वरदान से कम नहीं है कोरोना काल में आयुर्वेद: जानिए महत्व

आयुर्वेद का अर्थ है जीवन से संबंधित ज्ञान। आयुर्वेद को भारतीय आयुर्विज्ञान कहा जाता है। आयुर्विज्ञान विज्ञान की शाखा को कहते हैं जिसका संबंध इंसान के शरीर को रोगों से मुक्त रखने या फिर रोग हो जाने पर रोक को खत्म या दूर करने या व्यक्ति की आयु बढ़ाने से जोड़कर देखा जाता है। आज के मॉडर्न समय में जहां हर एक इंसान पैसा कमाने के लिए भागदौड़ में लगा हुआ है, ऐसे में किसको कौन सी बीमारी कब अपनी चपेट में ले ले कहा नहीं जा सकता। अपने इर्द-गिर्द नजर उठाकर देखें तो 10 में से 6 लोग अपनी नियमित दिनचर्या में दवाइयों का सेवन करते मिल जाएंगे। अर्थात किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त कोई इंसान आपको मिल ही जाएगा। 

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ऐसे में इस समय के दौरान जहां हम कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं और इसके अलावा अन्य 10 तरह की बीमारियां हमारे इर्द-गिर्द फैली हुई हैं, ऐसे में आयुर्वेद को किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता। आयुर्वेद को जो बात अन्य प्रणाली से अलग बनाती है वो ये कि आयुर्वेद का कभी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, इसलिए आयुर्वेद को इलाज की एक ऐसी पद्धति का दर्जा दिया गया है जिसका कोई तोड़ नहीं है, क्योंकि इससे साइड इफेक्ट का खतरा नहीं होता। 

आज के समय में लोग आयुर्वेद को ज्यादा वरीयता देते हैं। इसके अलावा आयुर्वेद सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति भी मानी जाती है। कोरोना काल में लोगों को आयुर्वेद और उसकी चमत्कारी शक्तियों की ज्यादा जानकारी हुई। कहना गलत नहीं होगा कि, अब ज्यादा से ज्यादा लोगों का झुकाव आयुर्वेद की तरफ देखने को मिलता है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि कई ऐसे लोग जिन्हें हम असाध्य रोग कहते हैं, उनका आयुर्वेद में बेहद आसानी से इलाज मिल जाता है। फिर वह सफेद दाग, त्वचा रोग बवासीर या पेट से संबंधित कोई भी रोग या बीमारी हो इन सभी का इलाज आयुर्वेद में गारंटी के साथ किया जाता है। 

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आयुर्वेदिक उपचार कराने वाले लोग अमूमन तौर पर लंबा और खुशहाल जीवन जीते हैं। हम अन्य चिकित्सा प्रणालियों से अगर आयुर्वेद का की तुलना करें तो मुमकिन है कि, अन्य पद्धतियों से बीमारी का इलाज जल्दी हो जाता है लेकिन, आयुर्वेद से बीमारी का निदान भी मिलता है साथ ही आयुर्वेद बीमारी को जड़ से खत्म करता है। सिर्फ इतना ही नहीं कोरोना के इस मुश्किल समय में इससे बचने के लिए चिरायता, गिलोय, दालचीनी, काली-मिर्च इत्यादि का काढ़ा बनाकर पीना रामबाण इलाज माना गया है। इसी वजह से आपने देखा होगा जब से कोरोना बीमारी देश में आई है, लोग लगातार इन आयुर्वेदिक काढ़ा/ ड्रिंक्स का सेवन कर रहे हैं, साथ ही अपने जान-पहचान और सगे संबंधियों को भी इसके इस्तेमाल की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि उनका विश्वास है कि आयुर्वेद है तो सब ठीक होगा। 

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कोरोना काल और आयुर्वेद 

आयुर्वेद में तमाम खूबियां है इसी के साथ एक खूबी है जिससे आज के समय में प्रत्येक इंसान ज्यादा लगाव महसूस करता है वह है आयुर्वेद बेहद ही कम खर्च में इलाज कर देता है। आप कुछ आयुर्वेदिक चीज़ों जैसे आंवला, मेथी, मुलैठी, नींबू जैसे घरेलू नुस्खे अपनाकर घर बैठे गंभीर से गंभीर बीमारियों का बचाव बेहद ही आसानी से कर सकते हैं। यही वजह है कि, अब राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है।

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