Bhaum Pradosh Vrat 2021: भौम प्रदोष व्रत कब? जानें इस दिन का पूजा मुहूर्त और महत्व

(Bhaum Pradosh Vrat 2021) भौम प्रदोष व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाले प्रदोष व्रत को कहा जाता है। क्योंकि यह व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है इसे इसलिए भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। माघ महीने का भौम प्रदोष व्रत 9 फरवरी मंगलवार यानि आज के दिन किया जाएगा। भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का विधान बताया गया है। माना जाता है इस दिन जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करता है उसे सभी प्रकार के कर्ज आदि से छुटकारा मिल जाता है।

माघ भौम प्रदोष 2021 मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 09 फरवरी दिन मंगलवार को तड़के 03 बज-कर 22 मिनट पर हो रहा है, जो उसी दिन देर रात 02 बज-कर 07 मिनट तक है। 

ऐसे में भौम प्रदोष 2021 09 फरवरी के दिन किया जाएगा।

भौम प्रदोष पूजा मुहूर्त

09 फरवरी शाम को 06 बज-कर 07 मिनट से लेकर 

रात 08 बज-कर 42 मिनट के बीच 

अवधि:  02 घंटे 35 मिनट 

प्रदोष व्रत पूजन विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद पूजा व्रत का संकल्प लें। 
  • इस दिन की पूजा में भगवान शिव और मां पार्वती की तस्वीर या प्रतिमा को एक साफ़ चौकी पर स्थापित करें। 
  • इसके बाद भगवान शिव को भांग, बेल पत्र, धतूरा, इत्यादि अर्पित करें। 
  • इसके बाद भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करें। 
  • इस दिन की पूजा के समय भगवान शिव के मंत्र का जाप करें और शिव पुराण और शिव चालीसा का जाप करें। 
  • भगवान शिव को चंदन लगाएं। 
  • अंत में भगवान शिव की आरती उतारें और भगवान शिव को भोग अवश्य अर्पित करें। 

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भौम प्रदोष व्रत का महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Mahatva)

भौम प्रदोष व्रत जो कोई भी इंसान सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ करता है उसे किसी भी तरह के आर्थिक संकट से छुटकारा प्राप्त होता है। फिर चाहे जीवन में आर्थिक तंगी की बात करें या फिर क़र्ज़ आदि की बात करें। भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का नियमित रूप से पालन करने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। 

इसके अलावा व्यक्ति के जीवन में संतान सुख, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा, और सुख समृद्धि आदि का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

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भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)

प्राचीन समय में एक गांव में तीन दोस्त रहते थे। इनमें से एक दोस्त राजकुमार पुत्र था, दूसरा ब्राह्मण पुत्र और तीसरा धनिक पुत्र था। इन तीन में से दो मित्रों राजकुमार और ब्राह्मण के पुत्र शादीशुदा थे और अपनी पत्नियों के साथ रह रहे थे। वहीं धनिक पुत्र का विवाह तो हो गया था लेकिन अभी उनका गौना होना बाकी था। ऐसे में एक दिन तीनों मित्र आपस में बैठकर अपनी पत्नियों की प्रशंसा कर रहे थे। इस दौरान ब्राह्मण ने कहा कि, जिस घर में स्त्रियां नहीं होती हैं उस घर में भूत अपना डेरा जमा लेते हैं। 

ऐसा सुनकर धनिक पुत्र ने तुरंत अपनी पत्नी को लाने का विचार कर लेता है। हालांकि धनिक पुत्र के माता पिता ने उन्हें समझाया कि, अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं। ऐसे में बहू बेटियों को घर से विदा नहीं करवाया जाता है। इसे अशुभ माना जाता है लेकिन, धनिक पुत्र ने एक भी बात नहीं मानी और वह अपनी पत्नी को विदा कराने अपने ससुराल पहुंच गया। 

ससुराल वालों ने भी उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। रास्ते में जब धनिक पुत्र और उनकी पत्नी अपने घर लौट रहे थे तो उनकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया जिससे बैल की दोनों टाँग टूट गई और दोनों पति पत्नी को भी चोट लग गई। हालांकि वह फिर भी रुके नहीं और चलते रहे। 

कुछ आगे जाने पर उनके रास्ते में डाकू आ गए। डाकू ने दोनों पति-पत्नी का सारा धन लूट लिया लेकिन फिर भी वह चलते रहे। घर पहुंचने पर धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। वेद को बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि, ‘इनके पास केवल तीन दिन बचे हैं। तीन दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी।’ इस सबकी खबर जब ब्राह्मण कुमार को मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंच गए। 

अपने मित्र की ऐसी हालत देखकर उसने उनके माता, पिता और पत्नी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। साथ ही उनसे धनिक पुत्र की पत्नी को वापिस उनके मायके भी छोड़ आने की सलाह दी। जिसके बाद उन तीनों ने नियमित रूप से प्रदोष व्रत का पालन किया और अपनी ग़लतियों की क्षमा याचना की जिसके फलस्वरूप धीरे-धीरे तनिक पुत्र की हालत भी ठीक होने लगी और उनकी धनसंपदा में भी बढ़ोतरी होने लगी।

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