सर्वार्थ सिद्धि योग-ध्रुव योग में आषाढ़ नवरात्रि का आगाज़-इस दौरान ये उपाय दिलाएँगे माँ की असीम कृपा!

30 जून से आषाढ़ नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं। इस दौरान माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। तो आइए अपने स्पेशल ब्लॉग के माध्यम से जान लेते हैं 30 जून से शुरू होने वाली इस आषाढ़ नवरात्रि या गुप्त नवरात्रि का घट स्थापना मुहूर्त क्या है, इसका महत्व क्या होता है, और साथ ही इस दौरान क्या कुछ उपाय करके आपको भी अपने जीवन में माँ दुर्गा की कृपा से धन, दौलत, और संपत्ति का वरदान प्राप्त हो सकता है।

आषाढ़ नवरात्रि 2022 – घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 

गुप्त नवरात्रि प्रारंभ- 30 जून, 2022 (गुरुवार) 

घट स्थापना मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 42 मिनट तक

इसके बाद 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है 

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बेहद ही शुभ योगों में शुरु हुई है आषाढ़ नवरात्रि

माँ दुर्गा की प्रसन्नता हासिल करने के लिए नवरात्रि के इस पावन पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। 1 वर्ष में कुल 4 नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है, एक शारदीय नवरात्रि, और एक चैत्र नवरात्रि होती है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ माह) 30 जून, 2022 से 9 जुलाई, 2022 तक मनाई जाएगी। यानी आषाढ़ नवरात्रि का पारण 9 जुलाई शनिवार के दिन होगा।

बात करें शुभ योगों की तो आषाढ़ नवरात्रि गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, आडल योग, विडाल योग, और ध्रुव योग के शुभ संयोग में प्रारंभ हो रही है। इन सभी योगों को ज्योतिष शास्त्र में बेहद ही शुभ माना गया है और इस दौरान किसी भी नए काम की शुरुआत करना या कोई भी धार्मिक काम करना बेहद ही फलदाई होता है। इसके अलावा यह सभी योग व्यक्ति को कार्य में सफलता दिलाते हैं, साथ ही मान सम्मान में वृद्धि कराने वाले होते हैं।

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आषाढ़ नवरात्रि पर माँ का आगमन-गमन दोनों माना जा रहा है अशुभ: जानें वजह!

प्रत्येक वर्ष नवरात्रि पर माँ दुर्गा अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं और अलग वाहन पर प्रस्थान कर जाती हैं। बात करें इस वर्ष की तो, इस वर्ष माँ दुर्गा डोला (झूले) पर सवार होकर आएंगी और पैदल प्रस्थान कर जाएंगी। ऐसे में देखा जाए तो इस वर्ष माँ का आगमन और गमन दोनों ही अशुभ सूचक माना जा रहा है।

गुप्त नवरात्रि की अवधि में माँ के भक्त श्यामा (काली), तारिणी (तारा), षोडशी (त्रिपुर सुंदरी), देवी भुवनेश्वरी, देवी छिन्नमस्ता, देवी धूमवाती, देवी बागलमुखी, माता मतंगी और देवी लक्ष्मी (कमला) की पूजा अर्चना करते हैं और माँ को प्रसन्न करते हैं। चूंकि इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा अर्चना गुप्त रूप से होती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

आषाढ़ नवरात्रि पूजा विधि 

  • गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि आधी रात में की जाती है। 
  • इस दौरान माँ दुर्गा की प्रतिमा या फिर मूर्ति पर लाल सिंदूर और चुनरी चढ़ाएँ। 
  • सभी पूजन सामग्री माँ को समर्पित करें। 
  • इसके अलावा माँ को लाल रंग के फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती, आदि समर्पित करें। 
  • इसके बाद दीपक प्रज्वलित करके  ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • अर्गला स्त्रोत का पाठ करना इस दौरान बेहद ही शुभ माना गया है।
  • पूजा करें, माँ से अपनी मनोकामना कहें और अंत में आरती उतारें।

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आषाढ़ नवरात्रि पर अवश्य आजमाएँ ये कारगर उपाय 

  • नौकरी में सफलता, पहचान, तरक्की और इंक्रीमेंट के लिए गुप्त नवरात्रि के हर एक दिन माँ  दुर्गा के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके साथ ही नौ बताशे लेकर इन पर दो-दो लौंग रख दें और इन सभी को माँ को अर्पित कर दें।
  • यदि आपके विवाह में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है या फिर विवाह नहीं हो पा रहा है तो गुप्त नवरात्रि के दौरान माँ के समक्ष घी का दीपक जलाएं और माता को लाल फूलों की माला या लाल फूल अर्पित करें।
  • जीवन में सुख, समृद्धि, और तरक्की के लिए गुप्त नवरात्रि के सभी दिन माँ दुर्गा के मंदिर जाकर लाल रंग का झंडा अर्पित करें।
  • आर्थिक संपन्नता और धन लाभ के लिए गुप्त नवरात्रि के दिनों में हनुमान भगवान को पान का बीड़ा अर्पित करें और माँ दुर्गा को पाँच तरह के सूखे मेवे, लाल चुनरी, सिंदूर, और फूल अर्पित करें।
  • जीवन में धन और समृद्धि के लिए गुप्त नवरात्रि के दौरान सोने या फिर चांदी का सिक्का घर लाने की मान्यता बताई जाती है। कहते हैं ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातकों की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करती हैं ।

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