क्या आप जानते हैं साल में पड़ने वाली हर एक एकादशी का होता है अलग महत्व?

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक बेहद ही शुभ फलदाई व्रत माना गया है। इसके नियम बेहद ही सरल होते हैं और इसे करना बेहद आसान होता है। कहते हैं एकादशी व्रत भगवान विष्णु को बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और नियम पूर्वक इस व्रत को करता है उसे भगवान विष्णु की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। एकादशी व्रत प्रत्येक माह में दो बार किया जाता है यानी कि 1 वर्ष में कुल 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं।

हालांकि हर तीसरे साल अधिक मास होने के चलते एकादशी की संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है। साल में पड़ने वाली अलग-अलग एकादशी के नाम और महत्व अलग-अलग होते हैं। तो आइए जानते हैं की एकादशी व्रत का महत्व क्या होता है और साल में पड़ने वाली अलग-अलग एकादशी से व्यक्ति को क्या फल प्राप्त होता है।

एकादशी व्रत का महत्व 

जो कोई भी व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे निरोगी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति को पाप और कष्ट से छुटकारा मिलता है। उसके अनजाने में भी किये गए पापों का नाश होता है, कष्ट परेशानियों और संकट दूर होते हैं, सौभाग्य मिलता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है, विवाह में आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा दूर होती है, दरिद्रता दूर होती है, पितृ प्रसन्न होते हैं, भाग्य चमकता है, समस्त मनोकामना की प्राप्ति होती है, संतान की प्राप्ति होती है, शत्रुओं का नाश होता है इत्यादि।

जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट

अलग-अलग एकादशी से मिलने वाले अलग-अलग फल 

  • सबसे पहले बात करते हैं पौष माह में की जाने वाली एकादशी की, पौष माह में सफला और पुत्रदा एकादशी की जाती है और इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ से मिलने वाले फल के समान फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत बेहद ही उपयुक्त माना गया है।
  • इसके बाद आती है षटतिला एकादशी और जया एकादशी जो माघ महीने में की जाती है। जहां षटतिला एकादशी दुर्भाग्य, दरिद्रता और कष्ट दूर करती है वहीं जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से ब्रह्महत्या और पाप से छुटकारा मिलता है।
  • इसके बाद आती है विजया एकादशी और आमलकी एकादशी जो फागुन माह में की जाती है। विजया एकादशी का व्रत करने से इंसान को जीवन में हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है वहीं आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति और रोगों से छुटकारा मिलता है और हर काम में सफलता मिलती है।
  • इसके बाद चैत्र माह में कामदा और पापमोचनी एकादशी की जाती है। कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को राक्षस योनि से छुटकारा मिलता है और पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप दूर होते हैं।
  • इसके बाद वरुथिनी और मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है जो कि वैशाख माह में पड़ती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है वहीं मोहिनी एकादशी का व्रत करने से विवाह में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा दूर होती है, जीवन में सुख समृद्धि और शांति आती है।
  • इसके बाद जेष्ठ माह में अपरा और निर्जला एकादशी की जाती है। जहां अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां बनी रहती है वहीं निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को हर एक मनोकामना की पूर्ति होती है।
  • इसके बाद आती है योगिनी और देवशयनी एकादशी जो आषाढ़ माह में की जाती है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है, पापों का नाश होता है, वहीं देवशयनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  • श्रावण माह में कामिका और पुत्रदा एकादशी की जाती है। जहां कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पाप दूर होते हैं वहीं पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
  • इसके बाद भाद्रपद माह में अजा और परिवर्तिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। जहां अजा एकादशी का व्रत करने से जीवन से दरिद्रता दूर होती है और भाग्योदय होता है वहीं परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं।
  • इसके बाद आश्विन माह में इंदिरा और पापांकुशा एकादशी का व्रत किया जाता है।  जहां इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति प्राप्त होती है वहीं पापांकुशा एकादशी से व्यक्ति के सभी पाप दूर होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
  • इसके बाद कार्तिक माह में रमा और प्रबोधिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। रमा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और ऐश्वर्य बना रहता है वहीं देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के भाग्योदय होता है।
  • इसके बाद आता है मार्गशीर्ष मास जिसमें उत्पन्ना और मोक्षदा एकादशी की जाती है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को हजारों यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है वहीं मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • इसके बाद आता है पौष माह जिसमें सफला एकादशी की जाती है। सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को हर एक काम में सफलता की प्राप्ति होती है।
  • इसके बाद बात करते हैं अधिक मास की। अधिक मास में पद्मिनी या कमला एकादशी और परमा एकादशी का व्रत किया जाता है। कमला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं वहीं परमा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और उसके सभी पापों का नाश होता है।

एकादशी 2021 संपूर्ण सूची

एकादशी महत्व और अलग-अलग एकादशी से मिलने वाले फलों के बाद अब जानते हैं इस वर्ष कौन सी एकादशी किस दिन पड़ रही है। इससे संबंधित संपूर्ण सूची हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।

शनिवार, 09 जनवरी सफला एकादशी

रविवार, 24 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी

रविवार, 07 फरवरी षटतिला एकादशी

मंगलवार, 23 फरवरी जया एकादशी

मंगलवार, 09 मार्च विजया एकादशी

गुरुवार, 25 मार्च आमलकी एकादशी

बुधवार, 07 अप्रैल पापमोचिनी एकादशी

शुक्रवार, 23 अप्रैल कामदा एकादशी

शुक्रवार, 07 मई वरुथिनी एकादशी

यह भी पढ़ें: जानिए वरुथिनी एकादशी पर्व का महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथा

रविवार, 23 मई             मोहिनी एकादशी

रविवार, 06 जून             अपरा एकादशी

सोमवार, 21 जून निर्जला एकादशी

सोमवार, 05 जुलाई योगिनी एकादशी

मंगलवार, 20 जुलाई देवशयनी एकादशी

बुधवार, 04 अगस्त कामिका एकादशी

बुधवार, 18 अगस्त श्रावण पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 03 सितंबर अजा एकादशी

शुक्रवार, 17 सितंबर परिवर्तिनी एकादशी

शनिवार, 02 अक्टूबर इन्दिरा एकादशी

शनिवार, 16 अक्टूबर पापांकुशा एकादशी

सोमवार, 01 नवंबर रमा एकादशी

रविवार, 14 नवंबर देवुत्थान एकादशी

मंगलवार, 30 नवंबर उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 14 दिसंबर मोक्षदा एकादशी

गुरुवार, 30 दिसंबर सफला एकादशी

यह भी पढ़ें: वरुथिनी एकादशी 2021: इस दिन अवश्य करें तुलसी के पत्ते के ये उपाय, मिलेगी भगवान विष्णु की असीम कृपा

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.