साल के पहले सूर्यग्रहण से सावधान रहें गर्भवती महिलाएं, जानें इससे बचने के उपाय

गर्भवती महिलाओं पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव

खगोलीय रूप से सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब पृथ्वी का एक हिस्सा चंद्रमा की छाया से घिर जाता है जो सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या फिर आंशिक रूप से रोकने का काम करता है। सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा, और पृथ्वी एक ही रेखा में आ जाते हैं।

सूर्य ग्रहण का काफी महत्व माना जाता है और मनुष्य पर इसका प्रभाव भी पड़ता है। यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष तौर पर सावधान रहने की आवश्यकता होती है।

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वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। पौराणिक कथाओं में वर्णित इनके बारे में लेख से पता चलता है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण की यह घटना समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। समुद्र मंथन से अमृत निकला था। इस अमृत को असुरों ने चोरी कर लिया था। इसके बाद भगवान विष्णु ने अमृत को वापस अपने पास लेने के लिए एक सुंदर अप्सरा मोहिनी का अवतार धारण किया और असुरों को खुश करने के लिए प्रयत्न किया।

इसमें वह कामयाब भी हुए। मोहिनी रूप में उन्होंने असुरों से अमृत का कलश वापस पा लिया। इसके बाद मोहिनी रूप में भगवान विष्णु देवताओं के पास गए और देवताओं को अमृत बांटने की प्रक्रिया शुरू की। इसी दौरान असुरों में से एक असुर स्वर भानु अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं के बीच आकर बैठ गया। तभी सूर्य और चंद्रमा को इस बात का आभास हो गया कि उनके बीच एक असुर आकर बैठा है, जो देवता नहीं है।

उन्होंने इस बात की जानकारी भगवान को दे दी। यह बात जानकर भगवान विष्णु को बेहद क्रोध हुआ और उन्होंने असुर का सिर अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया। हालांकि जब तक यह सब हुआ तब तक स्वर भानू ने अमृत की कुछ बूंदों का सेवन कर लिया था इसीलिए वह अमर हो गया। हालांकि चक्र से दो हिस्से होने के चलते इन्हीं दोनों हिस्सों को राहु और केतु के रूप में जाना जाने लगा और तभी से राहु और केतु की चंद्रमा और सूर्य से दुश्मनी हो गई और समय-समय पर यह दोनों सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए सूर्य और चंद्र ग्रहण की घटना घटित करते हैं।

यही वजह है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण को ज्योतिष के अनुसार और हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है।

सूर्यग्रहण वास्तव में मानव शरीर पर शारीरिक रूप से बुरा प्रभाव डाल सकता है क्योंकि यह पृथ्वी पर जीवन और ऊर्जा का प्राथमिक सोर्स होता है और इसके बिना जीवन संभव ही नहीं है। इसके अलावा सूर्य को मनुष्य की प्राकृतिक आत्मा का कारक और गरिमा, स्वाभिमान, अहंकार का ,भी माना गया है। सूर्य ग्रह व्यक्ति का करियर, समर्पण, सहनशक्ति, जीवन शक्ति, इच्छाशक्ति, समाज में सम्मान, नेतृत्व की गुणवत्ता, आदि का कारक भी होता है इसलिए सूर्य ग्रहण के समय विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को बच्चों यानी अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की देखभाल और स्वयं के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा सतर्क और सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

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सूर्य ग्रहण की तिथि और समय 

30 अप्रैल 2022 रात (1 मई 2022, सुबह)

सूर्य ग्रहण का दिन: शनिवार/रविवार 

सूर्य ग्रहण का समय: 00:15:19 से 04:07:56 भारतीय समय अनुसार 

सूर्य ग्रहण की समय अवधि: 3 घंटे 52 मिनट

सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को इन चीजों के प्रति सावधानी बरतने की होती है विशेष जरूरत

  • ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से बचें 

सूर्य ग्रहण के दौरान किसी को भी बाहर ना जाने की सलाह दी जाती है। हालांकि विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इसके प्रति सावधान रहना होता है। यह बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जो गर्भवती महिला सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर जाती है या अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को सूर्य ग्रहण की किरणों के संपर्क में लाती है उनके शरीर पर कुछ लाल धब्बे या फिर त्वचा से संबंधित कोई समस्या होने की आशंका बनी रहती है और यह समस्या संतान के जीवन भर बनी रह सकती है इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष तौर पर गर्भवती महिलाएं ग्रहण की किरणों के संपर्क में ना आए। 

इसके लिए आप एक उपाय कर सकते हैं कि अपने खिड़कियों पर मोटे पर्दे डाल दें या फिर अखबारों और कार्डबोर्ड से उसको अच्छी तरह से ढक दें जिससे ग्रहण की किरणें आपके घर में प्रवेश न कर सकें।

  • सूर्य ग्रहण के दौरान किसी नुकीली या धारदार चीजों का प्रयोग ना करें

सूर्य ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली या धारदार चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दौरान आप कैंची, चाकू, छुरी, इत्यादि का प्रयोग करने से बचें। 

  • यदि आपका स्वास्थ्य सही हो और आपके लिए मुमकिन हो तो ग्रहण के दौरान उपवास अवश्य करें

जैसा कि माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में हानिकारक किरणों उत्पन्न होने लगती हैं जिसके चलते भोजन में भी अशुद्धियां हो सकती है इसीलिए सलाह दी जाती है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान कुछ भी खाना या फिर पीना नहीं चाहिए क्योंकि इससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 

यदि यह मुमकिन नहीं है और आप उपवास नहीं रख सकती हैं या ग्रहण की अवधि लंबी है और इस दौरान आप खाना-पीना भी परहेज नहीं कर सकते तो आप एक छोटा सा उपाय यह कर सकते हैं कि तुलसी के कुछ पत्ते खाने और पीने की चीजों में मिलाकर रख दें। इस उपाय को करने से खाना और पानी अशुद्ध होने से बचाया जा सकता है।

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  • ग्रहण के बाद स्नान करने की दी जाती है सलाह

सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण इसके बाद गर्भवती महिलाओं को पानी में सेंधा नमक डालकर उससे स्नान करने की सलाह दी जाती है। कहते हैं ऐसा करने से सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है।

  • ग्रहण के दौरान अपने पास एक नारियल रखें

गर्भवती महिलाओं को एक सलाह यह भी दी जाती है कि सूर्य ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान अपने पास एक नारियल रखें। कहा जाता है कि उससे भी आप अपने आसपास के सभी नकारात्मक उर्जा से खुद को और अपने गर्भ में पल रहे बच्चों को सुरक्षित रख सकते हैं क्योंकि यह नारियल सारी नकारात्मकता को अपने अंदर अवशोषित कर लेता है।

  • ग्रहण के दौरान ध्यान और पूजा करने की दी जाती है सलाह

सूर्य ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपनी जीभ पर तुलसी का पत्ता रखना चाहिए और गायत्री मंत्र और दुर्गा चालीसा का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्यग्रहण के अशुभ प्रभाव से आपकी और आपके गर्भ में पल रहे बच्चे की रक्षा होगी।

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  • ग्रहण के बाद दान-पुण्य अवश्य करें

हमारी वैदिक संस्कृति में दान का विशेष महत्व बताया गया है इसीलिए ग्रहण के बाद अपनी यथाशक्ति के अनुसार जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े, गुड़, लाल रंग के फल, आदि दान करने की सलाह दी जाती है।

  • मंत्र जाप अवश्य करें

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करने का धार्मिक महत्व बताया गया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रहण के बुरे प्रभावों को दूर खत्म किया जा सकता है। तो सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, सूर्य कवच स्त्रोत, आदित्य हृदय स्त्रोत, का जाप कर सकती है। इसके अलावा आप चाहे तो शिव मंत्र और संतान गोपाल मंत्र के जाप से भी आपको मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है।

हम आशा करते हैं कि सूर्य ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के संदर्भ में हमारा यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा और आप इन उपायों को करके खुद को और अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की उचित देखभाल कर पाएंगे।

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