हिंदू पंचांग के अनुसार जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी का यह व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत का सच्ची श्रद्धा और नियम पूर्वक पालन करता है उसके जीवन में भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस वर्ष अपरा एकादशी का व्रत 6 जून को किया जा रहा है।
तो आइए अपने विशेष आर्टिकल में जान लेते हैं अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है, इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं और उस योग का क्या महत्व है, और साथ ही जानते हैं इस दिन से संबंधित व्रत कथा क्या कहती है।
आइये अब आपको अपरा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त की जानकारी दे देते हैं।
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अपरा एकादशी 2021 तिथि व शुभ मुहूर्त
अपरा एकादशी तिथि : 06 जून, 2021
अपरा एकादशी दिन : रविवार
अपरा एकादशी पारण मुहूर्त : 05:22:43 से 08:09:35, 07 जून तक
अवधि : 02 घंटे 46 मिनट
नोट : यह पारण मुहूर्त केवल नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर में अपरा एकादशी के पारण मुहूर्त जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
अपरा एकादशी के दिन बन रहा है शोभन योग
एकादशी तिथि अपने आप में बेहद ही महत्वपूर्ण और खास होती है। ऐसे में इस वर्ष एकादशी तिथि पर शोभन योग का शुभ संयोग इस दिन के महत्व को और कई गुना बढ़ाने का काम कर रहा है। अब सवाल उठता है कि, आखिर यह शोभन योग क्या होता है? शोभन योग के बारे में जानने से पहले जान लेते हैं शोभन योग इस दिन कब से कब तक रहने वाला है। अपरा एकादशी के दिन शोभन योग सुबह 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
शोभन योग का महत्व: ज्योतिष में शोभन योग को एक शुभ योग माना गया है और इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य यदि शुरू किया जाए तो यह बेहद ही शुभ फलदाई होता है। इसके अलावा शोभन योग में आप वाहनों, सोना चांदी या वस्तुओं की खरीदारी करते हैं तो आपको शुभ फल प्राप्त होता है और साथ ही इस दौरान आप किसी भी तरह का मांगलिक कार्य भी संपन्न कर सकते हैं।
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अपरा एकादशी व्रत कथा
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यदि किसी व्रत में उससे संबंधित कथा को पढ़ा, सुना और दूसरों को सुनाया जाए तो इससे व्यक्ति को कई गुना फल प्राप्त होता है। तो आइए जान लेते हैं अपरा एकादशी की व्रत कथा।
बताया जाता है कि, बहुत समय पहले दो भाई रहा करते थे। बड़े भाई का नाम महीध्वज था जो कि एक बेहद ही धर्मात्मा स्वभाव का राजा था और छोटे भाई का नाम वज्रध्वज था जो बेहद ही क्रूर और अधर्मी था। एक दिन छोटे भाई वज्रध्वज ने अपने भाई की हत्या करके उसके शव को जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। ऐसे में अकाल मृत्यु होने की वजह से राजा की प्रेतात्मा पीपल के पेड़ पर वास करने लग गयी।
राजा के प्रेत आत्मा बन जाने की वजह से वह अब वहां पर उत्पात करने लगा। एक दिन जंगल से धौम्य नामक ऋषि गुजर रहे थे। तब उन्होंने वहां पर प्रेत आत्मा को देखा। अपनी शक्ति और तपोबल से उन्होंने प्रेत आत्मा के उत्पात की वजह जान ली और सब कुछ जान लेने के बाद उन्होंने प्रेत आत्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और उसे परलोक विद्या का उपदेश दिया।
बताया जाता है दयालु राजा की आत्मा को मुक्ति दिलाने और प्रेत योनि से छुटकारा दिलाने के लिए स्वयं ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत किया था जिसके फलस्वरूप राजा की प्रेत आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिली और वह स्वर्ग लोक को चले गए। तभी से अपरा एकादशी के व्रत का महत्व बताया जाता है। कहते हैं जो कोई भी व्यक्ति इस शुभ व्रत को करता है और इस दिन से संबंधित इस व्रत कथा को सुनता है या दूसरों को सुनाता है उस मनुष्य के सभी पाप दूर होते हैं।
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