अपने पिछले लेख में मैंने बताया था कि कैसे गुरु-चक्र से वैश्विक घटनाओं की भविष्यवाणी जैसे महामारी और मंदी के बारे में सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। लेकिन जैसे कि वह लेख कोरोना वायरस से संबंधित था, इसलिए मैं एक और लेख लिखना चाहता था जो विशेष रूप से इस तकनीक को समझाने पर केंद्रित हो।
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इस लेख में, मैं गुरु-चक्र चार्ट की इस तकनीक का उपयोग करते हुए दो प्रमुख विश्व-स्तरीय घटनाओं की व्याख्या करूंगा, ताकि इस अद्भुत तकनीक जिससे भविष्य का आसानी से पता लग सकता है को समझा जा सके।
गुरु-चक्र या बृहस्पति-चक्र चार्ट क्या है?
मोटे तौर पर, बृहस्पति और सूर्य की हर साल एक बार युति होती है। मेरा शोध बताता है कि इस संयोग के समय चंद्र कुंडली का उपयोग करके आने वाले वर्ष के लिए वैश्विक घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
मैंने पहले कोरोनो वायरस महामारी को प्रदर्शित करने के लिए इसका उपयोग किया था और आज मैं एक बार फिर ऐसी ही, दो बड़ी वैश्विक घटनाओं पर नजर डालूंगा और गुरु-चक्र चार्ट को कैसे प्रय़ोग कर सकते हैं इसकी व्याख्या करूँगा।
घटना 1: 2008 मंदी और आर्थिक संकट
हम में से अधिकांश लोग 2008 में आयी आर्थिक मंदी के बारे में जानते हैं। इस वित्तीय संकट ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था। हम अभी भी 15 सितंबर, 2008 को इटवेटमैंट बैंक लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद भी वैश्विक संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। 1930 की महामंदी के बाद से कई अर्थशास्त्रियों ने इसे सबसे गंभीर वित्तीय संकट माना। इस संकट का मुख्य कारण संपत्ति और आवास की बढ़ी कीमतें थीं। संपत्ति और आवास की बढ़ी हुई कीमतों ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को घूटने टेकने पर मजबूर कर दिया। बृहस्पति और सूर्य की युति 23 दिसंबर, 2007 को हुई थी। यहां गुरु-चक्र चार्ट है-
जैसा कि हम जानते हैं यह वित्तीय संकट अमेरिका में संपत्ति और आवास बाजार से शुरु हुआ था। इस बारे में बताने के लिए मैं ज्योतिष की बुनियादी अवधारणाओं का उपयोग करूंगा ताकि एक आम आदमी भी इसे समझ सके। चतुर्थ भाव ज्योतिष में संपत्ति को दर्शाता है और दूसरे घर से धन आदि के बारे में विचार किया जाता है। चतुर्थ भाव में दो क्रूर ग्रह शनि और केतु विराजमान हैं। चूंकि शनि सूर्य के घर में विराजमान है इसलिए यह कमजोर है। चतुर्थ घर का स्वामी भी कमजोर अवस्था में है क्योंकि यह अष्टम भाव में स्थित है। चतुर्थ भाव के कमजोर होने से साफ-साफ प्रॉपर्टी और आवास से जुड़ी परेशानियों का पता चल रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि केवल आवास से जुड़ी परेशानियों पर ही असर क्यों पड़ रहा है, इस भाव के अन्य कारकों पर क्यों नहीं।
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ज्योतिष में एक सिद्धांत है जिसे मैं सदृश सिद्धांत कहता हूं। मैंने ज्योतिष सिखाने के लिए लेखों की एक पूरी श्रृंखला लिखी है और इन लेखों में विशेष रूप से सदृश सिद्धांत के बारे में बताया है। स्वर्गीय श्री जे.एन. भसीन जी ने इसके बारे में विस्तार से बात की है लेकिन संक्षेप में, हर भाव के कुछ निश्चित गुण होते हैं और इसी तरह से हर ग्रह के भी। यदि कोई ग्रह किसी भाव का स्वामी होता है तो, उस भाव औऱ ग्रह की विशेषताओं में जो गुण एक जैसा होता है उसपर प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में, शनि भूमि और आवास का कारक है और चतुर्थ भाव भी प्रॉपर्टी का कारक होता है, तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि प्रॉपर्टी और आवास से जुड़े परिणाम अवश्य प्राप्त होंगे।
अब द्वितीय भाव पर विचार करते हैं। यह भाव धन का भाव कहलाता है और इसमें द्वादश भाव का स्वामी मंगल स्थित है। द्वादश भाव व्यय औऱ हानि का भाव कहलाता है, इससे साफतौर पर पता चल रहा है कि आने वाले साल की आर्थिक स्थिति पर कई तरह से प्रभाव पड़ेगा। इससे भी महत्वपूर्ण द्वितीय भाव का स्वामी ‘त्रिक’ अष्टम भाव में स्थित है, जिससे द्वितीय भाव कमजोर हो रहा है।
कुंडली की कुल शक्ति का निर्धारण लग्न द्वारा किया जाता है। जैसे कि यह एक चंद्र कुंडली है इसलिए हम चंद्र की स्थिति पर नजर डालेंगे। हालांकि चंद्रमा उच्च का है लेकिन शनि-केतु युति की दृष्टि इस पर है। चंद्र राशि का स्वामी शुक्र षष्ठम भाव में स्थित है और उसपर भी शनि की दृष्टि पड़ रही है, जोकि भूमि और आवास का मुख्य कारक है। षष्ठम भाव को ऋण का कारक माना जाता है और ज्योतिष में इसे त्रिक भाव भी कहा जाता है। यदि किसी भाव का स्वामी त्रिक भाव में है तो उस भाव को कमजोर करता है। शुक्र चंद्र राशि का स्वामी भी है और इसपर क्रूर ग्रह शनि की दृष्टि है, इसलिए 2007-2008 की पूरी कुंडली चौथे घर के कमजोर होेने के कारण पूरी तरह से खराब दिख रही है।
घटना 2: 1918 का स्पेनिश फ्लू
स्पैनिश फ्लू, जिसे 1918 की फ्लू महामारी के रूप में भी जाना जाता है, संभवतः पिछले 200 वर्षों में सबसे बड़ी महामारी थी। विकिपीडिया के अनुसार, इसने 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया था जोकि उस समय दुनिया की आबादी का एक चौथाई हिस्सा था। इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या 1.7 से 10 करोड़ के आसपास थी। चलिए अब गुरु चार्ट बनाते हैं जो हमको इस महामारी की सटीक जानकारी देगा। सूर्य-गुरु की युति 9 मई, 1917 को हुई थी और नीचे हम इस महामारी के बारे में बताने के लिए चंद्र कुंडली दे रहे हैं।
चार्ट पर नजर डालते ही सबसे पहले नीच स्थिति में विराजमान चंद्रमा पर दृष्टि पड़ती है। हम जानते हैं कि यदि चंद्रमा कमजोर है तो पूरी कुंडली कमजोर हो जाती है। इसके अलावा प्रथम भाव का स्वामी मंगल नवमांश कुंडली में दुर्बल अवस्था में है। लेकिन इससे ही सबकुछ पता नहीं चलता, पहले भाव का स्वामी मंगल षष्ठम भाव में स्थित है जिसे त्रिक भाव भी कहा जाता है, इस भाव को रोग का भाव भी कहा जाता है। षष्ठम भाव रोग का भाव है और इसमें चार ग्रह विराजमान हैं-
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- सूर्य, स्वास्थ्य का कारक है।
- मंगल, प्रथम भाव का स्वामी, स्वास्थ्य का कारक
- बृहस्पति, सभी अच्छाईयों का कारक
- शुक्र, द्वादश औऱ सप्तम भाव का स्वामी
इतना ही नहीं, ग्रहों की इस युति पर शनि की दशम दृष्टि भी है। इसलिए कमजोर षष्ठम भाव 1918 में हुई महामारी स्पेनिश फ्लू का साफ संकेत देता है। यदि हम इस गुरु-चक्र चार्ट की तुलना वर्तमान वर्ष के (कोरोनावायरस वर्ष) चार्ट से करते हैं, तो हम एक समानता देख सकते हैं। वर्तमान वर्ष के बृहस्पति चक्र चार्ट (2019-2020) में, 5 ग्रह 12 वें घर में हैं और यहां, इस चार्ट में षष्ठम भाव में चार ग्रह हैं जिनपर शनि की दृष्टि भी है।
गुरु-चक्र चार्ट के आधार पर 2020 के लिए आर्थिक पूर्वानुमान
हर कोई जानना चाहता है कि क्या विश्व अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ बढ़ रही है? इसके बारे में गुरु-चक्र चार्ट कुछ जवाब देता है।
यदि हम इस गुरु-चक्र चार्ट की तुलना वर्तमान वर्ष के (कोरोनावायरस वर्ष) चार्ट से करते हैं, तो हम एक समानता देख सकते हैं। वर्तमान वर्ष के बृहस्पति चक्र चार्ट (2019-2020 के) में, 5 ग्रह 12वें घर में हैं और यहां, इस चार्ट में, षष्ठम भाव में चार ग्रह हैं जिनपर शनि की दृष्टि भी है। पिछले लेख में मैंने जो लिखा था, क्योंकि 12वें घर में पांच ग्रह हैं, जिसे व्यय और हानि का घर भी कहा जाता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा। द्वितीय भाव, जिसे आमदनी का भाव भी कहा जाता है, का स्वामी भी द्वादश भाव में विराजमान है, जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना लाजमी है।
जैसा कि नये गुरु-चक्र की शुरुआत 29 जनवरी, 2021 से शुरू होगी, इसलिए हम विश्व अर्थव्यवस्था के चुस्त-दुरुस्त होने की उम्मीद कर सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि गुरु-चक्र चार्ट से जुड़़ा यह शोध, भविष्य में बेहतर सटीकता के साथ महामारी, आपदा, मंदी और वैश्विक घटनाओं की भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
लेखक- पुनीत पांडे
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