जानें वो 7 घटनाएं जो बनी महारथी कर्ण की मृत्यु की वजह

महाभारत के युद्ध में यूँ तो सभी किरदारों का अपना अलग महत्व रहा है लेकिन इन्ही किरदारों में से एक थे कर्ण जिनको ऐसे योद्धा के रूप में जाना जाता है, जिनसे खुद भगवान श्रीकृष्ण बेहद प्रभावित थे। माना जाता है कि कर्ण के व्यक्तित्व के कई ऐसे गुण थे, जो उन्हें एक अच्छा योद्धा होने के साथ-साथ एक बेहद अच्छा इंसान भी बनाते थे लेकिन समय का फेर है कि इतना अच्छा होने के बाद भी उनसे कुछ ऐसी ग़लतियाँ हो गईं, जो उनकी मृत्यु का कारण बन गई।

महाभारत के अनुसार ऐसे 7 क़िस्से बताए गए हैं जो दान-वीर कर्ण की मृत्यु की वजह बने

पहला, परशुराम का श्राप

बताया जाता है कि कर्ण को परशुराम से शिक्षा लेनी थी इसलिए उन्होंने खुद को क्षत्रिय बताकर परशुराम से शिक्षा ले ली, लेकिन जब इस बात का पता परशुराम को चला तो वो बहुत क्रोधित हुए क्योंकि उन्होंने सिर्फ क्षत्रिय लोगों को शिक्षा देने की शपथ ली थी। तब गुस्से में उन्होंने कर्ण को श्राप देते हुए कहा था कि तुम मेरे द्वारा दिया हुआ ज्ञान उस वक़्त भूल जाओगे जब तुम्हें उसकी सच में ज़रूरत होगी।

दूसरा, एक ब्राह्मण का श्राप

एक बार कर्ण अपने रथ में सवार होकर कहीं घूमने जा रहे थे कि तभी उनके रथ के नीचे एक बछड़ा आ गया और रथ के पहिये से उसकी मौत हो गयी।  ये सब एक ब्राह्मण ने देख लिया और तब उन्होंने कर्ण को श्राप देते हुए कहा था कि एक दिन तुम्हारी मौत का कारण तुम्हारा ये रथ ही बनेगा।

तीसरा, दि्व्यास्त्र का घटोत्कच पर प्रयोग

दान-वीर कर्ण को देव राज इंद्र से दि्व्यास्त्र मिला हुआ था। बताया जाता है कि इसे कर्ण ने अर्जुन को मारने के लिए रखा था लेकिन श्रीकृष्ण की युक्ति की वजह से घटोत्कच को कौरव सेना पर आक्रमण के लिए भेज दिया गया। तब उसके आतंक से परेशान होकर खुद कर्ण को ही घटोत्कच पर दि्व्यास्त्र का प्रयोग करना पड़ा।

चौथा, श्रीकृष्ण ने दिया था अर्जुन का साथ

जिसके साथ खुद भगवान श्रीकृष्ण होते हैं, उसे भला कौन हरा सकता है। दुर्योधन ने युद्ध के लिए श्रीकृष्ण की नारायणी सेना मांग ली थी, जबकि अर्जुन ने श्रीकृष्ण को मांग लिया था।

पांचवा, कुंती को कर्ण द्वारा दिया वचन

बताया जाता है कि जैसे-जैसे महाभारत युद्ध के दिन बीतते जा रहे थे, वैसे-वैसे कुंती को आभास होता जा रहा था कि पांडवों का पक्ष दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा है। ऐसे में कुंती ने कर्ण से मुलाक़ात करके उनसे ये वचन ले लिया था कि वो उनके पुत्रों को किसी भी हाल में कोई नुक्सान नहीं पहुँचाएगा।

ये भी पढ़ें : जानें अश्वत्थामा से जुड़ा यह चौंकाने वाला रहस्य

छठा, भूमि माता का दिया श्राप

एक बार एक नेत्रहीन व्यक्ति को प्यास लगी। कर्ण ने उस इंसान को पानी पिलाना चाहा लेकिन आसपास पानी  ना होने की वजह से उन्होंने धरती माता में तीर मारकर जल की धारा निकाल ली। इससे उस नेत्रहीन इंसान की प्यास तो बुझ गयी लेकिन बेहद नुकीले तीर से भूमि माता को बहुत कष्ट हुआ और उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि तुम्हें भी एक दिन बाण से कष्ट सहना पड़ेगा। महाभारत के युद्ध में ऐसा हुआ भी।

 ये भी पढ़ें : अपने इस अनोखे अवतार में सदियों बाद आज भी इस किले में भगवान शिव करते हैं वास

सातवाँ, अन्याय का सहयोग

कहा जाता है कि जब कोई भी व्यक्ति अपना अधिकार पाने और शोषण के विरुद्ध युद्ध लड़ता है, तो उस युद्ध को न्याय-युद्ध के नाम से जाना जाता है।  क्योंकि कहा जाता है कि अन्याय कभी भी जीत नहीं सकता। कर्ण ने कौरवों का साथ दिया जो उसका सबसे बड़ा अपराध बन गया और शायद इसी वजह से कर्ण को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा।

कहा जाता है कि कर्ण की मृत्यु कैसे होगी या कैसे हो सकती है इस बात की जानकारी केवल भगवान कृष्ण को ही थी।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.