आषाढ़ अमावस्या के दिन इस विधि से करें पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना !

हिन्दू धर्म में आषाढ़ अमावस्या का दिन बहुत महत्व रखता है। कोरोना काल में 09 जुलाई को शुक्रवार के दिन आषाढ़ अमावस्या को मनाया जायेगा। धार्मिक दृष्टि से अमावस्या के दिन का बहुत महत्व है। इस दिन पर दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए तर्पण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या को खास माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व है। हालांकि, जैसा कि सरकार ने लोगों से घर पर रहने और सोशल डिस्टन्सिंग से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है, आपसे अनुरोध है कि सार्वजनिक क्षेत्रों में बाहर न जाएं और किसी भी यात्रा का विचार बन रहा है तो उसको अभी के लिए स्थगित कर दें।

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आषाढ़ अमावस्या मुहूर्त और समय

09 जुलाई, 2021 को 05:18:53 से अमावस्या आरम्भ
10 जुलाई, 2021 को 06:48:17 पर अमावस्या समाप्त

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आषाढ़ अमावस्या का महत्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का चौथा महीना आषाढ़ होता है। धार्मिक रूप से आषाढ़ अमावस्या के दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में देश के किसान इस दिन अपने हल व खेती-किसानी से जुड़े अन्य उपकरणों की विशेष तौर से पूजा करते हैं। इस अमावस्या पर दान-पुण्य और पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनके नाम पर किए जाने वाले धार्मिक कर्मों को विशेष फलदायी माना गया है। ऐसा कहा गया है कि इस दिन पवित्र नदी पर स्नान और तीर्थ स्थलों के दर्शन करने से कई गुना फल मिलता है। 

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आषाढ़ अमावस्या व्रत पर किए जाने वाले धार्मिक कर्म 

हर अमावस्या की तरह ही आषाढ़ अमावस्या पर भी पितरों का तर्पण किए जाने का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ विशेष धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • आषाढ़ अमावस्या के दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में ज़रूर स्नान करें। 
  • इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए आप उपवास कर सकते हैं।  
  • आषाढ़ अमावस्या वाले दिन किसी भी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
  • इस दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दिया जलाएं और अपने पूर्वजों को याद कर पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगाएँ।
  • जीवन की परेशानियों का अंत करने के लिए आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। 
  • अमावस्या के दिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा ज़रूर खिलाएं। ऐसा करने से आपके द्वारा किए पाप कर्मों का प्रायश्चित होगा और मनोकामनाओं की पूर्ति होगी। साथ ही अच्छे कामों के फल मिलना शुरू हो जाएंगे।

हालाँकि, दुनिया भर में चल रही इस महामारी के बीच आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने घर के भीतर ही रहें और इस दिन से जुड़े पूजा-अनुष्ठानों को घर में ही करें।

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ऐसे करें अमावस्या के दिन पूजा

  • अमावस्या वाले दिन रात्रि के समय नहाकर साफ वस्त्र पहन लें। कपड़े यदि पीले रंग के हों तो बेहतर है। 
  • अब उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
  • इसके बाद अपने सामने किसी लकड़ी की चौकी पर एक थाली में स्वस्तिक या ॐ बना लें और महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
  • इसके बाद उसके सामने एक शंख थाली में स्थापित करें।
  • थोड़े से चावल को केसर में रंगकर शंख में डाल दें
  • अब घी का दीपक जलाएं और नीचे लिखे मंत्र का ग्यारह बार जाप करें-

सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।

मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।

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आशा करते हैं आषाढ़ अमावस्या के बारे में इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद। 

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