बंगाली नव वर्ष से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां

बंगाली नव वर्ष 2021 (Bengali New Year) से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां आज हम आपको अपने इस लेख में देंगे। भारत के पूर्वी राज्य बंगाल में नव वर्ष की शुरुआत 14-15 अप्रैल से माना जाती है, साल 2021 में बंगाली नव वर्ष 15 अप्रैल को मनाया जाएगा। बंगाल के साथ-साथ भारत के हर राज्य और पूरे विश्व भर में बंगाली लोगों द्वारा इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बंगाली लोग कई तरह के आयोजन करते हैं और एक दूसरे को बधाई संदेश भेजते हैं। 

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बंगाली नव वर्ष का इतिहास

माना जाता है कि बंगाली नव वर्ष की शुरुआत मुगल काल में अकबर बादशाह के कार्यकाल के दौरान हुई। अकबर के कार्यकाल के दौरान बंगाली लोगों से कर लिया जाता था। यह कर साल में एक बार इस्लामिक कैलेंडर जिसे हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है के मुताबिक लिया जाता था। हालांकि यह कैलेंडर चंद्रमा की गति यानि चंद्रमा काल के अनुसार था जबकि भारतीय फसल चक्र सूर्य की गति के अनुसार चलता था, इसलिए किसानों को असमान रूप से कर का भुगतान करना पड़ता था।

इसके बाद अकबर ने कर वसूल करने के लिए अपने ज्योतिर्विद फातुल्लाह शिराजी से सूर्य और चंद्र कैलेंडर की मदद से एक नया कैलेंडर बनाने को कहा ताकि कर का भुगतान करने में किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो। इस नये कैलेंडर को फोशाली शोन (फसली संवत्) नाम दिया गया। कुछ विद्वानों का मानना है कि इसी से बंगाली कैलेंडर की शुरुआत हुई। बंगाली नव वर्ष के पहले दिन को पोहिला बैशाख कहा जाता है यह बैशाख महीन का प्रथम दिन होता है।  

बंगाली नव वर्ष पर क्या करते हैं बंगाली लोग

बंगाल के लोगों के लिए बैशाख का महीना बहुत खास होता है। इस माह के पहले दिन से लेकर पूरे माह लोग कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। पोहिला वैशाख के मौके पर लोग अपने प्रियजनों को बधाई संदेशों के साथ करीबी लोगों से मुलाकात भी करते हैं। इसके साथ ही बंगाली लोगों द्वारा अपने घर की सफाई या नवीनीकरण का काम भी करवाया जाता है। यह दिन एक त्योहार की तरह होता है इसलिए लोग इस दिन नए वस्त्र धारण करते हैं और घर और मंदिरों में पूजा पाठ का आयोजन भी करते हैं। इस दिन घर में नए-नए भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। पोहिला बैशाख के बाद बंगाली समुदाय में विवाह का दौर भी शुरू हो जाता है, इसलिए भी इस दिन का खासा महत्व है। 

बंगाली नव वर्ष का महत्व 

बंगाल के लोगों के बीच बंगाली नव वर्ष का विशेष महत्व है। इस दिन लोग नए साल की शुरुआत बेहतरीन तरीके से करने की कोशिश करते हैं। कई लोग इस रोज कोलकाता के प्रसिद्ध कालीघाट मंदिर में जाकर मां काली– की पूजा करते हैं और नए साल के लिए माता का आशीर्वाद लेते हैं। यह दिन गिले शिकवों को भुलाने का भी होता है इसलिए इस दिन लोगों में सौहार्द बढ़ाने के लिए परिवार, मौहल्लों आदि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में नीचे बताया गया है। 

  • यह दिन पर्व की तरह मनाया जाता है, पारंपरिक परिधानों में सजधजकर इस दिन लोग गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। 
  • इस दिन बंगाली लोगों द्वारा माता काली के साथ-साथ देवी लक्ष्मी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। 
  • भारत के अन्य राज्यों की तरह बंगाल में भी इस दिन प्रकृति से अच्छी बरसात की कामना की जाती है और इसलिए भी पूजा की जाती है। 
  • व्यापारियों के बीच भी यह दिन काफी खास माना जाता है। इस दिन व्यापारी नये बही खाते की शुरुआत करते हैं। 
  • पोहिला बैशाख के दिन बंगाल के लोग अपने कर्जों को उतारकर नए साल की शुभ शुरुआत करने का प्रयास करते हैं। 

बंगाली नव वर्ष पर स्वादिष्ट पकवान

भारत के बंगाल राज्य के साथ-साथ पोहिला बैशाख के दिन भारत के पड़ोसी राज्य में भी इस दिन भोजन का आनंद लिया जाता है। बंगाली लोग इस दिन स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं। खाने में मांस, मछली और मिठाइयां मुख्य आकर्षण होती हैं। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों को अपने घर भोजन पर आमंत्रित भी करते हैं। इस दिन राज्य के होटलों में भी विशेष पकवान बनाए जाते हैं। वहीं बंगाल के कई शहरों और कस्बों में इस दिन फूड फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन बंगाली लोग सुबह के नाश्ते में प्याज, हिल्सा फिश और हरी मिर्च का सेवन करना पसंद करते हैं। 

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पोहिला बैशाख की तरह भारत के अन्य राज्यों में भी होती है हिंदू नए साल की शुरुआत

पोहिला बैशाख के रोज ही भारत के अन्य राज्यों में भी अलग-अलग नामों से इस दिन पर्व मनाए जाते हैं। अप्रैल के मध्य में बंगाली नव वर्ष के दिन ही तमिल नव वर्ष भी मनाया जाता है।  भारत के उत्तरी राज्य पंजाब में यह दिन बैशाखी के रूप में मनाया जाता है। वहीं तमिलनाडु और केरल में 13-14 अप्रैल को नये साल का आरंभ होता है और इसे विशु के नाम से भी जाना जाता है।

भारत के कुछ उत्तर-पूर्वी राज्यों में बंगाल के साथ-साथ इस दिन राज्य अवकाश होता है। इसके साथ ही भारत के अन्य राज्यों में भी मार्च-अप्रैल के बीच में भारतीय नव वर्ष की शुरुआत होती है।

बंगाली नव वर्ष के दिन इस तरह की जाती है पूजा

बंगाली लोगों के लिए नव वर्ष का दिन बहुत खास होता है इसलिए लोग इस दिन तड़के स्नान-ध्यान करने के पश्चात नए वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ दिन की शुरुआत की जाती है। दिन के समय लोग सामाजिक गतिविधियों में शामिल होते हैं।

शाम के वक्त लोग मंदिर जाते हैं या घर पर ही परिवार के सदस्यों के साथ पूजा का आयोजन करते हैं। शाम के वक्त बंगाली लोगों के द्वारा माता काली की पूजा भी की जाती है। भगवान की अराधना करके लोग नव वर्ष के लिए मंगल कामनाएं करते हैं। 

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