बजट 2019: बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हैं महिलाओं को ये ख़ास उम्मीदें

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को इस साल का बजट पेश करने जा रही है। यूँ तो सभी देशवासियों को इस बजट का बेसब्री से इंतजार है लेकिन जिन्हें सबसे ज्यादा इंतजार है वो हैं भारतीय महिलाएं। महिलाओं को इस बार के बजट से विशेष उम्मीदें इसलिए हैं क्योंकि इस बार बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री भी एक महिला हैं। लिहाजा सभी महिलाओं को ऐसी उम्मीद है की वित्त मंत्री इस बजट में देश की महिलाओं के लिए जरूर कुछ विशेष योजनाएँ लेकर आने वाली हैं। अब ये तो 5 जुलाई को ही साफ़ हो पायेगा कि आखिर इस बजट में महिलाओं के लिए कुछ है भी या नहीं।

बजट 2019 महिलाओं के लिए हो सकता है ख़ास

दूसरी बार केंद्र में चुनकर आने वाले मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल का पहला बजट पेश होने जा रहा है। चूँकि वित्त विभाग की कमान इस बार एक महिला के हाथों में है इसलिए महिलाओं की उम्मीदें इस बार बजट से कुछ ज्यादा ही हैं। सबसे पहले आपको बता दें की देश में 48 फीसदी घरेलू महिलाएं हैं जो अपना छोटा मोटा बिजनेस शुरू करना चाहती हैं। केंद्र सरकार ऐसी महिलाओं के लिए रोजगार और प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करवाती है। महिलाओं को दी जाने वाली इस सुविधा में पहले 40 करोड़ का आवंटन था जिसे घटाकर 5 करोड़ कर दिया गया है। उम्मीद है की इस वित्तीय वर्ष में इस आंकड़ा में कुछ और इजाफ़ा किया जा सकता है।

महिला सुरक्षा के लिए विशेष सुविधा

देश भर में महिला सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है जिसे दूर करने के लिए सरकार की तरफ से कदम तो उठाये गए हैं लेकिन वे कारगर कदम साबित नहीं हो पाए हैं। इस बार के बजट से ये उम्मीद की जा सकती है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजामात करे। इसके लिए खासतौर से सुरक्षा के मद्देनजर बसों में सीसीटीवी कैमरे और मोबाइल sos की सुविधा मुहैय्या कराई जा सकती है। इसके साथ ही साथ महिला पुलिस बलों की संख्या में भी इजाफ़ा किया जा सकता है।

मैटरनिटी लीव के साथ ही पैरेंटल लीव की भी सुविधा दी जा सकती है

बता दें की इस बजटीय सत्र से महिलाओं को इस बात भी विशेष उम्मीद है की जिस प्रकार से सरकार ने महिलाओं के माँ बनने के बाद उन्हें छह महीने की मैटरनिटी लीव प्रदान करने की सुविधा प्रदान की है उसी प्रकार से पैरेंटल लीव की भी सुविधा प्रदान करें। इसके तहत माँ बाप दोनों को बच्चों की परवरिश के लिए अवकाश दिया जाए। जैसा की आजकल कामकाजी माँ बाप अपने बच्चों की परवरिश पर ध्यान नहीं दे पाते हैं लेकिन यदि इस संबंध में कोई योजना या क़ानून आता है तो इससे बच्चों की परवरिश माँ बाप ठीक से कर पाने में सफल होंगे।

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