भानु सप्तमी व्रत: सूर्य देव का सबसे प्रभावशाली व्रत, जानें पूजन विधि

हिन्दू धर्म में किये जाने वाले व्रत, पूजा और त्यौहार इंसान के जीवन में सुख-समृद्धि लाने के साथ-साथ  हमारे जीवन में शांति भी लेकर आते हैं। हालाँकि अगर हमारे मन में कोई सवाल अटका हो, जिसका हमें जवाब नहीं मिल पा रहा हो तो हमें शन्ति नहीं मिलती है। ऐसे में अगर आपके मन में भी कोई सवाल हैं जिसका आप ज्योतिषीय समाधान जानना चाहते हैं तो अभी हमारे जाने-माने ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें जीवन की समस्या के समाधान से लेकर सरल-सटीक उपाय बताने के लिए हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषी हमेशा आपकी सेवा में हाज़िर हैं

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सप्तमी तिथि के दिन यदि रविवार का दिन पड़ता है तो उस दिन को भानु सप्तमी कहते हैं इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन यानि, भानु सप्तमी के दिन सूर्य देवता पहली बार सात घोडे़ के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इस दिन को कई जगहों पर सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। यह व्रत स्त्रियों के लिए मोक्षदायिनी माना गया है।

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भानु सप्तमी शुभ मुहूर्त 

भानु सप्तमी 12-जुलाई 2020, रविवार

11 बजकर 58 मिनट 58 सेकंड से 12 बजकर 54 मिनट 17 सेकंड तक

भानु सप्तमी व्रत महत्व 

इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान बताया गया है। कहा जाता है कि जो कोई भी इंसान इस दिन पूरे मन और सच्ची आस्था के साथ भगवान सूर्य की पूजा करता है, उस व्यक्ति के जीवन से सभी दोष, दुःख और पाप दूर हो जाते हैं। (सूर्य ग्रह शांति, मंत्र एवम उपाय जानने के लिए, यहाँ क्लिक करें) इसके अलावा ऐसा व्यक्ति आरोग्य जीवन और आर्थिक मजबूती का वरदान भी प्राप्त कर लेता है। इसके अलावा अगर किसी इंसान को भूलने की बीमारी है तो, उसे भानु सप्तमी के दिन सूर्य को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे याददाश्त भी अच्छी होती है और हमारा मन भी एकाग्र रहता है।

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इस विधि से करें भानु सप्तमी के दिन पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना 

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि, हर पूजा-व्रत की एक निर्धारित विधि होती है और उसी विधिनुसार हमें पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइये बताते हैं कि भानु सप्तमी के दिन किस विधि से पूजा करनी चाहिए।

  • इस दिन भी सुबह सभी कामों से निवृत होकर स्नानादि करें और साफ़ कपड़े पहनें।
  • इसके बाद पूजा वाले स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ़ मुख कर के बैठ जायें।
  • इस दिन की पूजा में सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत्, लाल रंग के फूल, धूप, नैवेद्य अवश्य चढ़ाएं।
  • इसके बाद कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान की आरती करें।
  • इसके बाद तांबे के एक साफ़ लोटे में गंगाजल मिश्रित जल लें, उसमें अक्षत्, लाल फूल और लाल चंदन इत्यादि मिलाएं।
  • इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ओम सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें। 

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नोट: भानु सप्तमी के दिन हो सके तो, भोजन में नमक का इस्तेमाल न करें।

सूर्य देव का बीज मंत्र

भानु सप्तमी का सीधा संबंध सूर्य देव से जोड़कर देखा गया है इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा करते समय उनके बीज मंत्र ‘ ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ और ‘ ॐ सूर्याय नम:’ का जप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।

जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करना हो तो, इस दिन सूर्य को जल देने के बाद, नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें। 

”एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।”

भानु सप्तमी व्रत की महिमा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी इंसान भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव का ध्यान करते हुए यज्ञ करता है और मंत्रो का पाठ और दान-पुण्य करता है, ऐसे इंसान पर सूर्यदेव हमेशा अपनी कृपा बनाये रखते हैं। साथ ही सूर्यदेव की आराधना से निरोगी काया है और मन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है।

सूर्य सप्तमी/भानु सप्तमी की व्रत कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार युद्धिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा, ऐसा कौन सा व्रत है जिसे रखने से कलयुग में स्त्री को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है? इस सवाल के जवाब में भगवान कृष्ण ने उन्हें एक इंदुमती नामक वैश्या की कथा सुनाई। आप भी सुनिए वो कथा, 

“एक बार इंदुमती, ऋषि वशिष्ठ के पास जाकर बोली कि, मैंने आज तक कोई भी धार्मिक काम नहीं किया है। ऐसे में मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा? उसकी बात सुनकर ऋषि वशिष्ठ ने उससे कहा कि, मोक्ष प्राप्ति की चाह रखने वालों के लिए सूर्य सप्तमी/भानु सप्तमी से उत्तम कोई और व्रत है ही नहीं। आगे ऋषि वशिष्ठ ने इंदुमती से यह व्रत रखने की भी सलाह दी। ऋषि की बात मानकर इंदुमती ने विधिवत ढंग से भानु सप्तमी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उसे मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में स्थान मिला।”

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इस महीने का अगला व्रत/त्यौहार है श्रावण सोमवार है, जो 13 जुलाई 2020, सोमवार के दिन मनाया जायेगा। सावन सोमवार के बारे में अधिक जानने के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

हम आशा करते हैं कि भानु सप्तमी/सूर्य सप्तमी पर लिखा हमारा यह लेख आपके लिए सहायक साबित होगा। एस्ट्रोसेज का अभिन्न हिस्सा बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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