चमत्कारिक शक्तियाँ पाने के लिए गुप्त नवरात्रि के दौरान करें विधिवत पूजा !

हिन्दू धर्म को मानने वाले बहुत ही कम लोगों को इस बारे में मालूम होगा की चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा गुप्त नवरात्रि भी मनायी जाती है और आने वाली 3 जुलाई से गुप्त नवरात्रि शुरू होने वाली है। इस दौरान विशेष रूप से शिव जी और माँ काली की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान साधक विशेष रूप से पूजा अर्चना कर चमत्कारिक शक्तियाँ प्राप्त कर सकते हैं।

जानें गुप्त नवरात्र के बारे में विस्तार से

आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में जिस प्रकार से शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की आराधना की जाती है उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी के कालरात्रि रूप यानि की माँ काली और साथ में भगवान् शिव जी पूजा अर्चना भी विधि पूर्वक नौ दिनों तक की जाती है। इस नवरात्रि के बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं होती है क्योंकि इस नवरात्रि के दौरान खासतौर से लोग कुछ चमत्कारिक शक्तियों की प्राप्ति के लिए साधना करते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में भी नौ दिनों तक विधि पूर्वक चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह ही पूजा की जाती है।

यहाँ पढ़ें गुप्त नवरात्रि के महत्व के बारे में

वैसे देखा जाए तो हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से दो नवरात्री ही मनाई जाती हैं लेकिन देवी भगवत ग्रंथ के अनुसार, हर साल चार नवरात्रि आती हैं। इसी में से एक गुप्त नवरात्र भी है जो मुख्य रूप से दस महाविद्याओं की साधना के लिए की जाती है। इस दौरान लोग अपनी तांत्रिक शक्तियां और महाकाल की सिद्धि के लिए देवी के दस अन्य रूपों के साथ ही महादेव की भी पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान कठिन साधने से लोग चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।

गुप्त नवरात्रि के दौरान इन देवियों की जाती है पूजा अर्चना

गुप्त नवरात्री के दौरान साधक खासतौर से महाविद्या की प्राप्ति के लिए माँ काली, माँ तारा, त्रिपुरा सुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, माँ घूमावती,त्रिपुरा भैरवी, माँ कमला, माँ मातंगी और माँ बगलामुखी की पूजा अर्चना करते हैं। इस नवरात्री में भी पहले दिन कलश स्थापित किया जाता है और विधि पूर्वक देवी की पूजा अर्चना की जाती है। साधक अखंड ज्योत भी जलाते हैं जो दस दिनों तक विधिवत जलती रहनी चाहिए। इसके साथ ही देवी को इस दौरान श्रृंगार की वस्तुएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार पूजा की विभिन्न सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए। शाम के वक्त परिवार के सभी सदस्यों को आरती के लिए इक्कठा होना चाहिए श्रद्धा भाव के साथ

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