सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ पर जानें मुहूर्त व पूजा विधि

करवा चौथ हिन्दू समाज मे सुहागिन स्त्रियों द्वारा किये जाना वाला एक प्रमुख व्रत है। वामन पुराण मे करवा चौथ व्रत का वर्णन आता है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल विवाहित महिलाओ द्वारा ही किये जाना वाला एक मात्र व्रत है। यह व्रत मुख्यतः पंजाब,उत्तर-प्रदेश,मध्य प्रदेश, बिहार एवमं राजस्थान मे किया जाता है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होकर रात्रि में चन्द्रदर्शन के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देने की बाद ही सम्पूर्ण होता है। भारत वर्ष में नारियां करवा चौथ का व्रत बड़ी श्रद्धा एवमं उत्साह के साथ करती हैं। ज्यादातर महिलाएं व्रत निराहार एवमं निर्जला रहकर करती है। लेकिन शहरों मे कुछ महिलाये जल पीकर भी व्रत करती है तथा चन्द्रोदय के उपरान्त चन्द्रदर्शन, और अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर ही भोजन करती हैं। 

करवा चौथ का मुहूर्त

करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। चतुर्थी चन्द्रोदय व्यापिनी ली जाती है। इस वर्ष करवा चौथ 17 अक्तूबर 2020  गुरूवार को है। करवा चौथ व्रत मे शिव –शिवा, स्वामी कार्तिक और चन्द्रमा का पूजन करना चाहिये। करवा चौथ मे भी गणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात मे चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरात ही भोजन करने का विधान है।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त : 17:50:03 से 18:58:47 तक
अवधि : 1 घंटे 8 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय : 20:15:59

कई ज्योतिषियों के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष का चंद्रमा नारी जीवन के लिए काफी उपयोगी साबित होता है। इस दिन का चंद्रमा नारी के अंत:अंग को प्रभावित करता है। इसके प्रभाव से नारी के स्‍वस्‍थ्‍य और सुन्‍दर संतान होती है। साथ ही नारी का चिड़जिड़ापन चला जाता है। अर्थ यह कि करवाचौथ का व्रत पति के लिए तो है ही, महिलाओं के लिए भी स्‍वस्‍थ्‍यदायी है। 

व्रत की विधि:

करवा चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाएं प्रातः स्नानादि नित्य कर्म करके ” मम सुख सौभाग्यपुत्रपुत्रादि सुस्थिर्श्रीप्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये” संकल्प करे तथा अपने पति की आयु आरोग्य सौभाग्य की प्रार्थना करके दिन भर सुबिधानुसार निराहार या निर्जला व्रत करे। दिन उत्साह तथा प्रसन्न रह कर बिताये और हाथों एवमं पैरों में मेहन्दी आदि द्रब्यो से अपना पूर्ण श्रृंगार करें। तदनन्तर शाम को भगवान शिव पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवम चन्द्रमा का पूजन करे।

  • पूजन करने के लिये बालू या सफ़ेद मिट्टी की बेदी बना कर उस पर उपरोक्त वर्णित देवों की मूर्ती या सुपाड़ी मे मौली लपेट कर प्रतिष्टा करें। 
  • नैवैद्य के लिये खाड के 1 3 करवे या लड्डू बनायें। 
  • एक लोटा, एक वस्त्र तथा एक विशेष करवा भी रखें। 
  • पूजन या तो किसी योग्य ब्राहमण को बुला कर कराये या स्वयं निम्न मन्त्रों द्वारा करे-

ओम शिवायै नमः से पार्वती का, ओम नमः शिवायः से शिवजी का, ॐ षडमुखाय नमः से स्वामी कार्तिकेय का, ॐ गणेशाय नमः से गणेश का तथा ॐ सोमाय नमः से चन्द्रमा का पूजन पंचोपचर या शोडषोप्चार से करें। 

  • इसके बाद व्रत कथा को पढ़ें या सुने। 
  • उसके बाद रात्रिकाल में चन्द्रमा उदय होने पर चन्द्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें।
  • इसके बाद ब्राह्मण, सुहागन स्त्रियों एवमं पति के माता पिताजी को भोजन करायें।
  • भोजन के पश्चात ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा दें। विशेष करवा, एक वस्त्र तथा लोटा पति की माता जी(सासू) को भेंट कर उनका आशीर्वाद लें।
  • अगर सासू मां जीवित न हों तो उन्के तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेट कर दें।
  • इसके बाद स्वयं एवमं परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें।

करवा चौथ व्रत कथा:

बैसे तो करवा चौथ के लिए बहुत सी कथायें प्रचलित है, परन्तु यहां हम सर्वाधिक प्रचलन वाली कथा का उल्लेख करेंगे। जिसके अनुसार एक समय  की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन थी। बहन का नाम वीरवती था। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना कार्य बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। तब उसके भाइयों ने पीपल की आड मे महताब(आतिश बाजी) आदि का सुन्दर प्रकाश फैला कर बनाबटी चन्द्रोदय दिखला दिया और वीरवती को भोजन करवा दिया। परिणाम यह हुआ कि उसका पति तुरन्त अलक्षित( अदृश्य) हो गया। फिर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत किया तथा अगली साल फिर करवा चौथ आने पर उसने व्रत किया और अपने पति को पुनः प्राप्त किया।

हम आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

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