सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल में चार बार मां दुर्गा की पूजा के विशेष अवसर यानी नवरात्रि आते हैं। इसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि होती है, जिन्हें उदय, प्रमुख और बड़ी नवरात्रि के नाम से भी जाता है। माघ और आषाढ़ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। वहीं चैत्र माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां के नौ रूपों की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। कहते हैं कि गुप्त नवरात्रि में देवी की साधना विशेष फलदायी होती है। इस दौरान पूरे विधि-विधान से पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा प्रदान करती हैं।
गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्रि की तुलना में काफी अलग होते हैं। इस नवरात्रि में गुप्त विद्या या तंत्र विद्या के लिए साधना गुप्त तरीके से की जाती है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा का पूजन आधी रात यानी गुप्त तरीके से की जाती है। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, शुभ योग और पौराणिक कथा के बारे में।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023: तिथि व मुहूर्त
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाने वाला गुप्त नवरात्रि का पर्व इस साल 19 जून 2023 से प्रारंभ होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 जून 2023 की सुबह 10 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी और 19 मई 2023 की सुबह 11 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। ख़ास बात यह है कि इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ बेहद शुभ योग में हो रहा है। यह योग है वृद्धि योग, जो एक बेहद शुभ योग है। माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्य में वृद्धि ही होती है।
वृद्धि योग आरंभ: 19 जून 2023 की मध्यरात्रि 12 बजकर 58 मिनट से
वृद्धि योग समाप्त: 20 जून 2023 की मध्य रात्रि 1 बजकर 15 मिनट तक
आषाढ़ घटस्थापना मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 सोमवार की सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और इसकी अवधि 2 घंटे 4 मिनट होगी।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार चैत्र और अश्विन नवरात्रि में मां दुर्गा के 09 स्वरूपों की पूजा का विधान है, वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूप की पूजा की जाती है, जिन्हें दस महाविद्या के नाम से जाना जाता है। मां के 10 दिव्य स्वरूप इस प्रकार है- मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला। इन सभी स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में सुबह-शाम माता रानी के भक्त भजन-कीर्तन और भोग लगाकर मां दुर्गा की आराधना करते हैं और सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
जानें कैसे करें आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा
- आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- फिर शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उसे गंगा जल से पवित्र करें।
- पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें और पूरी नवरात्रि जल का उचित मात्रा में छिड़काव करते रहें।
- इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति बुरे कार्यों से लिप्त रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती। मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं और उनकी भक्ति में लीन होना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्ति भाव से बहुत प्रसन्न हुए। ऋषि ने उस स्त्री को उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो हर कोई परिचित है लेकिन इसके अतिरिक्त दो अन्य नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है।
ऋषि ने कहा कि प्रकट अन्य नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, मांसाहारी या पूजा-पाठ न करने वाला व्यक्ति भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसकी भी मां हर मुराद पूरी करती हैं। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों को सुनते ही गुप्त नवरात्रि की पूजा की। जिसके बाद उसका पति भी सही रास्तों में आ गया।
मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की होती है पूजा
पहली महाविद्या: गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की साधना होती है। इन्हें 10 महाविद्याओं में प्रथम माना गया है। मां काली की साधना से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।
मंत्र- ॐ हृीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।।
दूसरी महाविद्या: नवरात्रि के दूसरे दिन माता तारा की साधना की जाती है। मान्यता है कि सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने महाविद्या तारा की उपासना की थी। इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है। इनकी उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मंत्र- ऊँ हृीं स्त्रीं हुं फट् ।।
तीसरी महाविद्या: गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन तीसरी महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी की साधना की जाती है। मां ललिता की पूजा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्त होती है।
मंत्र- ऐं हृीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः ।।
चौथी महाविद्या: गुप्त नवरात्र के चौथे दिन माता भुवनेश्वरी की साधना होती है। संतान सुख की प्राप्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की साधना बेहद फलदायी होती है।
मंत्र- हृीं भुवनेश्वरीयै हृीं नमः ।।
पांचवी महाविद्या: गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन महाविद्या माता छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। इनकी उपासना का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि सभी देवी देवताओं में मां की आराधना और मंत्र उच्चारण करना विशेष फलदायी है।
मंत्र- श्रीं हृीं ऐं वज्र वैरोचानियै हृीं फट स्वाहा।।
छठी महाविद्या: छठी महाविद्या माता त्रिपुरा भैरवी हैं। इनकी साधना से जीवन के सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है।
मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः।।
सातवीं महाविद्या: सातवीं महाविद्या के रूप में गुप्त नवरात्रि में मां धूमावती की साधना होती है। इनकी साधना से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं। इनकी साधना करने वाला महाप्रतापी और सिद्ध पुरुष कहलाता है।
मंत्र- ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः
आठवीं महाविद्या: आठवीं महाविद्या को बगलामुखी कहा गया है। मां बगलामुखी की साधना से भय और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
मंत्र- ऊँ हृीं बगुलामुखी देव्यै हृीं ओम नमः
नौवीं महाविद्या: 10 महाविद्याओं में मातंगी नौवीं महाविद्या हैं। इनकी साधना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है और घर-परिवार में शांति का वातावरण बना रहता है।
मंत्र- ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।।
दसवीं महाविद्या: दस महाविद्याओं की अंतिम देवी माता कमला हैं। इनकी साधना से धन, नारी और पुत्र की प्राप्ति होती है।
मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर जानें राशि अनुसार आसान उपाय
मेष राशि: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा पर उड़द चढ़ाकर और फिर उस उड़द को गरीब महिला को दान करना चाहिए। ऐसा करने से पैसों से संबंधित परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।
वृषभ राशि: इन दिनों में महाकाली पर नीले कनेर के फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से मानसिक विकारों से मुक्ति मिलेगी।
मिथुन राशि: मां दुर्गा पर लौंग चढ़ाएं और फिर उस लौंग को ऑफ़िस की दराज़ में रखें। इससे करियर में आपको तरक्की मिलेगी और अच्छी पदोन्नति के योग भी बनेंगे।
कर्क राशि: नवरात्रि के नौ दिनों में महाकाली पर 6 या 11 लौंग चढ़ाकर कपूर से जलाएं। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
सिंह राशि: गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को लाल रंग के फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही हवन करते समय चावल की खीर में शहद मिलाकर आहुति दें।
कन्या राशि: कन्या राशि वालों को गुप्त नवरात्रि के दौरान हर रात को मां दुर्गा को लाल रंग के फूलों का माला चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से विवाह संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
तुला राशि: इन दिनों में महाकाली पर पीपल के पत्ते चढ़ाएं। ऐसा करने से जीवन में आने वाली मुसीबतें कम होंगी।
वृश्चिक राशि: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिनों में नारियल चढ़ाकर किसी गरीब को दान करें। ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
धनु राशि: धनु राशि वालों को इन दिनों में महाकाली पर चढ़े जल का पूरे घर में छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से वातावरण में शुद्धता आएगी और घर का माहौल खुशनुमा होगा।
मकर राशि: मकर राशि के लोगों को इन दिनों में महाकाली पर काजल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से नेत्र संबंधी बीमारियां दूर होंगी।
कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों को इन नौ दिनों में नियमित रूप से मां दुर्गा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से देवी मां की कृपा से हर इच्छा पूरी होती है।
मीन राशि: इन राशि वालों को महाकाली पर फल चढ़ाकर गरीब बच्चों को दान करना चाहिए।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।