृहस्पति मेष राशि में वक्री: देवताओं के गुरु बृहस्पति जिन्हें नवग्रह में सबसे अधिक शुभ माना जाता है वह 4 सितंबर 2023 को वक्री हो गए हैं और यह 4 सितंबर 2023 से लेकर 31 दिसंबर 2023 तक वक्री रहने वाले हैं। इस प्रकार, बृहस्पति ग्रह लगभग 118 दिनों के लिए वक्री रहेंगे। ज्योतिष में बृहस्पति शिक्षा, धन, विवाह, संतान, धर्म-कर्म, ज्ञान और सौभाग्य के कारक माने जाते हैं।

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ऐसे में, इतने महत्वपूर्ण ग्रह का वक्री होना सामान्यतौर पर अच्छा तो नहीं कहा जाएगा। ऐसी स्थिति में वह लोग जिनके लिए बृहस्पति सकारात्मक ग्रह है उन्हें कुछ न कुछ नुकसान हो सकता है। वहीं, जिनके लिए बृहस्पति विरुद्ध परिणाम देने का काम करते हैं, उन्हें बृहस्पति के वक्री होने से कुछ अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं। आपकी राशि के लिए बृहस्पति का वक्री होना कैसे परिणाम देगा इसकी चर्चा से पहले हम जान लेते हैं कि देश-दुनिया के लिए बृहस्पति का वक्री होना कैसे परिणाम दे सकता है?

बृहस्पति मेष राशि में वक्री का देश-दुनिया पर प्रभाव  

बृहस्पति धन के कारक ग्रह माने जाते हैं और वक्री होने के कारण देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। बैंक से जुड़े कुछ घोटाले भी सामने आ सकते हैं। देश-दुनिया के जाने-माने अर्थशास्त्री या बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति जिनका संबंध धर्म क्षेत्र से भी हो सकता है। ऐसे किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को कष्ट संभावित है। भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करें तो, बृहस्पति का वक्री होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल नहीं कहा जाएगा। विदेश के साथ आर्थिक समझौते अनुकूल परिणाम देने में पीछे रह सकते हैं। इस अवधि में लिया गया कोई आर्थिक निर्णय फायदे की वजह नुकसान पहुंचाने का काम कर सकता है। भारत में होने वाली कई देशों की बैठक भी भारतीय हित को पूरा करने में पीछे रह सकती है। आइए अब जान लेते हैं कि बृहस्पति के वक्री होने का आपकी राशि पर कैसा प्रभाव पड़ेगा। 

बृहस्पति मेष राशि में वक्री: 12 राशियों पर प्रभाव और उपाय

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में भाग्य और द्वादश भाव के स्वामी हैं और यह आपके पहले भाव में गोचर करते हुए वक्री हो रहे हैं। ऐसे में, आपको थोड़े से कमज़ोर परिणाम दे सकते हैं। बृहस्पति के वक्री होने से भाग्य का सपोर्ट तुलनात्मक रूप से कम मिल सकेगा यानी इस अवधि में आपको अपने कर्मों पर यकीन करना ज्यादा उचित होगा। हालांकि, खर्चों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है लेकिन विदेश आदि से जुड़े मामलों में कुछ कठिनाई भी देखने को मिल सकती है। इस अवधि में बड़े बुजुर्गों की समझ और मार्गदर्शन को अपेक्षाकृत अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता रहेगी।

उपाय: तामसिक भोजन से दूर रहें और चरित्र स्वच्छ रखें। साथ ही, गाय की सेवा करना भी शुभ रहेगा। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी हैं और यह आपके द्वादश भाव में वक्री हो रहे हैं क्योंकि द्वादश भाव में बृहस्पति का गोचर अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसी स्थिति में वक्री होने पर बृहस्पति आपको कुछ फायदे भी दिला सकते हैं। हालांकि, लाभ भाव का स्वामी वक्री हो रहा है, ऐसी स्थिति में आमदनी में कुछ कमी देखने को मिल सकती है, लेकिन व्यय स्थान पर वक्री होने के कारण खर्च भी कम होने से आर्थिक मामलों में आपको एवरेज लेवल के परिणाम मिल सकते हैं। भले ही कामों में और परिणामों में निरंतरता न रहे, लेकिन अप्रत्याशित रूप से बीच-बीच में काम भी बनेंगे और फायदे भी मिलेंगे। इस तरह से बृहस्पति के वक्री होने से आपको मिले-जुले परिणाम मिलने की संभावनाएं हैं। 

उपाय: साधु-संत, बड़े बुजुर्ग और गुरुजनों आदि की सेवा करना तथा पीपल की जड़ों पर जल चढ़ाना शुभ रहेगा। 

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मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में सप्तम तथा दशम भाव के स्वामी हैं। भले ही आपकी कुंडली में बृहस्पति बाधक ग्रह की भूमिका अदा करते हैं, लेकिन दो महत्वपूर्ण भावों के स्वामी का वक्री होना और वह भी लाभ भाव में वक्री होना आपके अनुकूल परिणामों में कुछ कमी देने का काम कर सकता है। जैसे कि आपके रोजमर्रा के कामों में कुछ व्यवधान के बाद सफलता मिल सकेगी। दांपत्य जीवन में छोटी-मोटी विसंगतिया पैदा हो सकती हैं, लेकिन ठीक भी हो जाएगी। इसी तरह कार्यक्षेत्र और सामाजिक मान-प्रतिष्ठा जैसे मामलों में भी कुछ परेशानियां आने के बाद कामों के संपन्न होने के योग बनेंगे। आमदनी की निरंतरता में थोड़ी सी कमी भी देखने को मिल सकती है। कहने का तात्पर्य यह है कि बृहस्पति का वक्री होना आपके लिए एक कमज़ोर बिंदु हो सकता है। 

उपाय: दाहिने हाथ में तांबे का कड़ा पहनना शुभ रहेगा। 

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी हैं और यह आपके कर्म स्थान पर वक्री हो रहे हैं क्योंकि दशम भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है। अतः इनके वक्री होने से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन भाग्य स्थान के स्वामी का वक्री होना भाग्य के सपोर्ट में कुछ कमी दे सकता है। अर्थात अब आपको अपेक्षाकृत अधिक मेहनत करने की जरूरत होगी। हालांकि, मेहनत के परिणाम आपको मिल जाएंगे। कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामले हो या फिर किसी भी तरीके के प्रतिस्पर्धात्मक कार्य उन तमाम मामलों में भी कुछ कठिनाइयों के बाद सफलता मिलती हुई देखी जाएगी। बृहस्पति के वक्री होने के कारण आपको सामाजिक मामलों में किसी भी तरीके का रिस्क नहीं लेना है अर्थात अपनी सामाजिक छवि को अच्छा बनाए रखने की लगातार कोशिश करनी होगी। साथ ही, स्वयं को अहंकारी होने से भी बचाना होगा। 

उपाय: मंदिर में बादाम चढ़ाना शुभ रहेगा। 

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में पंचम तथा आठवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके भाग्य स्थान पर वक्री हो रहे हैं। इस भाव में बृहस्पति का गोचर अच्छे परिणाम देने वाला कहा गया है। ऐसी स्थिति में बृहस्पति के वक्री होने से अच्छाइयों में कुछ हद तक कमी देखने को मिल सकती है। यदि आप विद्यार्थी हैं तो अच्छे परिणामों को प्राप्त करने के लिए आपको अपेक्षाकृत अधिक मेहनत की जरूरत होगी। प्रेम प्रसंग के मामले में भी कुछ विसंगतियां के बाद अनुकूल परिणाम मिल जाने चाहिए। यदि पिछले काफी समय से पेंडिंग पड़ा हुआ कोई काम इस समय चलने लगा था तो बृहस्पति के वक्री होने से वह काम फिर से धीमा पड़ सकता है क्योंकि भाग्य का सपोर्ट कम रहेगा। अतः तुलनात्मक रूप से मेहनत ज्यादा करनी पड़ सकती है। पिता से संबंधित मामलों में इस अवधि में अपेक्षाकृत गंभीरता से काम करने की आवश्यकता रहने वाली है। 

उपाय: शुद्ध और सात्विक रहते हुए नियमित रूप से मंदिर जाएं। 

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कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में चौथे तथा सातवें भाव का स्वामी है और वर्तमान में यह आपके आठवें भाव में वक्री हो रहा है। यद्यपि आठवें भाव में बृहस्पति का गोचर अच्छा नहीं माना जाता है यानी कि कमज़ोर परिणाम देने वाला माना जाता है। ऐसी स्थिति में बृहस्पति के वक्री होने से उन कमज़ोर परिणाम में कमी आएगी अर्थात परिणाम कुछ हद तक अच्छे भी मिल सकते हैं, लेकिन चौथे भाव के स्वामी का वक्री होना भूमि भवन, वाहन अर्थात गृहस्थी इत्यादि से संबंधित मामलों में कुछ कठिनाइयां देने का काम कर सकता है। इसी तरह दांपत्य संबंधी मामलों में और रोजगार के कामों में भी कुछ परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। हालांकि परेशानियों के बाद निदान भी मिल जाने की संभावना है। 

उपाय: सूखे हुए जटा वाले चार नारियल प्रत्येक शनिवार को बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ रहेगा। 

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और यह आपके सातवें भाव में वक्री हो रहे हैं। सातवें भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छा माना गया है। अतः बृहस्पति के वक्री होने से अच्छाइयों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है, विशेष रूप से  दैनिक रोजगार तथा दांपत्य जीवन से संबंधित मामले में। इन मामलों में कुछ कठिनाइयां देखने को मिल सकती हैं। हालांकि, छठे भाव के स्वामी का वक्री हो जाना पुराने विवादों को समाप्त करने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है, लेकिन नासमझी की स्थिति में पुराने विवाद उभर भी सकते हैं। अतः विवादों को शांत करने की कोशिश करके आप पुराने विवादों को शांत कर सकेंगे। इस समय आत्मविश्वास में थोड़ा सा उतार-चढ़ाव भी देखने को मिल सकता है। बेहतर होगा भाई बंधु और पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें। 

उपाय: महीने में कम से कम एक बार शिवजी का रुद्राभिषेक करें। 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं तथा यह आपके छठे भाव में वक्री हो रहे हैं। यद्यपि दूसरे भाव और पांचवें भाव के स्वामी का वक्री होना अच्छी बात नहीं है क्योंकि इससे आर्थिक, पारिवारिक और प्रेम संबंधी मामलों में कुछ परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। हालांकि, छठे भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है और ऐसी स्थिति में छठे भाव में वक्री होना रोग, ऋण, शत्रु से संबंधित मामलों में राहत देने का काम भी कर सकता है। बृहस्पति का मेष राशि में वक्री होना वृश्चिक राशि वालों को मिले-जुले परिणाम देने का काम कर सकता है। 

उपाय: प्रत्येक महीने के तीसरे गुरुवार को पुजारी को पीले फल व पीले कपड़ों का दान करें। 

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धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए बृहस्पति आपके राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके चौथे भाव के भी स्वामी हैं और यह आपके पांचवें भाव में वक्री हो रहे हैं। पांचवें भाव में बृहस्पति के गोचर को अच्छा माना जाता है अर्थात अच्छी स्थिति में बैठा हुआ बृहस्पति वक्री हो रहा है। स्वाभाविक है कि अच्छे परिणामों में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। विशेषकर विद्यार्थियों की शिक्षा पर इसका थोड़ा सा कमज़ोर प्रभाव पड़ सकता है। लव लाइफ में छोटी-मोटी विसंगतियां देखने को मिल सकती हैं। गृहस्थ जीवन भी कुछ हद तक उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है। साथ ही, स्वास्थ्य में भी छोटी-मोटी समस्याएं बनी रह सकती हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी कोई बड़ी परेशानी नहीं आएगी। ये परेशानियां जल्द ही ठीक हो जाएंगी। 

उपाय: बड़े बुजुर्गों, साधु संतों और गुरुजनों की सेवा करना शुभ रहेगा। इस अवधि में किसी से मुफ्त की कोई चीज स्वीकार नहीं करेंगे तो अच्छा रहेगा। 

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में तीसरे तथा द्वादश भाव के स्वामी हैं और यह आपके चौथे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए बहुत अच्छे ग्रह नहीं माने गए हैं। साथ ही, चौथे भाव में बृहस्पति का गोचर भी अच्छा नहीं माना गया है अर्थात दोनों ही मामलों में बृहस्पति आपका कोई फ़ेवर नहीं कर रहे थे। ऐसी स्थिति में बृहस्पति के वक्री हो जाने से आपको कोई बड़ी समस्या नहीं होगी, लेकिन इसके बावजूद भी यात्राओं, विदेश और घर-परिवार से जुड़े मामलों में बीच-बीच में कुछ कठिनाइयां देखने को मिल सकती हैं। कठिनाइयों के बाद लगातार किया गया प्रयास पहले जैसी ही उपलब्धियां दिलाता रहेगा। 

उपाय: सपेरे की मदद से सांप को दूध पिलाना शुभ रहेगा। 

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कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए बृहस्पति आपकी कुंडली में दूसरे और लाभ भाव के स्वामी हैं और यह आपके तीसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। यद्यपि बृहस्पति का तीसरे भाव में गोचर अच्छा नहीं माना गया है। ऐसी स्थिति में बृहस्पति के वक्री होने से आपको बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होगी, लेकिन लाभ भाव के स्वामी का वक्री होना आमदनी के रास्ते में कठिनाइयां आने का संकेत देता है। साथ ही, धन भाव के स्वामी का वक्री हो जाना धन की बचत करने में कठिनाइयां देने का काम कर सकता है। साथ ही, आपको अपने पड़ोस के लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की जरूरत होगी। भाई बंधुओं के साथ भी संबंधों को मेंटेन करना होगा, बाकी इस अवधि में कोई बड़ी समस्या नहीं आनी चाहिए। 

उपाय: तीसरे गुरुवार के दिन कन्याओं का पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना शुभ रहेगा। 

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए बृहस्पति आपके राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके कर्म भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति दूसरे भाव में गोचर करते हुए वक्री हो रहे हैं। इन तीनों ही स्थितियों में बृहस्पति आपका फेवर कर रहे थे और आपको यह अनुकूल परिणाम देना चाह रहे थे। वक्री होने के कारण इन मामलों में अनुकूलता में कमी देखने को मिल सकती है अर्थात आर्थिक मामलों में अब तुलनात्मक रूप से कुछ कठिनाइयां रह सकती हैं। कार्यक्षेत्र में भी कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य इत्यादि का भी इस अवधि में ख्याल रखना जरूरी होगा अर्थात बृहस्पति का वक्री होना मीन राशि वालों को कुछ हद तक कमज़ोर परिणाम देने का काम कर सकता है। 

उपाय: घर के आसपास यदि सड़क पर कोई गड्ढे हों तो उन्हें बंद करवाना शुभ रहेगा। साथ ही, अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य इत्यादि भी करते रहें।

हम उम्मीद करते हैं कि बृहस्पति के मेष राशि में वक्री होने से मिलने वाले परिणामों को जानने के बाद आप योजना बनाकर, सही आचार-व्यवहार अपनाकर और संयमित दिनचर्या के सहयोग से बेहतर परिणाम प्राप्त करने में सफल रहेंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मां भगवती आप पर कृपा बनाए रखें।

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