अहोई अष्टमी व्रत: इस दिन भूल से भी ना करें ये काम, जानें पूजन विधि

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी को अहोई अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह अष्टमी 8 नवंबर 2020, यानी रविवार को मनाई जा रही है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अहोई माता का व्रत और पूजा करती हैं। 

लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि ये व्रत सिर्फ संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का बेहद महत्व बताया जाता है?

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ऐसा माना जाता है कि इस दिन राधा कुंड में जो कोई भी निसंतान दंपत्ति अहोई अष्टमी के दिन स्नान करता है उसे संतान की प्राप्ति अवश्य होती है। राधा कुंड में स्नान आधी रात के समय यानी निशिता के समय किए जाने की मान्यता है। अहोई अष्टमी के दिन आधी रात के दौरान राधा कुंड में स्नान शुरू होता है और यह पूरी रात भर जारी रहता है।

स्नान के बाद राधा कुंड पर कच्चा सफेद कद्दू यानी पेठा चढ़ाते हैं। देवी को चढ़ाए जाने वाले इस प्रसाद को यहां पर कुष्मांडा कहा जाता है। कुष्मांडा का भोग लगाने के लिए उसे लाल रंग के कपड़े में लपेटने की परंपरा है। इसके बाद जल्द ही संतान प्राप्ति के लिए देवी राधा रानी का आशीर्वाद लेने के लिए दंपत्ति पानी के टैंक में खड़े होने के बाद पूजा करते हैं और कुष्मांडा, सफेद कद्दू, देवी को चढ़ाते हैं।

अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड स्नान का महत्व 

अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में डुबकी लगाना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। जिन जोड़ों को संतान प्राप्ति में समस्या आ रही है वह राधा रानी से आशीर्वाद मांगने इस दिन यहां अवश्य आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो कोई भी राधा कुंड में डुबकी लगाकर पवित्र कुंड में खड़ा होकर माता की पूजा करता है उसे संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। इसी मान्यता के चलते हर साल हजारों जुड़े इस दिन यहां पर आते हैं एक साथ मध्य रात्रि में राधा कुंड में पवित्र डुबकी लगाते हैं।

जानें राधा कुंड का महत्व 

कान्हा की नगरी मथुरा में स्थित इस राधा कुंड का यूँ तो काफी महत्व माना गया है, लेकिन अहोई अष्टमी के दिन इस कुंड का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में अगर कोई भी निसंतान दंपत्ति इस कुंड में पूरी श्रद्धा के साथ स्नान करता है तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होती है।

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इसी मान्यता के चलते हर साल यहां भारी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं। अहोई अष्टमी से पहले दोपहर से ही भक्त यहां पहुंचने लगते हैं। इस दौरान यहां एक मेले का भी आयोजन होता है जो अहोई अष्टमी की दोपहर तक जारी रहता है।

कुण्ड में स्नान करने के नियम 

माना जाता है कि राधा कुंड में स्नान करने का एक नियम होता है। ऐसे में वह नियम क्या है यह आप भी जान लीजिए। 

  • राधा कुंड में हमेशा पति पत्नी दोनों को साथ ही में स्नान करना होता है। 
  • कहा जाता है कि अगर पति या पत्नी किसी एक ने ही इस कुंड में स्नान किया तो उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद नहीं मिलता है। 
  • संतान प्राप्ति के लिए स्नान के लिए मध्यरात्रि का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है। मध्य रात्रि में स्नान करते समय पति पत्नी को इस कुंड में एक साथ में डुबकी लगानी होती है। 
  • राधा कुंड में स्नान करने के बाद कृष्ण कुंड में भी स्नान करना अति आवश्यक है। 
  • कुंड में स्नान के बाद सफेद कद्दू या पेठे का भोग लगाया जाता है। 
  • कुंड में स्नान करते समय किसी भी तरह के साबुन या शैंपू का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 
  • स्नान के बाद तौलिया आदि से शरीर साफ नहीं करना चाहिए। 
  • स्नान के बाद दान करने का बेहद महत्व बताया गया है

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जानिए कैसे बना राधा कुंड? 

बताया जाता है कि कृष्ण के द्वारा भीमकाय दानव का वध करने के बाद राधा ने उन्हें कई पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पाप धोने के लिए कहा। तब कृष्ण ने उसी जगह पर जोर से अपना पैर पटका जहां पर वह खड़े थे। इससे राधा जी द्वारा बताई गई सारी नदियां वहां से उत्पन्न हो गई और वहां पर एक कुंड बन गया।

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भगवान कृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया। इस कुंड को श्याम कुंड के नाम से जाना गया, लेकिन कृष्ण के इस शक्ति प्रदर्शन से राधा बेहद ही क्रोधित हो गयीं। जिसके बाद उन्होंने अपनी सहेलियों गोपियों के साथ मिलकर अपनी चूड़ी (कंगन) की मदद से एक गड्ढा खोदा और उस में मानसी गंगा का पानी भर दिया।

इस तरह गोवर्धन के पास एक विशाल झील बन गई जिससे राधा कुंड या कंगन कुंड के नाम से जाना जाता है। राधा जी ने जिस दिन इस कुंड को बनाया वह अहोई अष्टमी का ही दिन था। ऐसे में इस दिन के बारे में यह वरदान भी दिया गया कि इस दिन जो कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ राधा कुंड में स्नान करेगा उसे संतान प्राप्ति अवश्य होगी। 

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कैसे पहुंचे राधा कुंड?

राधा कुंड तक पहुँचने के लिए सबसे सरल रास्ता है इसके लिए गोवर्धन पहुंचना। क्योंकि गोवर्धन से राधाकुंड की दूरी में महज़ 4 से साढ़े चार किलोमीटर की है। गोवर्धन बस स्टैंड से आपको ऑटो टैक्सी आसानी से मिल जाएगा जो आपको राधा कुंड पहुंचा देगा।

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