आज पितृमोक्ष आमवस्या के दिन ना भूलें इन दस पितरों का श्राद्ध करना, जानें संपूर्ण विधि !

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार श्राद्धपक्ष का आखिरी दिन पितृमोक्ष अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। आज के दिन विशेष रूप से उन पितरों के लिए श्राद्धकर्म किये जाते हैं जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इसके साथ ही साथ दस ऐसे भी पितर हैं जिनके पिंडदान और तर्पण की क्रिया आज के दिन करना विशेष लाभकारी माना जाता है। आज हम आपको उन्हीं पितरों के बारे में बताने जा रहे हैं और साथ ही आपको बताएंगे की आज किस प्रकार से तर्पण की क्रिया की जानी चाहिए। 

सर्वपितृ अमावस्या 2019: पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय !

आज इस विधि से करें पितरों का तर्पण 

आज पितरों के तर्पण के लिए विशेष रूप से सबसे पहले आवश्यक सामग्रियों को जुटाना महत्वपूर्ण है। तर्पण क्रिया के लिए आपको दो पीतल के लिए पात्र लेने होंगें, एक जिसमें तर्पण की क्रिया की जायेगी और दूसरे में जल रखा जाएगा। इसके अलावा थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चावल, काले तिल और जौ रख लें। इसके बाद पितृ पूजा के लिए आसन लगाएं और पितरों की फोटो रखें इसके बाद कलश स्थापित करें और दीया रखें। इसके बाद पितृ मंत्रों के उच्चारण के साथ ही तर्पण विधि को संपन्न करें। 

आज के दिन इन दस पितरों का श्राद्ध जरूर करें 

पिता : हाथों में जल लेकर “अस्मितवपिता अमुकशर्मा अमुकसगोत्रो वासुरूपसतृप्तां। इदं सतिलं जलं तस्मै स्वधाः नमः” मंत्र का जाप करें और पितृ पिता के आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। 

दादा : आज के दिन दादा के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। उनके लिए मुख्य रूप से आपको हाथों में जल लेकर “अस्मत्पितामह अमुकशर्मा अमुकसगोत्रो रुद्ररूपस्तृप्यताम्। इदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा नमः” मंत्र का जाप करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। 

श्राद्ध के आखिरी दिन इस प्रकार से करें पितरों के आत्मा की शांति के उपाय !

परदादा : हिन्दू धर्म के अनुसार सभी पूर्वजों में सबसे ख़ास परदादा को माना जाता है। उनके लिए आज के दिन तर्पण क्रिया करते समय हाथों में जल लेकर “अस्मत्प्रपितामहः अमुकशर्मा अमुकसगोत्रो वसुरूपस्तृप्यताम्। इदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा नमः॥” मंत्र का जाप करें। 

माँ : माँ के लिए आज के दिन दिन हाथों में जल लेकर “अस्मन्माता अमुकी देवी दा अमुक सगोत्रा गायत्रीरूपा तृप्यताम्।इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः “ मंत्र का जाप करते हुए तर्पण की क्रिया करें। पितृपक्ष में माता के लिए तर्पण क्रिया करने से मातृ ऋण से भी छुटकारा मिलता है। 

दादी : दादी के लिए आज के दिन विशेष रूप से हाथों में जल लेकर “अस्मत्पितामही अमुकी देवी दा अमुक सगोत्रा सावित्रीरूपा तृप्यताम्। इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः” मंत्र का जाप करते हुए तर्पण करें। 

परदादी : परदादी के लिए आज के दिन विशेष रूप से “अस्मत्प्रत्पितामही (परदादी) अमुकी देवी दा अमुक सगोत्रा लक्ष्मीरूपा तृप्यताम्।। इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः” मंत्र का जाप करते हुए तर्पण क्रिया करें। 

पत्नी : मृत पत्नी के लिए आज के दिन विशेष रूप से “अस्मत्पतनी अमुकी देवी दा अमुक सगोत्रा वसुरूपा तृप्यताम्।। इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः “ मंत्र का जाप करते हुए तर्पण क्रिया करें। 

बेटा : बेटे के लिए आज के दिन विशेष रूप से बेटे के लिए “अस्मत्सुतः (बेटा) अमुकशर्मा अमुकसगोत्रो वसुरूपस्तृप्यताम्।। इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः॥ सतिलं जलं तस्मै स्वधा नमः” मंत्र का जाप करते हुए तर्पण क्रिया करें। 

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बेटी : हाथों में जल लेकर पितृ बेटी के लिए “ अस्मत्कन्याः (बेटी) अमुकी देवी दा अमुक सगोत्रा वसुरूपा तृप्यताम्।। इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः “ मंत्र का जाप करते हुए तर्पण की क्रिया करें। 

चाचा :  आज के दिन मृत चाचा के लिए भी तर्पण की क्रिया करनी चाहिए। इसके लिए हाथों में जल लेकर विशेष रूप से “ अस्मत्पितृव्यः अमुकशर्मा अमुकसगोत्रो वुसरूपस्तृप्यताम्। इदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा नमः” मंत्र का जाप करते हुए तर्पण करें। 

मामा : मामा के लिए आज के दिन “अस्मन्मातुलः अमुकशर्मा अमुकसगोत्रो वुसरूपस्तृप्यताम् ।। इदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा नमः “ मंत्र का जाप करते हुए हाथों में जल लेकर तर्पण क्रिया करें।

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