जानें महाभारत के उस पात्र के बारे में जिसके लिए वरदान बन गया श्राप !

महाभारत के बारे में जानकारी रखने वाले लोग अश्वत्थामा के बारे में तो जानते ही होंगे, कहा जाता है कि अश्वत्थामा का वजूद आज भी है। कौरवों और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य का पुत्र “अश्वत्थामा” ऐसा एक पात्र है, जिसके लिए भगवान से माँगा वरदान ही श्राप बन गया। महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा एक ऐसे योद्धा थे, जो अकेले युद्ध लड़ने की क्षमता रखे थे। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के श्राप की वजह से आज भी अश्वत्थामा धरती पर भटक रहे हैं। आज इस लेख में आपको इसी योद्धा के विषय में बताने जा रहे हैं, जिसके लिए अमरत्व का आशीष ही जीवन का सबसे बड़ा श्राप बन गया था

कौन थे अश्वत्थामा ?

महाभारत युद्ध से पहले गुरु द्रोणाचार्य भ्रमण करते हुए हिमालय पंहुचे। गुरु द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी माता कृपि ने तमसा नदी के किनारे मौजूद शिवलिंग के सामने शिव की तपस्या की। उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। कुछ दिनों बाद माता कृपि ने एक तेजश्वी बाल़क को जन्म दिया। जन्म लेते ही बालक के कण्ठ से हिनहिनाने की ध्वनि निकली, जिससे इनका नाम “अश्वत्थामा” पड़ा। अश्वत्थामा के मस्तक पर जन्म से ही एक अमूल्य मणि विद्यमान थी, जो कि उन्हें दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि से निर्भय रखती थी।

आज भी भटक रहे हैं अश्वत्थामा

द्वापरयुग में जन्मे अश्वत्थामा की गिनती श्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी। पिता द्रोणाचार्य की भांति अश्वत्थामा भी शास्त्र और शस्त्र विद्या में निपुण थे। महाभारत के युद्ध में पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने कौरवों का साथ दिया और पांडवों की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया था। श्रीकृष्ण ने कूटनीति का सहारा लेकर द्रोणाचार्य का वध करा दिया। पिता की मृत्यु से अश्वत्थामा बेहद विचलित हो गए और बदला लेने के लिए द्रोपदी के पाँचो पुत्रों का वध कर दिया। तब भगवान श्री कृष्ण ने दंड के रूप में अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकाल दी, और उन्हें युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप दे दिया।

कहा जाता है कि  भगवान कृष्ण के श्राप के कारण अश्वत्थामा आज भी भटकते रहते हैं, और जो एक बार अश्वत्थामा को देख लेता है, वह अपना मानसिक संतुलन खो देता है।

यह भी पढ़ें –

FENG SHUI: भाग्य की वृद्धि करवाता है तीन टांगों वाला मेढ़क, जानिए इसके उपाय

वास्तु-शास्त्र : धन वृद्धि के लिए आज ही अपने घर में करें ये बदलाव

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.