हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि के छठे दिन विशेष रूप से माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी माँ के विभिन्न नौ रूपों में से चार भुजाओं वाली देवी माता कात्यायनी को सभी प्रकार के रोग, शोक, संताप, भय नष्ट करने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए धारण किया था। माता का यह रूप काफ़ी हिंसक माना गया है, इसलिए माँ कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहा जाता है। माँ के इस रूप की पूजा करने से कुंडली में मौजूद खराब बृहस्पति भी शुभ फल देने लगता है।
आज हम आपको माँ कात्यायनी की महिमा और पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं किस प्रकार से की जाए माँ के इस रूप की पूजा अर्चना।
माता कात्यायनी का स्वरुप
माँ कात्यायनी मुख्य रूप से शेर की सवारी करती हैं, जो कि गर्जती हुई मुद्रा में है। माता की चार भुजाएँ हैं। इनके बाएँ दो हाथों में कमल और तलवार है, जबकि दाहिने के दो हाथों से इन्होंने वरद और अभय मुद्रा धारण की हुईं हैं। मां अपने दो हाथों से अपने भक्तों को आर्शीवाद दे रही हैं। माता का शरीर लाल वस्त्र और आभूषणों से सुशोभित है।
माता कात्यायनी के पूजा का महत्व
ऐसी मान्यता है कि, नवरात्रि के छठे दिन देवी माँ के इस रूप की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आ रही सभी बाधाएं समाप्त हो जाती और उसे एक सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह खराब हो तो उसे मां कात्यायनी की पूजा करने से बृहस्पति के शुभ फल मिलने लगते हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति का आज्ञा चक्र भी जाग्रित होता है। मां की उपासना से शोक, संताप, भय आदि जैसी चीज़ें नष्ट हो जाती हैं।
आज इस प्रकार से करें माँ कात्यायनी की पूजा
- नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ़ कपड़े पहने।
- इसके बाद पूजा स्थल की साफ़ सफाई करें और एक कलश की स्थापना करके पहले सभी देवताओं की पूजा करें, उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करें।
- पूजा शुरु करने से पहले साधक हाथ में फूल लेकर नीचे बताये गए मंत्र का जाप करें और मंत्र का उच्चारण करते हुए फूल को माँ के चरणों में चढ़ा दें
“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
- मंत्रोउच्चारण के बाद मां को लाल वस्त्र, 3 हल्दी की गांठ, पीले रंग का फूल, फल, नैवेध आदि चढा दें और मां कि पूजा करें। पूजा के दौरान माता कात्यायनी की कथा ज़रूर सुने।
- अंत में माता की आरती उतारें और मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगा दें। भोग लगाने के बाद सभी लोगों में प्रसाद बाँट दें।
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