25 जून 1975 की मध्य रात्रि को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर द्वारा भारत में आपात काल की घोषणा कर दी। यह इमरजेंसी 21 मार्च 1977 तक जारी रही। यह आजाद भारत का पहला आपात काल था।
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उस समय देश में तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार के प्रति गहरे असंतोष की भावना थी और 12 जून को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरुद्ध ने इस आपात काल की पटकथा लिख दी थी।
आज इस लेख में हम ने यह जानने का प्रयास किया है कि उस समय ऐसी कौन सी ग्रह स्थिति का निर्माण हुआ था, जो देश में आपात काल जैसी स्थिति निर्मित हुई।
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स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी की कुंडली
इसी संबंध में हमने विभिन्न कुंडलियों पर भी ध्यान दिया है, जिनमें सर्वप्रथम नीचे दी गई कुंडली तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी की है:
(स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी – कुंडली)
- जिस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी के द्वारा देश में इमरजेंसी लगाई गई हुई थी कुंडली शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा और राहु की अंतर्दशा चल रही थी।
- शनि इनकी कुंडली के सातवें और आठवें भाव का स्वामी होकर लग्न में विराजमान है।
- लग्नेश चंद्रमा को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है तथा बुध वृश्चिक राशि में सूर्य के साथ पंचम भाव में है।
- इमरजेंसी के समय बुध और सूर्य के ऊपर नीच के राहु का पूर्ण प्रभाव था।
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- पंचम भाव को बुद्धि का भाव भी कहा जाता है और जब सूर्य और बुध के बुधादित्य योग के ऊपर नीच अवस्था वाले राहु का प्रभाव पड़ा तो उन्होंने इनकी बुद्धि को प्रभावित किया और इन्हें ऐसा निर्णय लेने पर विवश कर दिया।
- अक्सर जब सूर्य के ऊपर राहु का प्रभाव होता है तो व्यक्ति को मानहानि का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही इनके साथ भी हुआ, जब इमरजेंसी लगाने के कारण सारी जनता के द्वारा इन्हें गलत माना गया और यह आपात काल भारतीय राजनीति का काला अध्याय बन गया।
आपात काल के समय की कुंडली
(आपात काल – कुंडली)
- आपात काल 25 जून 1975 की मध्य रात्रि के समय लागू हुआ। उस समय बृहस्पति मीन राशि में विराजमान थे।
- सूर्य और शनि मिथुन राशि में युति संबंध में थे।
- वृषभ राशि में नीच का केतु बुध के साथ उपस्थित था तथा राहु वृश्चिक राशि में था।
- यह एक ऐसी घटना थी जिसे बहुत लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
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स्वतंत्र भारत की कुंडली
(स्वतंत्र भारत – कुंडली)
- जिस समय हमारे देश में आपात काल की घोषणा की गई, उस समय स्वतंत्र भारत की कुंडली में बुध की महादशा में राहु की अंतर्दशा और राहु की प्रत्यंतर दशा चल रही थी।
- इस कुंडली में बुध दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी होकर तीसरे भाव में विराजमान है और उसके साथ शुक्र, सूर्य, चंद्रमा और शनि स्थित हैं।
- बुध शनि के नक्षत्र पुष्य में विराजमान है।
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- राहु कुंडली के लग्न में उच्च राशि वृषभ में विराजमान है और मजबूत स्थिति में है।
- राहु सूर्य के कृतिका नक्षत्र में स्थित है।
- जिस समय आपात काल की घोषणा की गई उस समय और राहु का गोचर कुंडली के सातवें भाव में था और बुध केतु के साथ वृषभ राशि में स्थित था।
- ध्यान देने योग्य बात यह है कि गोचर में राहु और केतु दोनों ही नीच राशि में विराजमान थे।
- बुध को कम्युनिकेशन का कारक माना जाता है और ज्योतिष में उसे संदेशवाहक कहा जाता है।
- राहु सब चीज को ताक पर रखकर निरंकुश होने की प्रवृत्ति का द्योतक है। इसलिए यह शासनादेश लागू हुआ, जिसकी वजह से देश में आपात काल लगा।
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- एक और बात विचारणीय है कि महादशा नाथ बुध शनि के नक्षत्र में था जो कि प्रजा का कारक है और अंतर्दशा नाथ राहु सूर्य के नक्षत्र में उपस्थित था जो कि राजा का कारक है।
- आपात काल लागू करने के समय पर शनि और सूर्य एक साथ युति कर रहे थे।
- बुध ग्रह का राहु केतु के नीच प्रभाव में होना इस प्रकार राजा के द्वारा प्रजा के ऊपर इस प्रकार के कार्य का सबब बना।
- शनि को प्रजा के साथ-साथ कानून का रख वाला भी कहा जाता है और सूर्य राज तंत्र का कारक है। जनता और कानून रूपी शनि ने जब सूर्य के ऊपर शिकंजा कसने की कोशिश की तो सूर्य ने प्रजा के सामने आपात काल के रूप में एक नया अध्याय लिख दिया।
- इस प्रकार निरंकुश राहु ने बुध की मदद से शनि और सूर्य सूर्य के बीच दूरी का लाभ उठाकर देश में आपात काल लागू कराने में अहम भूमिका निभाई।
- राहु को कूटनीति का भी कारक कहा जाता है। वास्तव में यह आपात काल कूटनीति का ही एक हिस्सा था जिसमें विपक्ष को दबाने की नीति शामिल थी।
आज देश की इमरजेंसी को लगे लगभग 45 वर्ष हो गए हैं लेकिन ऐसा लगता है मानो यह अध्याय सदैव हमारे जेहन में बस गया है। हम चाह कर भी इस बात को अपने दिमाग से नहीं निकाल पाएंगे कि किस प्रकार एक शासक के द्वारा जनता को प्रताड़ित करने वाला आपात काल लगाया गया।
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अब यदि वर्तमान परिदृश्य पर नजर डाली जाए तो देश में कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति का निर्माण हुआ और लोगों का घर से निकलना बंद हो गया।
- जिस समय प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा की गई, उस समय स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा और बुध की प्रत्यंतर दशा चल रही थी।
- चंद्रमा शनि के नक्षत्र में है शनि बुध के नक्षत्र में है और बुध शनि के नक्षत्र में है।
- यह दशा क्रम में एक बात और ध्यान देने की है कि राहु और केतु ने अपनी पकड़ में सभी ग्रहों को ले रखा था।
- सूर्य पर शनि की पूर्ण दृष्टि थी। यह ग्रहों का योग था कि गवर्नमेंट को लॉक डाउन करने के लिए विवश किया।
बदलते हुए ग्रहों के घटनाक्रम को देखते हुए हम कह सकते हैं कि शीघ्र ही हम कोरोनावायरस के प्रभाव से बचने में सफलता प्राप्त करेंगे और शीघ्र ही इस वायरस के खिलाफ शक्तिशाली वैक्सीन की खोज होगी जो हमें इस खतरनाक बीमारी से निजात भी दिलाएगी और लॉकडाउन जैसी समस्या से बाहर निकालकर भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी।
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