Bhishma Ashtami 2021: माघ माह की शुक्ल अष्टमी पर भारतीय महाकाव्य महाभारत के सबसे प्रमुख पात्र भीष्म पितामह की पुण्यतिथि होती है। इस साल 2001 में भीष्म अष्टमी शुक्रवार के दिन 19 फरवरी को है। महाभारत में भीष्म एक अजेय योद्धा थे, जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। महाभारत के मुताबिक भीष्म पितामह ने आठ दिनों तक शरशैया पर लेटने के पश्चात सूर्य उत्तरायण के बाद अपना देह त्याग दिया था। ऐसा माना जाता है, की जिस दिन भीष्म पितामह ने अपना देह त्याग किया था, उस दिन माघ माह की शुक्ल अष्टमी थी, इसलिए इस दिन भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। हिन्दू मान्यता के मुताबिक भीष्म अष्टमी के दिन पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से व्यक्ति को संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है। महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह देवी गंगा और राजा शांतनु के पुत्र है, और भीष्म अष्टमी के दिन निमित्त तर्पण करने से व्यक्ति के साल भर के पाप मिट जाते है । भीष्म अष्टमी के दिन पितरों का तर्पण करने से पितृदोष से भी निवारण मिलता है।
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 19 फरवरी, 2021 को 10:58 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त- 20 फरवरी, 2021 को 01:31 बजे तक
शुभ मुहूर्त- सुबह 11:27 से रात 01:43 तक
कुल अवधी- 2 घंटे 16 मिनट
यह भी पढ़े- कार्तिक अष्टमी के दिन ही क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी? जानें व्रत कथा
भीष्म अष्टमी का महत्व
हिन्दू धर्म में भीष्म अष्टमी के दिन को बेहद शुभ माना गया है ।और इस दिन पर व्यक्ति हर शुभ काम की शुरूआत कर सकता है, भीष्म अष्टमी के दिन अनुष्ठान करने से पितृ दोष मुक्त हो जाते है। निसंतान जोड़े को भीष्म अष्टमी के दिन व्रत तप करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। भक्तगण का ऐसा मानना है, कि भीष्म अष्टमी के दिन पूजा-अर्चना करने से भीष्म पितामह का दिव्य आशीर्वाद मिलता है। भीष्म अष्टमी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ अनुष्ठान करने और व्रत रखेन से संस्कारी पुत्र की प्राप्ति होती है, और व्यक्ति को पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार गंगा पुत्र युद्ध के दौरान 8 दिनों तक शरशैया पर लेट कर इस शुभ दिन का इंतजार किया था, और फिर इस माघ माह की शुक्ल अष्टमी के दिन अपना देह त्याग किया था। और उसी दिन से यह दिन भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर भीष्म पितामह की पुण्यतिथि मनाई जाती है। भीष्म अष्टमी के दिन किसी बच्चे का जन्म होता है, तो वह बच्चा आगे चलकर बहुत तेजस्वी और आज्ञाकारी बनता है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से गंगा पुत्र का आशीर्वाद मिलता है, और संतान सुख की प्राप्ति होती है । भीष्म अष्टमी के दिन भारत के अलग-अलग राज्यों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
भीष्म अष्टमी पर पूजा और व्रत करने से लाभ
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से व्यक्ति को आज्ञाकारी और संस्कारी संतान प्राप्त होने का आशीर्वाद मिलता है।
- भीष्म अष्टमी की पूर्व संध्या पर यदि व्यक्ति पूजा-पाठ कर सभी तप- तर्पण करता है, सभी जरूरी अनुष्ठान करता है, तो उसके पहले के और वर्तमान के सभी पापों से उसको छुटकारा मिल जाता है, और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
- इस दिन व्रत करने और पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
राधा अष्टमी व्रत: जानें राधा जी के जन्म से जुड़ी इस पौराणिक कथा और व्रत विधि को