3 शुभ योगों के साथ मनाया जायेगा दशहरा, जानें राशिनुसार उपाय

इस साल दशहरे का त्योहार कई मायनों में बेहद खास है, क्योंकि इस वर्ष दशहरे पर हो रहा है 3 बहुत ही खास योगों का निर्माण इसलिए शुभ मुहूर्त पर महिषासुर मर्दिनी माँ भगवती दुर्गा और मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम की पूजा करना जातकों के लिए विशेष रूप से फलदायी सिद्ध होगा। मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन की गई पूजा नवग्रहों को नियंत्रित कर जीवन में आने वाली कठिनाइयों और कष्टों का कम करती है। साथ ही इस दिन की गई छोटी सी यात्रा आगे आने वाले दिनों में यात्रा में होने वाली कठिनाइयों को दूर करती है। 

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भारतवर्ष त्योहारों और परम्पराओं का देश है इसलिए यहाँ रहने वाले लोग चाहे किसी भी क्षेत्र या प्रांत से हों लेकिन त्योहारों को लेकर उनकी आस्था अटूट होती है और इसी विविधता में एकता का प्रतीक है दशहरे का त्योहार। यह त्योहार सनातन धर्म में मनाया जाने वाला एक  प्रमुख त्योहार हैI कई जगहों पर इसे विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा यानि विजय दशमी का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि, जो इस वर्ष 15 अक्टूबर को है, के दिन सम्पूर्ण देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत को दर्शाता है। 

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हमारे देश के हर प्रांत, हर प्रदेश में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का स्वरुप रहता है इसलिए यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि “इस देश के कण-कण में बसते हैं राम”। भारतवर्ष में रामायण केवल एक कथा नहीं है, बल्कि एक परंपरा है। यह एक ऐसी परंपरा का साक्षात् स्वरुप है जिसमें एक आदर्श पुत्र ने पिता के वचन के लिए राजपाट छोड़ दिया और एक पिता ने पुत्र विच्छेद में प्राण त्याग दिए, एक आदर्श पति ने अपनी पत्नी की गरिमा की रक्षा के लिए आकाश पाताल एक कर दिए, एक आदर्श पत्नी ने पतिव्रत धर्म को सर्वस्व मान बलिदान और त्याग को जीवंत स्वरुप दिया, आदर्श भाइयों ने बड़े भाई की आज्ञा को  ही सर्वोपरि माना, एक आदर्श मित्र ने मृत्यु का भी भय ना किया और एक अनन्य भक्त ने अपने प्रभु प्रेम में स्वयं को सिन्दूर से रंग लिया। इसके अतिरिक्त ये समागम है मंदिर, संगीत, नाट्य कला और भक्तों के अटूट विश्वास का। 

दशहरा पर बन रहे हैं खास योग

इस बार दशहरा का त्योहार बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि इस बार दशहरा पर बन रहे हैं सर्वार्थ सिद्धि, कुमार एवं रवि योग। सर्वार्थ सिद्धि एवं कुमार योग सूर्योदय से लेकर सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक रहेगा तथा रवि योग रात्रि तक रहेगा।  

सर्वार्थ सिद्धि योग – ज्योतिषशास्त्र में सर्वार्थ सिद्धि योग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है जो किसी निश्चित वार के किसी निश्चित नक्षत्र में संयोग होने से बनता है। इस बार यह योग शुक्रवार को बन रहा है अर्थात तिथि कोई भी हो यह योग जातकों के लिए फलदायी ही रहेगा। यह मुहूर्त इतना सिद्ध मुहूर्त माना जाता है कि इसमें किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पूर्व जातकों को शुक्र अस्त, पंचक या भद्रा आदि को देखने की जरुरत नहीं होती है। कहा जाता है कि इस योग में शुरू किया गया कोई भी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होता है और व्यक्ति को इच्छित फल प्रदान करता है। इसलिए यदि आप कोई भी नया कार्य शुरू करना चाहते है तो इस दशहरे पर आप बिना सोचे उसकी शुरुआत कर सकते हैं।

रवि योग – पंचांग के अनुसार इस दशहरे पर रवि योग पूरे दिन अर्थात रात्रि तक रहने वाला है। यह भी एक बेहद शुभ योग माना जाता है। रवि योग पर सूर्य देव की उपासना जातकों के लिए शुभ परिणाम लेकर आती है। यह योग अत्यंत प्रभावशाली और मनोकामना पूर्ति करने वाला होता है। कुंडली में मौजूद ख़राब सूर्य के प्रभाव को कम करने के लिए इस दिन सूर्य को अर्घ्य देना जातकों के लिए फलदायी सिद्ध होता है। नए कार्य की शुरुआत के लिए यह योग श्रेष्ठकर होता है।

कुमार योग – कुमार योग पंचांग का शास्त्रीय योग नहीं है और यह श्रवण नक्षत्र और वार के योग से बनता है। जब सोमवार, मंगलवार, बुधवार या शुक्रवार, इनमें से कोई वार हो, प्रतिपदा, पंचमी, षष्ठी, दशमी और एकादशी तिथि हो, अश्वनी, रोहिणी, पुनर्वसु, हस्त, विशाखा, मूल, श्रवण और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र हो तो कुमार योग बनता है। जो इस बार दशहरे के दिन पर बन रहा है। यह योग मित्रता करने के लिए, पार्टनरशिप करने के लिए, जीवनसाथी को खोजने के लिए, विद्या प्रदान करने के लिए, विद्या ग्रहण करने के लिए, दीक्षा लेने के लिए या धार्मिक अनुष्ठान और व्रत करने के लिए उत्तम माना जाता है।  छात्रों के लिए यह विशेष रूप से शुभ माना गया है क्योंकि इसमें उनकी एकाग्रता अच्छी होती है।  इसलिए यदि किसी छात्र को किसी विषय को याद करने में परेशानी रहती है या कोई जातक किसी तरह के प्रतियोगी एग्जाम की तैयारी कर रहा हो तो आज के दिन की गई पढ़ाई उनके लिए लाभप्रद सिद्ध होगी। आज आप अपने विषयों को सीखने और याद रखने में सफल रहेंगे।

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दशहरा शुभ मुहूर्त

विजय मुहूर्त : 14:01:53 से 14:47:55 तक

अवधि : 0 घंटे 46 मिनट
अपराह्न मुहूर्त : 13:15:51 से 15:33:57 तक

अभिजीत मुहूर्त : 11:43:47 से 12:29:49 तक

वर्षभर जीवन में सम्पन्नता के लिए ऐसे करें दशहरे की पूजा 

  • प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत होकर गेंहूँ अथवा चूने का प्रयोग करके दशहरे की प्रतिमा बनाएं।
  • इसके पश्चात् गाय के गोबर से दो उपले बनाएं। 
  • एक पर सिक्के रखें और दूसरे पर रोली, अक्षत, जौ और फल रखें।
  • अपने बहीखातों और शस्त्रों को पूजा स्थान पर रखें और यथावत पूजा करें।
  • पूजा के पश्चात् गरीबों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।
  • रावण दहन के पश्चात् परिवार के बड़ों के चरण स्पर्श करें और उनसे आशीर्वाद लें।  
  • दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा भी अत्यंत फलदायी रहती हैI यदि निरंतर प्रयास के बाद भी आपके बिगड़े काम नहीं बन रहे तो इस दिन आप शमी के पेड़ की पूजा अवश्य करें और उसकी कुछ पत्तियां अपने पास रखें।
  • इस दिन चीटियों को चीनी या गुड़ खिलाना ज़िन्दगी की टेंशन का कम करता है।
  • इस दिन माँ काली की उपासना से बुरे सपनों से निजात के लिए मिलती है और शत्रुओं का नाश होता है। 
  • लाल रूमाल को देवी दुर्गा के चरणों में अर्पित करें और इसके पश्चात् उस रूमाल को अपने पर्स में रखेंI इससे धन सम्बन्धी समस्याएं दूर होंगी।  

क्यों है इस दिन सबसे ज्यादा शादी के योग?

दशहरा का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक तो है ही क्योंकि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने मानव स्वरुप श्री राम के रूप में राक्षसराज लंकापति रावण के साथ हुए युद्ध को जीता था। साथ ही विजय दशमी से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था इसलिए इस त्योहार की शुरुआत 9 दिन पहले से ही हो जाती है, जिसे नवरात्रि भी कहा जाता हैI प्रत्येक दिन देवी के अलग स्वरुप को समर्पित होता है। भक्तों द्वारा माँ के विभिन्न स्वरूपों की पूर्ण श्रद्धा- भक्ति से पूजा की जाती है ताकि माँ की असीम अनुकम्पा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहे। इसके पश्चात् दसवें दिन भक्तों द्वारा रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद का पुतला बनाकर पावन अग्नि से उसे जलाया जाता है। 

इस प्रकार इस दिन के महत्व को इस तरह से समझा जा सकता है कि इस विशेष दिन पर सभी प्रकार के दोष और नकारात्मकता दूर हो जाती है। सनातन धर्म में इस दिन के शुभ प्रभाव के कारण ही इसे विवाह अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि, दशहरे के दिन विवाह करने के लिए जातकों को किसी भी प्रकार के मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है। यह विशेष दिन विवाह में आने वाली बाधाओं और सभी दोषों को दूर करता है।    

भगवान श्री राम और देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए राशिनुसार अपनाएं ये उपाय

इस दिन बन रहे विशेष योगों के कारण जातकों द्वारा किये गए उपाय उनके जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आएंगे इसलिए अपनी के राशि के अनुसार इन उपायों को करके आप भी दैवीय कृपा के पात्र बन सकते हैं : 

मेष राशि – इस दिन राम स्तुति और सुन्दरकाण्ड का पाठ मेष राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से फलदायी रहेगा। इससे घर की सुख समृद्धि बढ़ेगी और समस्त पापों का नाश होगा।

वृष राशि – वृष राशि के जातक इस दिन देवी दुर्गा की उपासना करें। इस दिन दुर्गा अष्टपति का पाठ जातकों के समस्त दुखों का निवारण करते हुए इच्छित फल प्रदान करेगा।

मिथुन राशि – आज के दिन सरस्वती वंदना ज़रूर करेंI इससे माँ सरस्वती का वरद हस्त हमेशा आपके ऊपर बना रहेगा।

कर्क राशि – इस दिन प्रथम पूजनीय गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से विशेष फलों की प्राप्ति होगी । गणेश जी को मोदक अथवा बूंदी के लड्डू अत्यंत प्रिय है इसलिए कृपा पाने के लिए भोग ज़रूर लगाएं।

सिंह राशि – दशहरे के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार चने की दाल का दान अवश्य करें। साथ ही माथे पर केसर का तिलक लगाएं। 

कन्या राशि – माँ दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करें  और उनसे प्रार्थना करें कि वे अपनी कृपा दृष्टि हमेशा आपके ऊपर बनाए रखें।

तुला राशि – माँ दुर्गा को खीर का भोग लगाएं और उसके पश्चात् प्रसाद रूप में सभी परिवारजन इसे ग्रहण करें। इससे पारिवारिक रिश्तों में मिठास बनी रहेगी।  

वृश्चिक राशि – इस राशि के जातकों को प्रभु श्री राम की कृपा पाने के लिए इस दिन बहते जल में नारियल प्रवाहित करना चाहिए।

धनु राशि – घर में शांति बनाए रखने के लिए हनुमान चालीसा का 5 बार पाठ जरुर करें। बजरंग बली आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।

मकर राशि – शिवजी का जल या दूध से रुद्राभिषेक करें। उसके बाद शिव चालीसा पढ़े और सुख समृद्धि की कामना करें।

कुम्भ राशि – देवी भगवती दुर्गा को लाल दुपट्टा और श्रृंगार चढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।

मीन राशि – मीन राशि के जातक इस दिन प्रभु कृपा प्राप्त करने के लिए बहते जल में तांबे का सिक्का प्रवाहित करें।

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