Shani Gochar 2023: 2025 तक कुंभ सहित इन राशियों पर शनि करेंगे तांडव, जानें इस कहर से बचने के उपाय!

वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय के देवता माना जाता है क्योंकि यह मनुष्य को उनके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। सौर मंडल में शनि सबसे बड़ा ग्रह है और इसकी चाल सबसे धीमी होती है। आमतौर पर शनि को अशुभ माना जाता है, लेकिन जब कुंडली में इनकी स्थिति मजबूत होती है तो यह जातकों को कई सुख-सुविधाओं और विलासिता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वैसे तो किसी भी ग्रह का गोचर, वक्री या मार्गी होने का प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों के जीवन पर पड़ता है लेकिन शनि देव का स्थान परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण होता है।

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बता दें कि शनि देव 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। शनि जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का चरण शुरू हो जाता है। शनि की साढ़े साती का ये समय बहुत कष्टदायक होता है। शनि देव एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं। इन्हें सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में लगभग ढाई साल का वक्त लगता है। ऐसे में कुंभ राशि में शनि 2025 तक मौजूद रहेंगे। ये 29 मार्च 2025 को दूसरी राशि में प्रवेश करेंगे और तब तक यह कुंभ सहित 5 राशि वालों के लिए संकट पैदा कर सकते हैं। एस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग में हम उन राशियों के बारे मे चर्चा करेंगे जो 2025 तक संकटों से घिरी रह सकती है। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं।

विद्वान ज्योतिषियों से बात करें और जानें शनि का राशि परिवर्तन का अपने जीवन पर प्रभाव

ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व

ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, पीड़ा, बीमारी, शोक, विज्ञान, तकनीकी, सेवक, जेल आदि का कारक माना गया है। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। कुंभ इनकी मूल त्रिकोण राशि है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इनकी नीच राशि मानी जाती है। वहीं अगर नक्षत्रों की बात करें तो शनि पुष्य नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र और उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं। शनि की महादशा 19 सालों तक रहती है। इनके मित्र ग्रह शुक्र और बुध हैं। वहीं मंगल, सूर्य, चंद्रमा से इनका बैर है। बृहस्पति के साथ यह न्यूट्रल रहते हैं। ज्योतिष में शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती को बिल्कुल अनुकूल नहीं माना जाता है। सातवें भाव में शनि को दिग्बल प्राप्त होता है। यदि दिशाओं की बात की जाए तो पश्चिम दिशा पर शनि का शासन होता है। पूर्व दिशा में यह पूरी तरह से कमजोर हो जाते हैं। पौराणिक शास्त्रों में शनि को सूर्य देव का पुत्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, श्याम वर्ण के कारण सूर्य देव ने शनि को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। तभी से शनि सूर्य से शत्रु माने जाने लगे।

साल 2025 तक इन 5 राशियों को रहना होगा सावधान!

कर्क राशि

शनि देव आपके आठवें भाव में विराजमान हैं जिसके परिणामस्वरूप आपको सावधानी बरतने की जरूरत होगी। इसके साथ ही आपके लिए ढाई वर्षों की शनि ढैय्या भी शुरू हो रही है। ऐसे में जो छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान नौकरीपेशा जातकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है। साथ ही संभव है कि कार्यक्षेत्र में कई चुनौतियां झेलनी पड़े। वैवाहिक जीवन में भी आपको कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।

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कन्या राशि

शनि आपके पांचवें और छठे भाव के स्वामी हैं और यह आपके छठे भाव में मौजूद हैं। इस दौरान आपको मिले-जुले परिणाम प्राप्त होंगे। छात्रों का पढ़ाई से मन हट सकता है। हालांकि प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों को कड़ी मेहनत और कई प्रयासों के बाद सफलता मिल सकती है। सेहत के लिहाज से देखा जाए तो आपको इस गोचर के दौरान अपना ख़ास ध्यान देने की जरूरत होगी क्योंकि पाचन तंत्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं। 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लिए भी शनि की ढैय्या शुरू हो चुकी है, जो कि 2.5 वर्षों तक चलेगी। आपके लिए शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी हैं। इस दौरान आपको साल 2025 तक कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है। इस दौरान पारिवारिक संपत्ति को लेकर कुछ विवाद संभव है। पेशेवर रूप से देखा जाए तो नौकरीपेशा जातकों को अपने कार्यस्थल पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जो लोग इस अवधि में नौकरी बदलने की योजना बना रहे हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि जब तक कोई दूसरी नौकरी न मिल जाए तब तक नौकरी छोड़ने की योजना न बनाए अन्यथा बेरोजगारी से गुजरना पड़ सकता है। शिक्षा के दृष्टिकोण से, छात्रों को अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस हो सकती है। ऐसे में इधर-उधर की बातों से मन हटाकर पूरी तरह पढ़ाई पर मन लगाने की आवश्यकता होगी। जो लोग ख़ुद का बिज़नेस चला रहे हैं, उनके खर्च बढ़ सकते हैं और हानि होने की भी संभावना हो सकती है। 

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कुंभ राशि

आपके लग्न भाव के स्वामी लग्न भाव में विराजमान हैं। इस दौरान आपके लिए शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होगा। इस गोचर काल में आपको कड़ी मेहनत के बाद भी औसत परिणामों की प्राप्ति होगी। शिक्षा की बात करें तो छात्रों को इस दौरान लाभ तो होगा मगर इसके लिए पहले से अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। लग्न भाव में शनि देव का गोचर होने से आपके व्यक्तिगत संबंधों और वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि अपने गुस्से पर नियंत्रण रखें और कुछ भी बोलने से पहले अच्छे से सोच-विचार कर लें।

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मीन राशि

मीन राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो रहा है। शनि आपके ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी के रूप में आपके बारहवें भाव में बैठे हैं। ऐसे में जो लोग ख़ुद का बिज़नेस चला रहे हैं, उनके ख़र्चों में वृद्धि हो सकती है। साथ ही लाभ मिलने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। जो लोग विदेश जाने के इच्छुक हैं, उन्हें इस दौरान मौका मिल सकता है लेकिन वहां सेटल होने में कठिनाई महसूस हो सकती है। आर्थिक रूप से यह दौर आपके लिए मुश्किल भरा हो सकता है। इस दौरान बचत की कोई भी संभावना नजर नहीं आ रही है। वहीं जो लोग किसी प्रेम संबंध में हैं, उनके लिए यह समय अनुकूल न रहने की आशंका है। इस दौरान अपने पार्टनर को नजरअंदाज न करें वरना बात ब्रेकअप तक पहुंच सकती है। वहीं शिक्षा के लिहाज से इस दौरान मीन राशि के छात्रों में एकाग्रता में कमी देखने को मिल सकती है जिसकी वजह से पढ़ाई में गिरावट आने की संभावना है।

शनि ग्रह को इन उपायों से करें मजबूत

  • कुंडली से शनि देव की नकारात्मकता को दूर करने के लिए हर शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही सरसों का दीपक जलाएं।
  • शनि दोष को कम करने के लिए शनिवार के दिन लोहे का सामान, काले वस्त्र, काली उड़द की दाल, सरसों का तेल, जूते-चप्पल आदि का दान करें।
  • शनिवार के दिन मछलियों को आटा खिलाएं। इससे कुंडली में शनि का प्रभाव कम हो जाता है।
  • हर शनिवार की सुबह पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सूरज ढलने के बाद तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में थोड़ी सी काली तिल जरूर डालें।
  • शनिवार के दिन हनुमान जी को पंचमेवा का भोग लगाएं व उन्हें लाल चोला चढ़ाएं।
  • शनिवार के दिन ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ और ‘ऊं शं शनिश्चरायै नमः’ मंत्रों का जाप करें। 

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