वैदिक ज्योतिष के अनुसार भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। यह पर्व रविवार के दिन ही पड़ता है क्योंकि इस दिन को सूर्य देव की उपासना के लिए शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि भानु सप्तमी पर सूर्य देव का पूजन अत्यंत फलदायी होता है। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को दीर्घायु, आरोग्यता, धन-धान्य, विद्या आदि प्राप्त होती है और पुत्र एवं पत्नी का सहयोग मिलता है।
भानु सप्तमी का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है और यह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रविवार के दिन पड़ती है जो कि इस बार 19 नवंबर, 2023 को पड़ रही है। भानु सप्तमी को सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य देव को अनेक नामों से जाना जाता है जिनमें से एक नाम भानु है और यही वजह है कि सूर्य देव की उपासना के दिन को भानु सप्तमी कहा जाता है। मान्यता है कि भानु सप्तमी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को जीवनभर के लिए असाध्य बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।
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भानु सप्तमी पर सूर्य देव का पूजन
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भानु सप्तमी के दिन ही ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति के घर सूर्य देव ने जन्म लिया था। इस वजह से भानु सप्तमी को सूर्य देव के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार रहते हैं जिसे इंद्रधनुष के सात रंगों के रूप में दर्शाया गया है। उन्हें हिंदू धर्म के सबसे शक्तिशाली गायत्री मंत्र का स्रोत भी माना जाता है। कहते हैं कि भानु सप्तमी पर गायत्री मंत्र का जाप करने से सूर्य देव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
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भानु सप्तमी 2023 कब है
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी पड़ती है। इस बार 19 नवंबर को यह पर्व मनाया जाएगा और इस दिन भारत के कई हिस्सों में छठ का पर्व भी मनाया जाएगा। 19 नवंबर, 2023 को सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर सप्तमी तिथि आरंभ होगी और यह 20 नवंबर, 2023 को सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा इस दिन वृद्धि योग भी बन रहा है।
भानु सप्तमी पर बन रहा है शुभ योग
इस दिन वृद्धि योग बन रहा है जिसे प्रगति, बुद्धि, अवसरों और विवेक का कारक माना जाता है। 18 नवंबर की अर्धरात्रि से 02 बजकर 16 मिनट से वृद्धि योग आरंभ होगा जो कि 19 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इस योग में व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके जीवन में लगातार सुधार आता रहता है। इसे वृद्धि योग के नाम से भी जाना जाता है एवं यह कुल 27 योगों में से ग्यारहवां नित्य योग है जिसके स्वामी सूर्य देव हैं और इस बार भानु सप्तमी सूर्य देव के वृद्धि योग में पड़ रही है जिससे इस त्योहार की शुभता बढ़ जाती है।
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भानु सप्तमी की पूजन विधि
भानु सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना होता है। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पूजन की अन्य रीतियां की जाती हैं। अर्घ्य देने के दौरान सूर्य मंत्र का जाप करते हुए पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं। कुछ भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और अपने परिवार एवं प्रियजनों के अच्छे जीवन की कामना करते हैं।
भानु सप्तमी का महत्व
सूर्य देव को ताकत और ऊर्जा का कारक माना गया है इसलिए हिंदू धर्म में भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और मानसिक एवं शारीरिक शक्ति में सुधार आता है। अगर आप सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं या उन्हें प्रसन्न करने की कामना रखते हैं, तो भानु सप्तमी का दिन इसके लिए उत्त्म रहेगा।
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भानु सप्तमी पर इन चीज़ों का करें दान
इस दिन सूर्य देव से संबंधित वस्तुओं जैसे कि तांबे के बर्तन, पीले या लाल रंग के कपड़ों, गेहूं, गुड़ और लाल चंदन का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्यानुसार कुछ भी दान कर सकते हैं। अगर आपने व्रत रखा है, तो सूर्य देव की पूजा करने के बाद एक समय फलाहार ग्रहण करें।
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भानु सप्तमी के लिए ज्योतिषीय उपाय
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप भानु सप्तमी पर कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं, जैसे कि:
- तांबे के लोटे में जल भरकर, उसमें एक चुटकी लाल सिंदूर डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अपने पिता और अपने से बड़े लोगों का आदर करें।
- श्वेतार्क के पौधे या वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
- इसके अलावा भानु सप्तमी पर सूर्य नमस्कार करने का भी बहुत महत्व है।
- सूर्य देव को प्रसन्न करने या कुंडली में सूर्य के कमज़ोर स्थिति में होने पर माणिक्य रत्न पहनने की भी सलाह दी जाती है। आप भानु सप्तमी पर भी इस रत्न को पहन सकते हैं।
- सूर्य देवता की कृपा पाने के लिए लाल और केसरी रंग के वस्त्रों काे शुभ माना जाता है इसलिए आप भानु सप्तमी के दिन इन रंगों के वस्त्र पहन सकते हैं।
- इस दिन मांस-मदिरा का सेवन न करें और सात्विक भोजन लें।
- गरीब और जरूरतमंद लोगों को दवाएं दान में दें। इस उपाय से भी कुंडली में कमज़ोर सूर्य मज़बूत होता है।
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