धरती पर जब भी अधर्म, पाप और अन्याय बढ़ा है, तब किसी न किसी रूप में भगवान ने धरती पर प्रकट होकर पाप का नाश किया है। वामन अवतार, नरसिंह अवतार और मत्स्य अवतार आदि इस बात के प्रमाण हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार जब कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा, तब विष्णु जी कल्कि अवतार लेंगे और कलयुग का अंत कर, धर्मयुग की स्थापना करेंगे। आज भी लोगों के लिए कल्कि अवतार एक रहस्य है। लोगों के मन में इस अवतार को लेकर कई तरह की जिज्ञासाएं पाई जाती हैं। सभी यह जानना चाहता हैं, कि आखिर भगवान विष्णु अपना कल्कि अवतार कब और कहाँ लेंगे? उनका रूप कैसा होगा और उनका वाहन क्या होगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको श्रीमद्भागवत गीता में मिलेंगे। आज इस लेख में हम आपको इन्हीं सब बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भगवान विष्णु का कल्कि अवतार
श्री विष्णु सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं। जब-जब अधर्म बढ़ता है, वो कोई न कोई अवतार लेकर पाप नाश करते हैं। शास्त्रों में भगवान विष्णु के 10 अवतार के बारे में जानकारी मिलती है। माना जाता है कि 9 अवतार अब तक हो चुके हैं, और विष्णु का दसवां अवतार कलयुग के अंत में होगा। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु का दसवां अवतार “कल्कि” रूप में होने वाला है। श्रीमद्भागवत-महापुराण के बारहवें स्कन्द में दिए गए श्लोक में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के विषय में बताया गया है।
कब और किस दिन होगा कल्कि अवतार
धर्मग्रंथो में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की जन्म तिथि बताई गई है। उसके अनुसार भगवान सावन माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को जन्म लेंगे। भगवान कल्कि उस समय धरती में अवतरित होंगे, जब कलयुग अपने अंतिम चरण में होगा और सतयुग का प्रारम्भ होने वाला होगा। भगवान विष्णु का कल्कि अवतार सभी 64 कलाओं से युक्त होगा। इस अवतार में भगवान का वाहन एक घोड़ा होगा, जिसका नाम देवदत्त रहेगा। श्रीमद्भागवत-महापुराण के श्लोक के अनुसार कल्कि भगवान का जन्म शम्भल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक उदार और भगवतभक्ति ब्राह्मण के घर होगा ।
कहाँ है भगवान कल्कि का मंदिर
श्रीमद्भागवत-महापुराण में बताए श्लोक के अनुसार भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की जगह आज उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले में संभल नाम से मौजूद है। यहीं पर भगवान विष्णु अपना दसवां अवतार लेंगे। यहाँ पर भगवान कल्कि का एक प्राचीन मंदिर भी मौजूद है। बता दें कि इस मंदिर में मौजूद भगवान कल्कि की मूर्ति को वहां के पुजारी के अलावा कोई और नहीं छू सकता है। सभी भक्त दूर से ही भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इस मन्दिर परिसर में भगवान शिव का भी एक मंदिर है, जहाँ भगवान शिव की मूछों वाली प्रतिमा मौजूद है।
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