गायत्री जयंती 2020: आज ज़रूर करें माँ गायत्री की पूजा, होंगी हर कामना पूरी!

गायत्री जयंती, हर साल महीने श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ऐसा कहते हैं कि इसी दिन माता गायत्री का अवतरण हुआ था। इस साल 3 अगस्त, सोमवार को गायंत्री जयंती है। साथ ही साथ इस दिन श्रावण पूर्णिमा व्रत और रक्षाबंधन भी है। इतने सारे महत्वपूर्ण त्योहारों को ध्यान में रखते हुए एस्ट्रोसेज लाया हैरक्षाबंधन मेगा सेल”, जिसमें आप पाएंगे ढेरों ऑफर्स और बंपर छूट। ज़्यादा जानकरी के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें!

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गायत्री जयंती के दिन को लेकर अलग-अलग मतों कि वजह से कुछ जगहों पर गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी या एकादशी तिथि को भी मनाते हैं। इस दिन माता की कृपा पाने के लिए भक्त विधि-विधान से गायत्री मंत्र का जाप, गायत्री चालीसा का पाठ और गायत्री आरती का गान करते हुए माता गायत्री की पूजा-आराधना करते हैं। ऐसे में अगर आपको इस दिन से जुड़ा कोई सवाल है, तो उसका जवाब जानने के लिए यहां क्लिक करें और हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से परामर्श पाएं।

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इस लेख में आज के दिन से जुड़ी बातें आपको बताएँगे उससे पहले चलिए पढ़ लेते हैं गायत्री मंत्र- 

गायत्री मंत्र 

ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

अर्थात – उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सही मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

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हिन्दू धर्म में अधिकांश लोग लगभग हर दिन ही वेदों का सार कहे जाने वाले गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। यह एक ऐसा मंत्र है, जो शायद बच्चों तक को याद होता है। गायत्री मंत्र को हर समस्या का उपाय कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों का ज्ञान लेने जितना ज्ञान मिलता जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मंत्र जिस माता गायत्री को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है वो माता आखिर कौन हैं? चलिए आपको आज इस लेख के माध्यम से माता गायत्री और गायत्री जयंती के विषय में विस्तार से सब कुछ बताते हैं –

कौन हैं माता गायत्री?

माता गायत्री को वेदमाता कहा जाता है। इनसे ही चारों वेद(ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्व), श्रुतियाँ और शास्त्रों की उत्पति मानी जाती है। हिन्दू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार त्रिदेवों यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य भी माँ गायत्री को ही मानते हैं, इसीलिए इन्हें देवमाता भी कहा जाता है। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार ये ब्रह्मा जी की दूसरी पत्नी और माता लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती का अवतार हैं। देवी गायत्री के पास ज्ञान का भंडार है, इसीलिए इन्हें ज्ञान-गंगा भी कहते हैं। आरंभ में देवी गायत्री सिर्फ देवताओं तक सीमित थी, लेकिन ऋषि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या कर के माता गायत्री की महिमा को लोगों तक पंहुचाया।

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गायत्री जयंती का धार्मिक महत्व

गायत्री जयंती का दिन बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन माता गायत्री का अवतरण हुआ था। मां गायत्री को अथर्ववेद में शक्ति, कीर्ति, आयु, प्राण, धन व् तेज प्रदान करने वाली देवी कहा गया है। महाभारत के रचयिता वेद व्यास ने समस्त वेदों का सार गायत्री को बताया है। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से देवी की प्रार्थना करें तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इसीलिए गायत्री जयंती के दिन लोग बहुत ही धूमधाम और विधि-विधान से माता गायत्री की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। माता को अपनी सच्ची भक्ति से खुश कर लिया जाए, तो यह कामधेनू (इच्छा पूरी करने वाली दैवीय गाय) के समान है। 

गायत्री जयंती के दिन मनाए जाएंगे दो बड़े त्यौहार  

गायत्री जयंती के शुभ दिन पर इस साल रक्षाबंधन और श्रावण पूर्णिमा व्रत भी मनाया जायेगा। रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। इस दिन बहने अपनी भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और यह कामना करती है कि उनका भाई हमेशा दीर्घायु, समृद्ध और खुशहाल रहे। भाई भी अपनी बहनों को आजीवन उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। 

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इसके अलावा गायत्री जयंती के दिन ही श्रावण पूर्णिमा व्रत भी मनाया जायेगा। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा करने का विधान है। अमरनाथ यात्रा का समापन भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही होता है। इस दिन लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। इस दिन कुछ जगहों पर यज्ञ, पूजन और उपनयन संस्कार करते हैं। यह दिन जप-तप, दान-दक्षिणा और चंद्र दोष से मुक्ति के लिए उत्तम मानी जाती है। कुलमिलाकर देखा जाये तो इस साल गायत्री जयंती का दिन देवताओं की आराधना और अनेक धार्मिक कर्मों के लिए श्रेष्ठ है। 

पढ़ें श्रावण पूर्णिमा व्रत का महत्व और इस दिन किए जानें वाले धार्मिक कर्मों के बारे में

ब्रह्मा जी ने किया था माँ गायत्री से विवाह

माता गायत्री ब्रह्मा जी की पत्नी मानी जाती हैं। जिस बात का जिक्र धार्मिक ग्रंथों की एक  कथा में मिलता है, जिसके अनुसार, एक बार एक भारी यज्ञ का आयोजन हुआ, स्वयं ब्रह्मा जी उस यज्ञ में शामिल होने गए। ऐसी मान्यता है कि यदि धार्मिक कार्यों में यदि शादीशुदा व्यक्ति के साथ उसकी पत्नी मौजूद हो तो वह कार्य और पूजा अधिक शुभ और फलदायी हो जाता है और उसका फल अवश्य मिलता है। लेकिन किसी कारण से उस समय ब्रह्मा जी की पत्नी देवी सावित्री वहाँ मौजूद नहीं थी। ब्रह्मा जी को उस यज्ञ में शामिल होना था,  इसलिए उन्होंने वहाँ उपस्थित माता गायत्री से विवाह कर लिया। 

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आज करें पितृदोष और कालसर्प दोष का उपाय

गायत्री जयंती के दिन जिन लोगों पर कोई दोष, ग्रहण योग, मानसिक अशांति या फिर किसी ग्रह का बुरा प्रभाव हो, तो उससे जुड़े कुछ उपाय भी किए जाते हैं। ‘गायत्री’ (गायत्री मंत्र) जो महाकाली भी कहलाती हैं, उन्हें शिव जी को प्रसन्न करने वाली शक्ति माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में  कालसर्प दोष, पितृदोष हो, या फिर राहु-केतु तथा शनि का बुरा प्रभाव हो और जातक मानसिक रूप से विचलित रहता हो, तो उसे भगवान शिव की आराधना गायत्री मंत्र से करनी चाहिए। भगवान शिव की शास्त्रों में वर्णित नीचे दिया शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल और बहुत प्रभावशाली है।

मंत्र – ‘ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।’

इस मंत्र का जाप करने का कोई विशेष विधि-विधान नहीं है। आप आज से या फिर किसी भी सोमवार से इस मंत्र को प्रारंभ कर सकते हैं। बस एक बात का खास ध्यान रखें कि  शिव गायत्री मंत्र का जाप एकाग्रचित्त होकर शिवजी के सामने घी का दीपक जलाकर ही करें। यदि कोई सामान्य व्यक्ति भी सच्चे मन से यह मंत्र प्रतिदिन जाप करे, तो भविष्य में उसे कोई कष्ट नहीं आएगा और मानसिक शांति, यश, समृद्धि, की प्राप्ति होगी। शिव जी और माता गायत्री की कृपा उस व्यक्ति पर हमेशा बनी रहेगी।

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गायत्री जयंती के दिन इस विधि से करें पूजा 

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, कुंड या तालाब में स्नान करें। यदि ऐसा संभव ना हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें। 
  • नहाने के बाद साफ़ वस्त्र पहन लें और हाथ में जल लेकर व्रत के लिए संकल्प लें।
  • आज के दिन माँ गायत्री की विधि-विधान से पूजा करें।
  • अब गायत्री चालीसा का पाठ करें।
  • इसके बाद गायत्री मन्त्र का जाप करके हवन करें। 
  • श्री आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी करें। 
  • पूजा के समापन के समय गायत्री आरती का पाठ करें।
  • गायत्री जयंती के दिन अन्न, गुड़ और गेहूँ का दान करना शुभ माना जाता है।
  • इस दिन भंडारे का आयोजन करें और लोगों को मीठा शरबत बांटें।

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हम आशा करते हैं कि गायत्री जंयती के बारे में इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। गायत्री जयंती की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!

एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद। 

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