जानें साल 2021 में कब है भौम प्रदोष और क्या है इसका महत्व

हिंदू धर्म में व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। जिस पर मनुष्य का अटूट विश्वास भी है।पौराणिक कथाओं के अनुसार यदि कोई जातक सच्चे मन से ईश्वर की उपासना कर उपवास करता है, तो उसे अवश्य जीवन में सुख-समृद्धि हासिल होती है और उन्हीं में से एक है प्रदोष व्रत। हिंदी पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर आने वाले प्रदोष व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। साल 2021 में कुल 24 प्रदोष व्रत तिथियां है, और जब ये व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं।  

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यह व्रत कर्ज और भूमि के संबंध में अच्छे फल प्रदान करता है। दरअसल मंगल ग्रह का एक अन्य नाम भौम भी है, जिसके कारण मंगलवार के दिन पड़ने वाली प्रदोष तिथि को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। साल का पहला भौम प्रदोष व्रत 26 जनवरी को होगा। साल 2021 में इन तिथियों पर होगा भौम प्रदोष व्रत।

          

       26 जनवरी, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 

       9 फरवरी, मंगलवार  – भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 

       22 जून, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) 

       2 नवंबर, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) 

       16 नवंबर, मंगलवार – भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)    

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि

भौम प्रदोष के दिन प्रात: काल उठकर स्नान करें, और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। उसके बाद भगवान शिव की आराधना करें। हाथ में जल और फूल लेकर भौम प्रदोष व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान शिव की पूजा अर्चना करें। दिन में एक वक्त फलाहार करें। उसके बाद भगवान शिव का दिन भर भजन-कीर्तन करें। शाम को फिर से स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनकर भौम प्रदोष व्रत की पूरे विधि-विधान से पूजा करें।

एक चौकी पर शिव जी की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें। फिर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन ग्रहण करें, और शिव की पूजा शुरू करें। सबसे पहले गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। उनको धतूरा, भांग, फल-फूल, अक्षत, गाय का दूध आदि चढ़ाएं। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप अवश्य करें। याद रहे कि शिव जी को सिंदूर या तुलसी पत्ता प्रिय नहीं है, इसलिए पूजा के वक्त इसका इस्तेमाल ना करें। भगवान शिव को भोग लगाने के बाद शिव चालीसा का पाठ करें । फिर भगवान भोले की आरती करें, और शिव जी से अपनी मनोकामना प्रकट करें। पूजा का समापन कर लोगों में प्रसाद वितरित करें। खुद भी प्रसाद ग्रहण कर फलहार करें। रात भर जागरण कर अगले दिन यानी कि चतुर्दशी की सुबह व्रत का पारण करें, और भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी करने का निवेदन करें।

भौम प्रदोष रोचक व्रत कथा

एक समय की बात है एक नगर में एक वृद्ध महिला और उसका बेटा रहा करते थे। वृद्ध महिला हर मंगलवार को पूरे विधि-विधान के साथ हनुमान जी की पूजा कर व्रत रखती थी। एक बार बजरंगबली ने सोचा कि क्यों ना इस वृद्ध महिला की परीक्षा ली जाए। बजरंगबली ने साधु का वेश धारण किया और वृद्ध महिला के घर के बाहर पहुंच गए, और बोले…है, कोई हनुमान भक्त जो मेरी इच्छा को पूरी कर सकें। आवाज जैसे ही वृद्ध महिला के कानों में पहुंची, वह भागती हुई आई और बोली बताएं महाराज आपकी क्या आज्ञा है। साधु ने कहा मैं भूखा हूं देवी, क्या तुम थोड़ी सी जमीन लीप सकती हो, ताकि मैं बैठकर भोजन कर सकूं। वृद्ध महिला दुविधा में पड़ गई, और हाथ जोड़कर बोली महाराज मिट्टी खोदने और लीपने के अलावा यदि आप कोई दूसरी आज्ञा दें, तो मैं जरूर पूरी कर दूंगी। साधु ने कहा, तुम अपने बेटे को बुला दो, मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बना लूंगा। यह सुनते ही वृद्ध महिला अत्यधिक घबरा गई परंतु वह साधु द्वारा प्रतिज्ञा ले चुकी थी।

इसलिए उसने अपने पुत्र को साधु के हवाले कर दिया। साधु ने वृद्ध महिला से कहा अपने बेटे को लेटा कर उसकी पीठ पर आग जला दो। वृद्ध महिला ने दुखी मन से यह सब किया और फिर अपने घर लौट गई, थोड़ी देर में भोजन तैयार हो गया। साधु ने वृद्ध महिला को फिर से पुकारा और कहा, की अपने बेटे को बुलाओ, ताकि वह भी आकर भोग लगा ले, इस पर वृद्ध महिला आश्चर्यचकित होकर बोली हे, साधु मुझे और अधिक कष्ट ना दीजिए। लेकिन साधु ने पुनः वही बात दोहराई, महिला ने पुत्र को आवाज लगाई और अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने जीवित देख, वो साधु के चरणों पर गिर गई, जिसके बाद हनुमान जी ने वृद्ध महिला से प्रसन्न होकर उसे अपने वास्तविक स्वरूप के दर्शन दिए।


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