अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 18 मई से 24 मई, 2025

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 18 मई से 24 मई, 2025

कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक)? 

अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप- आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 यानी 1 होगा। 

इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है। इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं।

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अपनी जन्मतिथि से जानें साप्ताहिक अंक राशिफल (18 मई से 24 मई, 2025)

अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग-अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं। 

जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनिदेव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।

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मूलांक 1

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निपटने के लिए दृढ़ निश्‍चयी हो सकते हैं। ये जातक समय के पाबंद होते हैं और अपने इस स्‍वभाव से इन्‍हें जीवन में मार्गदर्शन मिल सकता है।

प्रेम जीवन: इस समय आपके और आपके पार्टनर के बीच मधुर संबंध रहेंगे। इससे आपका और आपके जीवनसाथी का रिश्‍ता मजबूत होगा।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप शिक्षा के क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्‍त करेंगे और आप एडवांस स्‍टडीज़ में भी आगे निकल सकते हैं। आप इस सप्‍ताह प्रोफेशनल स्‍टडीज़ भी कर सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को ऐसे अवसर मिलने की संभावना है जिससे उनके लक्ष्‍यों की पूर्ति हो सकती है और उन्‍हें पदोन्‍नति मिलने की भी संभावना है। यदि आप व्‍यवसाय करते हैं, तो आपको नई बिज़नेस डील मिल सकती है जिससे आपको अधिक मुनाफा होने के आसार हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है। आपको साहस और दृढ़ता से सेहत को बनाए रखने में मार्गदर्शन मिल सकता है।

उपाय: शनिवार के दिन शनि ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 2

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातकों की रिसर्च करने और उस क्षेत्र में कुछ शानदार करने की जिज्ञासा हो सकती है। इसके अलावा ये जातक यात्रा करने में अधिक व्‍यस्‍त रह सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस समय आपके और आपके पार्टनर के बीच आपसी समझ बहुत अच्‍छी रहने वाली है जिससे आप अपने जीवनसाथी के साथ सफलतापूर्वक जीवन में आगे बढ़ेंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आपको अपने कौशल के दम पर उच्‍च सफलता मिलने के योग हैं। इससे आपको अधिक अंक प्राप्‍त करने में मार्गदर्शन मिलेगा। यदि आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आप अधिक प्रगति कर सकते हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक एक अच्‍छे टीम लीडर के रूप में उभर सकते हैं और इस समयावधि में धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं। वहीं व्‍यवसाय करने वाले जातक इस सप्‍ताह एक सफल उद्यमी के रूप में उभर सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह साहस और दृढ़ निश्‍चयी रहने की वजह से आपका स्‍वास्‍थ्‍य भी दुरुस्‍त रहने वाला है।

उपाय: आप सोमवार के दिन मां दुर्गा के लिए यज्ञ-हवन करें।

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मूलांक 3

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अधिक आध्‍यात्मिक और सिद्धांतों पर चलने वाले हो सकते हैं। इसके अलावा ये जातक अधिक खुले विचारों वाले हो सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने जीवनसाथी के साथ अधिक ईमानदार हो सकते हैं और इसकी वजह से आप अपने रिश्‍ते को मजबूत करने में सक्षम होंगे।

शिक्षा: इस समय पढ़ाई के क्षेत्र में आपका प्रदर्शन अच्‍छा रहने वाला है एवं आप अपने प्रदर्शन को और अधिक बेहतर करने पर ध्‍यान देंगे। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षा में हिस्‍सा लेना फायदेमंद हो सकता है।

पेशेवर जीवन: कार्यक्षेत्र में आपको अधिक सफलता मिलने की संभावना है। आपके पेशेवर तरीके से काम करने की वजह से ऐसा हो सकता है। व्‍यापारी इस समय अधिक मुनाफा कमाने के मामले में अपने प्रतिस्‍पर्धियों से आगे निकल सकते हैं।

सेहत: स्‍वास्‍थ्‍य के मामले में आप इस समय ऊर्जा से भरपूर रहेंगे। इसके अलावा आप स्‍वस्‍थ रहने के लिए दृढ़ निश्‍चयी रह सकते हैं। आपकी इम्‍युनिटी भी मजबूत रहने वाली है।

उपाय: बृहस्‍पतिवार के दिन बृहस्‍पति ग्रह की पूजा करें।

मूलांक 4

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक जुनूनी और उत्‍साहित हो सकते हैं और इसी के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। ये जातक अपने कार्यों को लेकर अधिक सचेत हो सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह मूलांक 4 वाले जातकों को अपने जीवनसाथी के साथ आनंद के पल न मिल पाने की आशंका है। आपसी सामंजस्‍य में कमी के कारण ऐसा हो सकता है।

शिक्षा: इस समय छात्रों का पढ़ाई पर से ध्‍यान भटक सकता है और इसकी वजह से वे उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में पीछे रह सकते हैं। संभव है कि इस सप्‍ताह छात्रों की पढ़ाई में कम रुचि हो।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक इस समय काम के अधिक दबाव के कारण पीछे रह सकते हैं। वहीं व्‍यापारियों को अपने प्रतिस्‍पर्धियों से कड़ी टक्‍कर मिलने के संकेत हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आपको कंधे में गंभीर दर्द होने की आशंका है। तनाव आर इम्‍युनिटी के कमज़ोर होने की वजह से ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप नियमित रूप से 22 बार ‘ॐ राहवे नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 5

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अत्‍यंत कुशल होते हैं और जीवन में अधिक सफलता प्राप्‍त करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा इनका दृष्टिकोण अधिक तार्किक हो सकता है।

प्रेम जीवन: आप इस सप्‍ताह अपने जीवनसाथी के साथ रोमांटिक पल बिता सकते हैं। ऐसा आपके अंदर मौजूद आनंद और ह्यूमर की वजह से संभव हो पाएगा।

शिक्षा: इस समय छात्र शिक्षा के क्षेत्र में उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे। ऐसा आपके दृढ़ संकल्‍प और पेशेवर तरीके से पढ़ाई करने की वजह से हो सकता है।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह काम के मामले में समय आपके पक्ष में हो सकता है। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो आप अपने प्रतिद्वंदियों पर हावी हो सकते हैं और इस तरह आप अपने प्रतिस्‍पर्धियों को कड़ी टक्‍कर देने में सक्षम हो सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है। ऐसा आपके अंदर के जोश और ऊर्जा की वजह से हो सकता है।

उपाय: नियमित रूप से प्राचीन ग्रंथ नारायणीयम का पाठ करें।

मूलांक 6

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक लंबी दूरी की यात्रा पर जाने के लिए अधिक उत्‍सुक हो सकते हैं। इनका स्‍वभाव बहुत सहज होता है। इसके अलावा ये जातक अपनी रचनात्‍मकता को निखारने में रुचि रखते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपको अपने परिवार में संवेदनशील मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है और इसकी वजह से आपके लिए अपने जीवनसाथी के साथ सुखद संबंध बनाए रखना कठिन हो सकता है।

शिक्षा: इस समय विद्यार्थी उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में असफल रह सकते हैं और इसके कारण उनकी प्रगति में कमी आने की आशंका है। इस दौरान छात्रों के लिए अधिक अंक प्राप्‍त करना मुश्किल हो सकता है।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों से इस समय अपने काम में अधिक गलतियां हो सकती हैं इ‍सलिए आपको सावधान रहने की जरूरत है। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो आपको स्टाफ और योजना की कमी के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सेहत: इस सप्‍ताह आपको त्‍वचा से संबंधित समस्‍याएं और मोटापा होने की आशंका है। इस वजह से आपको अपनी सेहत का ख्‍याल रखने की सलाह दी जाती है।

उपाय: आप नियमित रूप से 24 बार ‘ॐ श्री लक्ष्‍मीभ्‍यो नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 7 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है)

इस सप्‍ताह मूलांक 7 वाले जातक गूढ़ विद्या सीखने में अधिक रुचि ले सकते हैं और इसके लिए समय निकाल सकते हैं। इनका झुकाव ईश्‍वर की भक्‍ति की ओर अधिक बढ़ सकता है।

प्रेम जीवन: इस समय आप अपने जीवनसाथी के साथ मधुर संबंध बनाए रखने में असमर्थ हो सकते हैं जिसकी वजह से आप अपने पार्टनर के साथ आगे नहीं बढ़ सकेंगे।

शिक्षा: इस सप्‍ताह छात्रों की पढ़ाई में रुचि कम हो सकती है। इस वजह से छात्र औसत अंक ही प्राप्‍त कर पाएंगे।

पेशेवर जीवन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो इस सप्‍ताह कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी आपके वरिष्‍ठ अधिकारियों के सामने आपकी छवि खराब हो सकती है। वहीं व्‍यापारियों के लिए इस समय मुनाफा कमाना मुश्किल हो सकता है।

सेहत: इस सप्‍ताह आपको एलर्जी के कारण शरीर पर स्किन रैशेज़ होने की आशंका है जिसकी वजह से आपके स्‍वास्‍थ्‍य में गिरावट आ सकती है।

उपाय: मंगलवार के दिन केतु ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।

मूलांक 8 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अपने काम को लेकर अधिक सचेत और कठिन कार्य करने के लिए दृढ़ निश्‍चयी हो सकते हैं। ये जातक उच्‍च नेतृत्‍व करने के गुण को प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य रख सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके और आपके जीवनसाथी के बीच दूरियां आने की आशंका है। ऐसा आप दोनों के बीच आपसी समझ कम होने के कारण हो सकता है।

शिक्षा:  छात्रों को पढ़ाई के मामले में एकाग्रता में कमी का सामना करना पड़ सकता है। आप पढ़ाई पर अधिक ध्‍यान दें और आगे बढ़ने का प्रयास करें।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह नौकरीपेशा जातक अपने सहकर्मियों से बेहतर प्रदर्शन करने में असमर्थ हो सकते हैं और आपको अपने सहकर्मियों की ओर से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप व्‍यापार करते हैं, तो आप अपने प्रतिद्वंदियों से हार सकते हैं और आपके हाथ से बिज़नेस के अच्‍छे अवसर भी छूट सकते हैं।

सेहत: आपको नसों से संबंधित समस्‍याएं होने की आशंका है। आपके मन में असुरक्षा की भावनाएं आने की वजह से ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप नियमित रूप से 11 बार ‘ॐ मंदाय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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मूलांक 9

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है)

इस मूलांक वाले जातक अधिक कुशल हो सकते हैं। इसके अलावा ये उचित निर्णय लेने में साहसी होते हैं।

प्रेम जीवन: इस समय आपके और आपके पार्टनर के बीच आपसी समझ बहुत अच्‍छी रहने वाली है जिससे आप दोनों के लिए यह समय अधिक यादगार बन सकता है।

शिक्षा: आप तेजी से अपनी पढ़ाई पूरी करने में सक्षम हो सकते हैं। इसके अलावा आपको प्रतियोगी परीक्षा में भी सफलता मिलने की संभावना है।

पेशेवर जीवन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो आपको अपने काम में अधिक सफलता मिलने के योग हैं और इस तरह आपको नौकरी के नए अवसर भी मिल सकते हैं। व्‍यापारी अधिक मुनाफा कमाने और अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ने में सक्षम होंगे।

सेहत: शारीरिक रूप से फिट रहने की वजह से इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है। आपको मामूली सिरदर्द होने के अलावा कोई बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या होने के संकेत नहीं हैं।

उपाय: आप नियमित रूप से 27 बार ‘ॐ भूमि पुत्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1.  अंक ज्‍योतिष साप्‍ताहिक राशिफल क्‍या होता है?

उत्तर.  इसमें जन्‍मतिथि के आधार पर आने वाले सप्‍ताह की भविष्‍यवाणी की जाती है।

प्रश्‍न 2. अपना मूलांक जानने का क्‍या तरीका है?

उत्तर. अपनी जन्‍मतिथि के अंकों को जोड़कर मूलांक निकाला जा सकता है।

प्रश्‍न 3. क्‍या अंक ज्‍योतिष के अनुसार उपाय करने से लाभ होता है?

उत्तर. हां, इससे सकारात्‍मक परिणाम मिल सकते हैं।

केतु का सिंह राशि में गोचर: राशि सहित देश-दुनिया पर देखने को मिलेगा इसका प्रभाव

केतु का सिंह राशि में गोचर: राशि सहित देश-दुनिया पर देखने को मिलेगा इसका प्रभाव

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको केतु का सिंह राशि में गोचर के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि केतु के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कि 18 मई, 2025 को केतु सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। केतु के गोचर से कुछ राशियों को बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

 

इसके अलावा, इस ब्लॉग में केतु ग्रह को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे और देश-दुनिया व शेयर मार्केट पर भी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।

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केतु का ज्योतिषीय महत्व

केतु को राहु का दूसरा भाग माना जाता है। केतु कोई भौतिक ग्रह नहीं है, बल्कि एक छाया या गणना से निकला हुआ ऐसा बिंदु है जहां चंद्रमा की कक्षा और सूर्य के पथ आपस में काटते हैं। राहु और केतु मिलकर चंद्रमा के उत्तर और दक्षिण बिंदु बनाते हैं।

केतु आध्यात्मिकता, वैराग्य, पिछले जन्म के कर्म और मोक्ष (मुक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे अंदर की सोच, पुराने जन्मों में सीखी हुई चीज़ों और इस जन्म में जिन चीज़ों में हमें कम दिलचस्पी होती है, उनसे जुड़ा होता है। केतु का स्वभाव मंगल जैसा होता है, जोश में, तेज़ और क्रियाशील, लेकिन यह आत्मिक रूप से काम करता है। यानी, यह ग्रह इंसान को अंदर से बदलता है, उसे सोचने और खुद को समझने की ताकत देता है।

केतु हमेशा वक्री यानी उल्टी दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है। इसी वजह से जब बाकी ग्रह एक राशि से अगली राशि में जाते हैं, तब केतु और राहु पिछली राशि में चला जाता है। जैसे कि अगर केतु कन्या राशि में है, तो अगला गोचर वह सिंह राशि में करेगा, जो एक राशि पीछे है। केतु जिस राशि में होता है, वहां वह उस राशि के स्वामी जैसे प्रभाव देता है। इसके अलावा, केतु पर जो ग्रह दृष्टि डालते हैं या जो ग्रह केतु के साथ बैठे होते हैं , उनके प्रभाव भी केतु के फल में मिलते हैं। केतु को कुजवत नाम से भी जाना जाता है, जिसका मतलब है “मंगल जैसा”। यानी इसका स्वभाव मंगल ग्रह की तरह तेज, तीखा और कर्म प्रधान होता है।

सिंह राशि में केतु: विशेषताएँ

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब केतु सिंह राशि में होता है, तो इसका मतलब होता है कि व्यक्ति को जीवन में नाम मिल सकता है, वो चाहे अच्छा हो या बदनाम हो, लेकिन लोग उसे जानने लगते हैं। ये पहचान कभी साफ़ तरीके से नहीं होती, बल्कि कभी-कभी उलझी हुई या समझ से बाहर भी हो सकती है।

केतु सिंह राशि में होने से व्यक्ति का प्यार जताने का तरीका बहुत अलग और कभी-कभी अनोखा होता है। ऐसे लोग पूरी तरह समर्पण चाहते हैं या मानसिक रूप से थोड़े उलझे रह सकते हैं। उनके अंदर जन्मजात नेतृत्व करने की इच्छा और एक शाही अंदाज़ हो सकता है। लेकिन इसके साथ-साथ वे लोगों की तारीफ़ की परवाह भी नहीं करते।

केतु सिंह राशि में होने से जातक का आध्यात्मिकता की ओर झुकाव बढ़ता है। ऐसा व्यक्ति अपने पार्टनर या बच्चों के साथ आध्यात्मिक बातें बांट सकता है, या उसे अपने पिछले जन्म की यादें भी महसूस हो सकती हैं। वैदिक ज्योतिष में केतु को एक बहुत शुभ ग्रह भी माना जाता है, जो ज्ञान, सच्चाई और धन का कारक है। लेकिन अगर आप जीवन में सही राह से भटकते हैं या ब्रह्मांड के नियमों को तोड़ते हैं, तो यही केतु बहुत घातक नतीजे भी दे सकता है।

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केतु का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर आपकी राशि से चौथे स्थान में होगा। केतु को विरक्ति का कारक ग्रह कहते हैं इसलिए यह जिस भाव में बैठता है, उस भाव से संबंधित फलों में कमी कर देता है। यही कारण है कि जब केतु आपके चौथे भाव में गोचर करेगा तो पारिवारिक जीवन में कुछ समस्याएं बढ़ सकती है। परिवार के लोगों में अकारण तनाव और गलतफहमी बढ़ने से परिवार का माहौल कलहपूर्ण हो सकता है।

आपको परिवार में शांति का अभाव महसूस होगा इसलिए घर में मन कम लगेगा और आप ज्यादा समय बाहर बिताना पसंद करेंगे। आपकी माता जी को भी स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं। इस दौरान आपको छाती अथवा फेफड़े का संक्रमण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपको अपने स्वास्थ्य का और अपने आसपास की स्थितियों और पारिवारिक संबंधों का ध्यान रखने की कोशिश करनी चाहिए जिससे कि आप अनुकूलता प्राप्त कर सकें और आपसी रिश्ते को भी संभाल सकें।

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए केतु गोचर 2025 की बात करें तो यह आपकी राशि से दूसरे भाव में गोचर करने वाले हैं। दूसरा भाव आपके धन, वाणी और परिवार का भाव होता है। ऐसे में केतु का इस भाव में गोचर करना उतार-चढ़ाव से भरा जीवन देने वाला है। आप कई ऐसी बातें करेंगे जिनमें एक साथ दो अर्थ हो सकते हैं। अब यह सामने वाले पर निर्भर करेगा कि उसके अच्छे अर्थ को ले या बुरे को। ऐसे में कुछ लोग आपकी बातों का बुरा मान सकते हैं। इस दौरान आपको धन संचय करने में कुछ समस्याएं हो सकती हैं और आप परिवार से अलग हटने की कोशिश करेंगे।

आपको लगेगा कि यहां चारों और आपके अनुकूल स्थितियां नहीं हैं इसलिए आप सबसे दूर भागने की कोशिश करेंगे जिससे पारिवारिक संबंध बिगड़ सकते हैं अथवा लोग आपको कम पसंद करेंगे लेकिन आप दिल से खराब नहीं होंगे। आपको अपनी परिस्थितियों को संभालने पर ध्यान देना होगा। इस गोचर के दौरान आपके मुंह में छाले, दांतों में दर्द, जैसी समस्याएं परेशानी दे सकती हैं। इस दौरान आपके जीवनसाथी को भी स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं इसलिए उनका भी ध्यान रखें।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर आपकी राशि के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि यह आपकी राशि में ही यानी आपके पहले भाव में होने जा रहा है इसलिए इसका आपके जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। केतु का गोचर स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है इसलिए आपको इस गोचर के दौरान अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। छोटी से छोटी समस्या या संक्रमण के प्रति आपको चिकित्सीय परामर्श की ओर बढ़ना चाहिए। इस दौरान आपके मन में विरक्ति का भाव जागेगा। 

आप अपने आसपास के जीवन से थोड़ा परेशान हो सकते हैं। वैवाहिक संबंधों में भी परेशानियां बढ़ सकती हैं क्योंकि आपके विचार अलग होंगे और जीवनसाथी को वह समझ में नहीं आएंगे। इसके अतिरिक्त व्यावसायिक संबंधों के लिए भी यह गोचर अधिक अनुकूल नहीं कहा जा सकता है। आपको अपने व्यावसायिक कार्यों के लिए किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह अथवा मश्विरा लेना चाहिए।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए केतु का यह गोचर सातवें भाव में होने जा रहा है जो कि लंबी रिश्ते और विवाह का भाव भी है। इस स्थिति में केतु का यह गोचर आपके दांपत्य जीवन के लिए अनुकूल रहने की संभावना नहीं है। आपको बहुत सावधानियां बरतनी होंगी क्योंकि इस गोचर के दौरान आप और आपके जीवनसाथी के मध्य कई बार कहासुनी, तनाव, टकराव और आपसी अहम भाव का टकराव हो सकता है। आपके जीवनसाथी के ऊपर आपको कुछ संदेह हो सकता है क्योंकि आपको लगेगा कि वे कई बातें आपसे छिपा रहे हैं और उन्हें लगेगा कि आप उनको समझना नहीं चाहते।

इस गोचर के परिणामस्वरूप आपके और आपके जीवनसाथी के बीच बहुत सारे तर्क, तनाव, संघर्ष और पारस्परिक अहंकार के मुद्दे हो सकते हैं, इसलिए आपको बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है। यह विरोधाभास आपके बीच दूरियां बढ़ा सकता है इसलिए आपको संतुलित रूप से जीवनचर्या का पालन करना चाहिए और अपने जीवन साथी को भी समझना चाहिए। व्यवसाय करने वाले जातकों के लिए भी यह गोचर अधिक अनुकूल नहीं है। ऐसे में अपनी गतिविधियों को नियंत्रित रूप से रखते हुए अपने कार्य व्यवसाय को आगे बढ़ाएं और किसी विशेष अनुभवी व्यक्ति की सलाह लेकर काम करने से आपको लाभ मिल सकता है। इस गोचर के दौरान आपके जीवनसाथी ज्यादा पूजा पाठ करने वाले बन सकते हैं।

केतु का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों पर होगा सकारात्मक प्रभाव

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए केतु का गोचर आपकी राशि से तीसरे भाव में होगा। आमतौर पर तीसरे भाव में केतु का गोचर करना अनुकूल माना जाता है। ऐसी स्थिति में आपके साहस और पराक्रम की वृद्धि होगी। आप हर काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करेंगे। धार्मिक क्रियाकलापों में आपके मन की इच्छाएं जागृत होंगी। आप अपने दोस्तों को, रिश्तेदारों, भाई – बहनों के साथ धार्मिक स्थानों की यात्रा करने पर ज्यादा जोर देंगे और छोटी-छोटी धार्मिक यात्राएं करेंगे। आपका मन एक रमणीय स्थल पर ज्यादा लगने की संभावना है।

इस दौरान आपके मन में अनेक अच्छे विचार भी आएंगे। कार्यक्षेत्र में भी आपका मन लगेगा और आपके सहकर्मी आपको सहयोग देंगे। हालांकि इस दौरान भाई-बहनों को कुछ शारीरिक समस्याएं परेशान कर सकती हैं इसलिए यदि आवश्यक हो तो आपको इस दौरान उनकी मदद करनी चाहिए। इस गोचर के प्रभाव से आप कोई संपत्ति खरीदने में सफल हो सकते हैं। आप व्यापार से संबंधित जोखिम उठाने के लिए भी तत्पर दिखेंगे।

केतु का सिंह राशि में गोचर: विश्वव्यापी प्रभाव

विदेशी व्यापार, यात्रा और अध्ययन

  • केतु का सिंह राशि में गोचर अध्ययन के लिए विदेश यात्रा करने के लिए अच्छा समय साबित होगा।
  • छात्रों का ध्यान पढ़ाई में पहले से ज़्यादा लगेगा और वे क्रिएटिव या अलग हटकर चीज़ें पढ़ने में रुचि दिखा सकते हैं।
  • लोगों की रुचि आध्यात्म की तरफ बढ़ सकती है या कुछ लोग इसे पैसा कमाने का जरिया भी बना सकते हैं।
  • अध्यात्म के नाम पर धोखाधड़ी के मामलों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
  • आपको विदेशों से जुड़े व्यापार के अच्छे मौके मिल सकते हैं, जिनसे आपको आर्थिक फायदा और प्रोफेशनल पहचान मिलेगी।

सामाजिक कल्याण और आध्यात्मिकता

  • इस गोचर के प्रभाव से लोग समाज के प्रति ज्यादा जागरूक होंगे और सामाजिक कार्यों व जनकल्याण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
  • ज्योतिष, वास्तु या हीलिंग से जुड़े लोगों के लिए यह समय अच्छा रहेगा, उन्हें नए मौके मिल सकते हैं और वे सफलता पा सकते हैं।

केतु का सिंह राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट

केतु का गोचर सबसे महत्वपूर्ण गोचरों में से एक है और यह शेयर बाजार को भी प्रभावित करेगा। आइए देखें कि शेयर बाजार की भविष्यवाणियां क्या कहती हैं।

  • सार्वजनिक क्षेत्र, सीमेंट उद्योग, ऊनी मिलें, लोहा, इस्पात और आवास सभी में वृद्धि देखी जा सकती है।
  • यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दवा, मोटर वाहन, ट्रैक्टर, उर्वरक और बीमा उद्योग, साथ ही सौंदर्य प्रसाधन, परिवहन, कपास मिलें, फिल्म, मुद्रण और अन्य उद्योग सभी का विस्तार होगा।
  • यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कानूनी और चिकित्सा फर्म भी बहुत समृद्ध होंगी।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. केतु किस राशि पर शासन करता है?

वृश्चिक

2. किस ग्रह के बारे में कहा जाता है कि उसमें केतु के समान ही ऊर्जा होती है?

मंगल

3. क्या केतु हमेशा वक्री दिशा में चलता है?

हाँ

बुध का मिथुन राशि में गोचर इन राशि वालों पर पड़ेगा भारी, गुरु के सान्निध्‍य से मिल सकती है राहत!

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ज्‍योतिषशास्‍त्र में बुध ग्रह को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण ग्रह बताया गया है। बुध का प्रभाव हमारे बात करने के तरीके यानी संचार कौशल पर होता है। हम दूसरों से किस तरह से बात करते हैं और अपने विचारों को किस तरह से व्‍यक्‍त करते हैं, यह सब बुध ग्रह पर ही निर्भर करता है। बुध सूर्य की परिक्रमा 88 दिनों में पूरा कर लेता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रमा और बुध ग्रह के बीच शत्रुता का संबंध नहीं है बल्कि चंद्रमा बुध के साथ कोई शत्रुता नहीं रखता है लेकिन बुध की ओर से चंद्रमा के लिए शत्रुता का भाव है। बुध सभी ग्रहों में श्रेष्‍ठ हैं क्‍योंकि उनकी कृपा से व्‍यक्‍ति को बुद्धि और धन की प्राप्‍ति‍ होती है। बुधवार के दिन बुध ग्रह की पूजा की जाती है और व्‍यापार पर बुध का सबसे अधिक प्रभाव देखा जाता है। बुध का मिथुन एवं कन्‍या राशि पर आधिपत्‍य है। बात करें, बुध के गोचर की तो वह लगभग एक महीने के अंतराल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है। अब जून महीने की शुरुआत में ही बुध का मिथुन राशि में गोचर होने जा रहा है।

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बुध का मिथुन राशि में गोचर : कब

बुध ग्रह 06 जून, 2025 को सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इस राशि में बुध ग्रह 22 जून तक रहने वाले हैं। बुध का यह गोचर व्‍यतिपत योग में होने जा रहा है जिसे वैदिक ज्‍योतिष में अशुभ माना जाता है। बुध के मिथुन राशि में प्रवेश करने से कुछ राशि के जातकों को अपने जीवन में समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस ब्‍लॉग में आगे उन्‍हीं राशियों के बारे में बताया गया है जिन्‍हें बुध के राशि परिवर्तन करने पर नकारात्‍मक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

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मेष राशि 

इस राशि के तीसरे और छठे भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके तीसरे भाव में गोचर करने जा रहें हैं। तीसरे भाव में बुध के गोचर के कारण आपके अपने भाई-बंधुओं से विवाद हो सकता है। आपके मन में कभी-कभी भय के भाव आ सकते हैं। आपको धन की हानि होने की भी आशंका है। आपको सौम्‍य होकर बात करने की सलाह दी जाती है। इस समय आपको नए दोस्‍त बनाने का मौका मिलेगा। आप पक्षियों को दाना दें।

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कर्क राशि 

बुध ग्रह आपके तीसरे और द्वादश भाव के स्वामी हैं और बुध का मिथुन राशि में गोचर आपके द्वादश भाव में होगा। यदि आप अच्‍छा व्‍यवहार करते हैं और धर्म का साथ देते हैं, तो आप इस समयावधि में बुध के नकारात्‍मक प्रभावों से बच सकते हैं। बुध के प्रभाव के कारण आप व्‍यर्थ के खर्चों में फंस सकते हैं। आपको शारीरिक और मानसिक कष्‍ट झेलना पड़ सकता है। आपको इस समय ध्‍यान, योग और मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। आप अपने माथे पर केसर का तिलक रोज़ लगाएं।

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तुला राशि

तुला राशि के भाग्य तथा द्वादश भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि आपके नौवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। सामान्य तौर पर बुध ग्रह को नवम भाव में गोचर करने की स्थिति में अनुकूल परिणाम देने वाला नहीं माना गया है। संभव है कि आपको अपने भाग्‍य का साथ न मिल पाए। आपके मार्ग में बाधाएं आ सकती हैं। आपको धन और सम्‍मान की हानि हो सकती है। अगर आप इस समय सही मार्ग पर चलते हैं और दूसरों के प्रति अच्‍छा भाव रखते हैं, तो बुध के नकारात्‍मक प्रभाव में कमी आ सकती है। दान-पुण्‍य करने में धन खर्च करने से लाभ होगा।

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धनु राशि 

बुध आपकी कुंडली में सातवें तथा दशम भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में यह आपके सप्तम भाव में गोचर कर रहे हैं। सप्तम भाव में बुध के गोचर को स्त्री से विवाद करवाने वाला माना गया है। शारीरिक पीड़ा देने वाला माना गया है। शासन प्रशासन से संबंधित मामलों में नकारात्मक परिणाम देने वाला माना गया है। यात्रा और व्यवसाय में हानि करवाने वाला माना गया है और कभी-कभी चिंता देने वाला भी माना गया है लेकिन आपके मामले में इस तरह के परिणाम शायद नहीं मिलेंगे या बहुत कम मात्रा में मिलेंगे। फिर भी आपको अपने साथी के साथ सम्‍मानजनक व्‍यवहार करना चाहिए। अगर आपको नकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही हो तो स्वयं को शांत रखने की कोशिश करें। योग-व्यायाम करने से शारीरिक पीड़ा से मुक्‍ति मिल सकती है। शासन-प्रशासन से संबंधित कामों में नियम व अनुशासन का पालन करना नकारात्मकता को दूर करने में सहायक बनेगा। 

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के पांचवें तथा आठवें भाव के स्वामी बुध ग्रह अब आपके पंचम भाव में गोचर कर रहे हैं। पंचम भाव में बुध का गोचर मन को अशांत करता है। ऐसे में संतान से संबंधित मामलों में कुछ परेशानियां आ सकती हैं लेकिन बुध के बृहस्‍पति ग्रह के साथ होने की वजह से आपकी परेशानियां जल्दी ही दूर हो जाएंगी। आप गाय को चारा जरूर खिलाएं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्‍न 1. बुध ग्रह सूर्य की परिक्रमा कितने दिनों में करते हैं?

उत्तर. बुध 88 दिनों में सूर्य का एक चक्‍कर लगाते हैं।

प्रश्‍न 2. बुध ग्रह किस राशि में उच्‍च का होता है?

उत्तर. बुध के लिए कन्‍या उच्‍च राशि है।

प्रश्‍न 3. बुध की नीच राशि कौन सी है?

उत्तर. मीन राशि बुध ग्रह की नीच राशि है।

वृषभ संक्रांति पर इन उपायों से मिल सकता है प्रमोशन, डबल होगी सैलरी!

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वृषभ संक्रांति 2025: अध्‍यात्‍म और वैदिक ज्‍योतिष की दुनिया में प्रत्‍येक ग्रह की गति या गोचर केवल एक खगोलीय घटना नहीं होती है बल्कि यह एक दिव्‍य संकेत होती है। ऐसी ही एक महत्‍वपूर्ण खगोलीय और ज्‍योतिषीय घटना है वृषभ संक्रांति। संक्रांति शब्‍द संस्‍कृत भाषा के संक्रमण शब्‍द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है गति या परिवर्तन। यह सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने का प्रतीक है। सूर्य के वृषभ राशि में गोचर करने को वृषभ संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्‍साह के साथ मनाते हैं लेकिन वृषभ संक्रांति उन लोगों के लिए विशेष महत्‍व रखती है जो वैदिक ज्‍योतिष, ज्‍योतिष शास्‍त्र और सौर कैलेंडर पर आधारित परंपराओं को मानते हैं। इसमें उड़ीसा, तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्‍से शामिल हैं।

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इस साल 15 मई, 2025 को सूर्य के वृषभ राशि में गोचर करने पर वृषभ संक्रांति 2025 मनाई जाएगी। एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में वृषभ संक्रांति पर पूजा-अर्चना करने के सही समय और इसके महत्‍व एवं ज्‍योतिषीय उपायों आदि की जानकारी दी गई है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं वृषभ संक्रांति के बारे में।

वृषभ संक्रांति 2025: समय और तिथि

आमतौर पर हर साल सूर्य के मेष राशि से वृषभ राशि में गोचर करने पर वृषभ संक्रांति पड़ती है। 14 मई, 2025 को रात्रि 11 बजकर 51 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मंगल की राशि मेष से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। आगे देखिए वृषभ संक्रांति की सही तिथि और समय:

तिथि: बृहस्‍पतिवार, 15 मई, 2025

वृषभ संक्रांति 2025 क्षण: रात्रि 12 बजकर 21 मिनट पर।

वृ‍षभ संक्रांति 2025 पुण्‍य कला: सुबह 10 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर शाम 06 बजकर 04 मिनट तक।

समयावधि: 06 घंटे 47 मिनट

वृषभ संक्रांति 2025 महा पुण्‍य कला: दोपहर 03 बजकर 49 मिनट पर शुरू होकर शाम 06 बजकर 04 मिनट पर समाप्‍त।

समयावधि: 02 घंटे 16 मिनट

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार संक्रांति क्‍या है?

वैदिक ज्‍योतिष में संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करना। चूंकि, सूर्य एक ही राशि में लगभग 30.4 दिनों तक रहते हैं इसलिए यह महीने में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य ग्रहों के राजा हैं और उनके गोचर करने का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है इसलिए सूर्य का गोचर अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण होता है।

12 संक्रांति हैं:

  • मेष संक्रांति
  • वृषभ संक्रांति
  • मिथुन संक्रांति
  • कर्क संक्रांति
  • सिंह संक्रांति
  • कन्‍या संक्रांति
  • तुला संक्रांति
  • वृ‍श्चिक संक्रांति
  • धनु संक्रांति
  • मकर संक्रांति
  • कुंभ संक्रांति
  • मीन संक्रांति

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वृषभ संक्रांति 2025 का महत्‍व

सूर्य के मेष राशि से वृषभ राशि में गोचर करने पर वृषभ संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू धर्म और वैदिक ज्‍योतिष में इसका गहरा महत्‍व है। हिंदू सौर पंचांग के अनुसार यह संक्रांति वृषभ माह के आरंभ का संकेत देती है। यह आमतौर पर हर साल 14 या 15 मई को आती है। यह एक ऐसी ब्रह्मांडीय ऊर्जा के परिवर्तन को दर्शाती है जो उग्र तत्‍व से संतुलित पृथ्‍वी तत्‍व की ओर बढ़ रही है।

हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन, प्रकाश और ज्ञान का स्रोत माना गया है। सूर्य का वृषभ राशि में गोचर वह समय होता है, जब श्रद्धालु अर्घ्‍य, सूर्य नमस्‍कार और गायत्री मंत्र जैसे मंत्रों का जाप एवं आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ कर के सूर्य देव को सम्‍मान देते हैं। वृषभ राशि का प्रतीक बैल है और इसका संबंध भगवान शिव के वाहन नंदी से भी है। यह इस दिन के आध्‍यात्मिक महत्‍व को उजागर करता है। इस दिन भक्‍त अक्‍सर वृषभ संक्रांति पर दान, पवित्र नदियों में स्‍नान और गाय को चारा खिलाते हैं।

वैदिक ज्योतिषीय दृष्टि से यह परिवर्तन सूर्य के पृथ्‍वी तत्‍व की राशि वृषभ में गोचर करने को दर्शाता है जो कि समृद्धि, भोजन, कला और सुख-सुविधा लेकर आता है। इसका सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है और इससे ध्‍यान क्रियाशील प्रयासों से हटकर भावनात्‍मक एवं भौतिक स्थिरता की ओर केंद्रित होता है। वित्तीय योजना, पारिवारिक संबंध और निजी मूल्‍यों को बढ़ावा देने के लिए यह समय अनुकूल होता है। वृषभ संक्रांति आध्‍यात्मिक और ब्रह्मांडीय संतुलन का शक्‍तिशाली समय होता है। यह समय या परिवर्तन भक्‍तों को आंतरिक विकास एवं सांसारिक सुख के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।

अग्नि तत्‍व से पृथ्‍वी तत्‍व में गोचर

मेष अग्नि तत्‍व की राशि है जिसके स्‍वामी मंगल ग्रह हैं। यह कार्य, महत्‍वाकांक्षा और नेतृत्‍व करने की क्षमता को दर्शाती है। वहीं दूसरी ओर, वृषभ राशि पृथ्‍वी तत्‍व की राशि है जिसके स्‍वामी शुक्र ग्रह हैं एवं यह राशि संतुलन, सौंदर्य, समृद्धि और कामुक सुख का प्रतिनिधित्‍व करती है। इस प्रकार सूर्य के मेष से वृषभ राशि में गोचर करने को आक्रामकता से स्थिरता की ओर एवं प्रयास से  निरंतरता की ओर बढ़ने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

यह कला, संगीत, सुख-सुविधा, भोजन, वित्त और प्रेम की सराहना करने का एक ब्रह्मांडीय संकेत है। ज्‍योतिषी इस समयावधि को भौतिक सुख-सुविधाओं, वित्तीय योजना और रिश्‍तों में स्‍नेह लाने पर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए उपयुक्‍त मानते हैं।

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वृषभ संक्रांति 2025: वृषभ और उसका प्रतीक

वृषभ राशि बैल को दर्शाती है जो कि शक्‍ति, प्रजनन, दृढ़ता और धैर्य का प्रतीक है। भारतीय संस्‍कृति में बैल को पवित्र माना जाता है। दिव्‍य बैल नंदी भगवान शिव का वाहन है एवं यह आध्‍यात्मिक द्वारपाल और धर्म का प्रतीक है। सूर्य का वृषभ राशि में गोचर करना दृढ़ इच्‍छाशक्‍ति, भौतिक समृद्धि और सौंदर्य की सराहना करने का समय है।

इस राशि का संबंध दूसरे भाव से भी होता है जो कि वाणी, समृद्धि, भोजन, पारिवारिक मूल्‍यों और संचित संसाधनों का कारक है। इस समयावधि में इन सभी चीज़ों को विशेष महत्‍व दिया जाता है। इसके साथ ही सूर्य का वृषभ राशि में गोचर का समय वित्तीय सुरक्षा पाने एवं पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने की ओर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।

वृषभ संक्रांति 2025 पर शुभ योग

वृषभ संक्रांति 2025 पर अत्‍यंत शुभ योग बनने जा रहा है। 14 मई, 2025 को सूर्य के वृषभ राशि में गोचर करने के दौरान शिव योग चल रहा होगा और यह योग 15 मई, 2025 को सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इससे सुबह के समय आध्‍यात्मिक रूप से अनुकूल माहौल बनेगा। इसके बाद 16 मई, 2025 को सुबह 07 बजकर 13 मिनट तक शक्‍तिशाली एवं फलदायी सिद्ध योग रहेगा। इसके अलावा 15 मई को पूरा दिन भद्रा वास योग भी रहेगा।

15 मई को सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। ऐसा माना जाता है क‍ि इस शुभ समय में प्रार्थना करने, धार्मिक अनुष्‍ठान करने और दान आदि करने से भगवान सूर्य का दिव्‍य आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

वृषभ संक्रांति 2025 की पूजन विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान कर लें। इस दिन पवित्र नदी में स्‍नान करने का बहुत महत्‍व है। यदि ऐसा संभव न हो, तो आप घर पर ही अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्‍नान कर सकते हैं।
  • अब एक तांबे का लोटा लें और उसमें जल भरने के बाद उसमें लाल चंदन और लाल रंग के पुष्‍प डालें। पूर्व की ओर मुख कर के सूर्य मंत्र का जाप करते हुए धीरे-धीरे सूर्य देव को अर्घ्‍य दें।
  • सूर्य देव को प्रसन्‍न करने के लिए सूर्य चालीसा और आदित्‍य हृदय स्रोत का पाठ करें।
  • घी का दीपक एवं कपूर जलाकर सूर्य देव की आरती करें।
  • सूर्य देव से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से सभी प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा को नष्‍ट कर के आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि दें एवं आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि करें।

वृषभ संक्रांति 2025 पर करें मंत्र जाप

  • ॐ सूर्याय नम:।।
  • ॐ भास्‍कराय नम:।।
  • ॐ घृणि सूर्याय नम:।।

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वृषभ संक्रांति 2025 के लिए ज्‍योतिषीय उपाय

  • वृषभ संक्रांति के दिन की शुरुआत सूर्य देव को अर्घ्‍य देकर करें। आप इस उपाय को रोज़ कर सकते हैं।
  • सूर्य की सकारात्‍मक ऊर्जा प्राप्‍त करने के लिए अपने पिता या पिता समान व्‍यक्‍ति के साथ अपन रिश्‍ते को मजबूत करें।
  • यदि आपके अंदर आत्‍मविश्‍वास कम है, तो आप माणिक्‍य रत्‍न पहनें। यह सूर्य के शुभ प्रभाव को बढ़ाने का काम करता है।
  • सूर्य और शुक्र की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए सफेद रंग की चीज़ों का दान करें।
  • जिन लोगों को चिंता या अवसाद है, वे रोज़ सुबह सूर्योदय के समय सूर्य नमस्‍कार करें। इससे मानसिक शांति और स्‍पष्‍टता मिलती है।
  • सुबह पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
  • नियमित रूप से 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करने से इच्‍छाशक्‍ति बढ़ती है और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।
  • आध्‍यात्‍मिक शक्‍ति और आंतरिक एकाग्रता के लिए दिन में एक बार आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ करें।

वृषभ संक्रांति 2025 : राशि अनुसार उपाय

आप वृषभ संक्रांति पर अपनी राशि के अनुसार निम्‍न उपाय कर सकते हैं: 

  • मेष राशि: करियर में अधिक अवसर पाने और मानसिक शांति के लिए आप सरसों का तेल, गुड़ और तिल अर्पित करें।
  • वृषभ राशि: समृद्धि और भाग्‍य के लिए वृषभ राशि वाले केसर, गेहूं और घी चढ़ाएं।
  • मिथुन राशि: अपने रिश्‍तों में सुख-शांति और सफलता पाने के लिए आप वृषभ संक्रांति पर चावल, सफेद रंग के वस्‍त्र और कपूर आदि का दान करें।
  • कर्क राशि: स्‍वास्‍थ्‍य एवं करियर को बेहतर करने के लिए आप तांबे के बर्तन, लाल रंग के वस्‍त्र और तिल के तेल का दान करें।
  • सिंह राशि: स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार के लिए आप चीनी और चावल का गरीब लोगों को दान करें या खीर बनाकर दान एवं शिव मंदिर में अर्पित करें।
  • कन्‍या राशि: अपनी रचनात्‍मकता और परिवार में सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए आप फल, सब्जियां या मिठाई का दान करें।
  • तुला राशि: आप भावनात्‍मक स्थिरता और पारिवारिक सुख-शांति के लिए चावल, दूध और घर का बना खाना दान करें।
  • वृश्विक राशि: आप फल, नीले रंग के वस्‍त्रों और तांबे का दान करें। इससे आपके रिश्‍तों में सुख-शांति एवं मजबूती आएगी।
  • धनु राशि: इस राशि वाले व्‍यापार में सफलता पाने और पारिवारिक सुख-शांति के लिए स्‍वर्ण, चावल और हरी सब्जियों का दान करें।
  • मकर राशि: आप लोहे, गुड़ और काले तिलों का दान करें। इससे आपको धन लाभ एवं विकास प्राप्‍त होगा।
  • कुंभ राशि: आप चीनी, ऊनी कपड़े और सफेद रंग की वस्‍तुओं का दान करें।
  • मीन राशि: इस राशि वाले सफेद रंग के फूल, धन या सफेद रंग की वस्‍तुओं का दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. वृषभ संक्रांति 2025 कब है?

उत्तर. बृहस्‍पतिवार, 15 मई, 2025 को वृषभ संक्रांति है।

प्रश्‍न 2. वृषभ संक्रांति क्‍या है?

उत्तर. सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने को वृषभ संक्रांति कहते हैं।

प्रश्‍न 3. एक वर्ष में कुल कितनी संक्रांतियां होती हैं?

उत्तर. एक साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।

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गुरु का मिथुन राशि में गोचर:  वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा प्राप्त है जो कि शुभ ग्रह माने जाते हैं। इन्हें देवताओं के गुरु होने के कारण देव गुरु भी कहा जाता है इसलिए इनका महत्व ज्योतिष और हिंदू धर्म दोनों में बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों पर देवगुरु बृहस्पति मेहरबान हो जाते हैं, तो उस इंसान का भाग्योदय होना निश्चित होता है। ऐसे में, गुरु ग्रह की चाल, दशा या राशि परिवर्तन को विशेष माना जाता है जो अब जल्द ही अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। 

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एस्ट्रोसेज एआई का यह ख़ास ब्लॉग हमारे पाठकों के लिए तैयार किया गया है जिसके माध्यम से आपको “गुरु का मिथुन राशि में गोचर” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। बता दें कि गुरु लंबे समय तक एक राशि में रहते हैं इसलिए इनका गोचर सभी राशियों के साथ-साथ मनुष्य जीवन और संसार को काफ़ी प्रभावित करता है। ऐसे में, गुरु का यह गोचर कुछ राशियों को अच्छे और कुछ राशियों को थोड़े कमज़ोर परिणाम दे सकता है। लेकिन, आप चिंता न करें क्योंकि यहाँ हम आपको बृहस्पति ग्रह की कृपा पाने के लिए सरल उपाय भी बताएंगे। तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं गुरु गोचर के बारे में। 

गुरु का मिथुन राशि में गोचर: तिथि और समय

ज्ञान के कारक ग्रह के रूप में गुरु महाराज एक राशि में 13 महीने रहते हैं और इसके बाद, वह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब बृहस्पति देव 15 मई 2025 की रात 02 बजकर 30 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि मिथुन राशि के स्वामी बुध देव हैं जिनके प्रति गुरु ग्रह शत्रुता के भाव रखते हैं। ऐसे में, गुरु देव का मिथुन राशि में   प्रवेश कुछ राशियों को सकारात्मक और कुछ को नकारात्मक परिणाम दे सकता है। अब हम बिना देर किए जानते हैं मिथुन राशि में गुरु ग्रह की विशेषताओं के बारे में। 

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गुरु मिथुन राशि में विशेषताएं

गुरु ग्रह के विस्तार और लाभकारी गुण जब मिथुन राशि के जिज्ञासु और संचार कौशल के गुणों से मिलते हैं, तब जातकों के व्यक्तित्व में कुछ इस तरह के गुण दिखाई देते हैं। 

  • जिन लोगों की कुंडली में मिथुन राशि में गुरु ग्रह विराजमान होते हैं, वह सामान्यतः जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं इसलिए इनके भीतर ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है। 
  • ऐसे जातकों को नई-नई चीज़ें सीखना, नए-नए विषय तलाशना और वाद-विवाद में शामिल होना बहुत  पसंद होता है। 
  • गुरु मिथुन राशि के तहत पैदा होने वाले जातक मिलनसार होते हैं और इन्हें सामाजिक जीवन में मेलजोल बढ़ाना अच्छा लगता है। 
  • यह अपने ज्ञान को दूसरों के साथ शेयर करते हुए दिखाई दे सकते हैं। साथ ही, यह अपने बेहतरीन संचार कौशल के दम पर लोगों से जुड़ने में कामयाब होते हैं। 
  • ऐसे लोग जिनका जन्म गुरु मिथुन राशि के अंतर्गत होता है, वह चीज़ों को जल्दी से सीखने में सक्षम होते हैं।
  • इन जातकों को एक विषय से दूसरे विषय, कार्यों या आइडिया में बदलाव करने में समय नहीं लगता है। 
  • सामान्य तौर पर, यह जातक एक नियमित दिनचर्या का पालन करने के बजाय हर दिन कुछ नया करने में विश्वास करते हैं।

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ज्योतिषीय दृष्टि से गुरु ग्रह 

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है जिन्हें ‘गुरु’ के नाम से भी जाना जाता है। यह धनु राशि और मीन राशि के अधिपति देव हैं जो कर्क राशि में उच्च होते हैं और मकर इनकी नीच राशि है। गुरु महाराज को शिक्षक, ज्ञान, बड़े भाई, संतान, धार्मिक कार्य, शिक्षा, धन, पवित्र स्थल,  पुण्य, विस्तार और दान का कारक माना जाता है। सभी 27 नक्षत्रों में बृहस्पति महाराज को विशाखा, पूर्वाभाद्रपद और पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। 

बता दें कि किसी व्यक्ति की कुंडली में जन्म राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में बृहस्पति की स्थिति शुभ फल प्रदान करती है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते हैं, उन्हें अपने जीवन में प्रगति की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से जातक को पेट से जुड़े रोगों से छुटकारा मिलता है। अगर किसी कमज़ोर भाव पर गुरु की दृष्टि पड़ जाती है, तो वह भाव मजबूत हो जाता है।

चलिए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं बृहस्पति ग्रह से जुड़ी रोचक बातों से। 

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गुरु ग्रह से जुड़ी दिलचस्प बातें

  • गुरु ग्रह को अंग्रेजी भाषा में जुपिटर कहा जाता है। रोमन पौराणिक कथाओं में बृहस्पति का नाम देवता के राजा बृहस्पति के नाम से लिया गया है। 
  • गुरु ग्रह का वातावरण जीवन के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। 
  • बात करें गुरु ग्रह के आकार और दूरी की तो, धरती से गुरु ग्रह की दूरी लगभग 43,440.7 मील (69,911 किलोमीटर) है और यह आकार में पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है। 
  • गुरु ग्रह की औसत दूरी 84 मिलियन मील (778 मिलियन किलोमीटर) है। 
  • सौरमंडल के सभी ग्रहों की तुलना में गुरु ग्रह का दिन सबसे छोटा माना जाता है। इस ग्रह पर एक दिन सिर्फ़ 10 घंटों का होता है। 
  • इसी प्रकार, गुरु ग्रह को सूर्य के चारों तरफ एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 12 वर्षों का समय लगता है। 

अब हम जान लेते हैं कुंडली में गुरु ग्रह के कमज़ोर और मज़बूत होने के लक्षण। 

कुंडली में कमज़ोर गुरु का प्रभाव

  • गुरु के कमज़ोर होने पर छात्रों को पढ़ाई में एक के बाद एक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसका असर शिक्षा पर पड़ता है। 
  • जिन जातकों की कुंडली में गुरु दुर्बल होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिलता है। साथ ही, आपको धन हानि भी उठानी पड़ती है।
  • ऐसे लोगों का विवाह होने में अड़चनें आती रहती हैं जिसकी वजह गुरु दोष होता है। 
  • गुरु की दुर्बलता की वजह से आप अति आत्मविश्वासी और दूसरों से जुड़े निर्णय लेने वाले बन सकते हैं। 
  • साथ ही, आप बेकार की चीज़ों पर काफ़ी धन खर्च करते हुए दिखाई दे सकते हैं। 
  •  बृहस्पति देव के अशुभ होने से जातक बेचैन, अधीर और अपनी क्षमता से ज्यादा काम अपने कंधों पर लेने वाला बन सकता है। 

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गुरु का मिथुन राशि में गोचर के दौरान ज़रूर करें ये उपाय 

  • करियर में सफलता प्राप्ति के लिए गुरुवार के दिन गुरु ग्रह से जुड़ी पीली वस्तुओं जैसे कि हल्दी, पीले फल, चना आदि का दान करें। साथ ही, धार्मिक या पढ़ाई की पुस्तकों का दान करना भी शुभ रहेगा। 
  • धन-समृद्धि में वृद्धि के लिए गुरुवार को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। इसके अलावा, बृहस्पतिवार व्रत की कथा भी पढ़ें। 
  • गुरु ग्रह का आशीर्वाद पाने के लिए गुरुवार के दिन नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें। 
  • संभव हो, तो गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और उसके सामने दीपक जलाएं। 
  • गुरु ग्रह को समर्पित गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को पीले चंदन या केसर का तिलक करें और फिर पूजा करें। अगर केसर न हो, तो आप हल्दी का तिलक भी कर सकते हैं। 
  • पति-पत्नी के बीच चल रहे मतभेदों को शांत करने के लिए गुरुवार के दिन बृहस्पति देव या भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें। इसके पश्चात, उनकी पीले चंदन और पीले पुष्पों से पूजा करें।
  • गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करने के बाद भगवान सत्यनारायण की या फिर बृहस्पतिवार की कथा सुनें। ऐसा करना फलदायी माना जाता है। 
  • गुरु ग्रह को मज़बूत बनाने के लिए गुरुवार को ज्यादा से ज्यादा पीले रंग के कपड़े धारण करें।

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गुरु का मिथुन राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि में गुरु देव भाग्य स्थान यानी नवम भाव और व्यय स्थान यानी द्वादश भाव के स्वामी हैं और मिथुन… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु देव को अष्टम भाव और एकादश भाव का स्वामी माना जाता है और… (विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए गुरु देव सप्तम भाव और दशम भाव के स्वामी ग्रह हैं। मिथुन राशि में गुरु…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज छठे भाव और नवम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 के… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति आपके पंचम भाव और अष्टम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025… (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति चतुर्थ भाव और सप्तम भाव के स्वामी हैं। मिथुन राशि में गुरु… (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

गुरु गोचर 2025 की बात करें तो तुला राशि के जातकों के लिए गुरु आपके लिए तीसरे भाव और छठे भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति दूसरे और पंचम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 आपके लिए… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह आपकी राशि के…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति महाराज तीसरे भाव और द्वादश भाव के स्वामी हैं और गुरु गोचर 2025… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुम्भ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति महाराज दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 आपकी… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

गुरु गोचर 2025 आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि गुरु महाराज आपकी राशि… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. गुरु का मिथुन राशि में गोचर कब होगा?

मिथुन राशि में गुरु ग्रह 15 मई 2025 को प्रवेश करेंगे। 

2. मिथुन राशि का स्वामी कौन है?

बुध ग्रह को मिथुन राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं। 

3. बुध और गुरु मित्र हैं?  

ज्योतिष के अनुसार, बुध और गुरु ग्रह को एक-दूसरे के शत्रु माना जाता है। 

सूर्य का वृषभ राशि में गोचर इन 5 राशियों के लिए रहेगा बेहद शुभ, धन लाभ और वेतन वृद्धि के योग!

सूर्य का वृषभ राशि में गोचर इन 5 राशियों के लिए रहेगा बेहद शुभ, धन लाभ और वेतन वृद्धि के बनेंगे योग!

सूर्य का वृषभ राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को नवग्रहों के जनक का दर्जा प्राप्त है इसलिए इनका गोचर मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करता है। सूर्य ग्रह हर माह अपना राशि परिवर्तन करते हैं। इस प्रकार, वह लगभग 30 दिनों तक एक राशि में रहते हैं और इसके बाद, वह दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब यह जल्द ही अपनी राशि में बदलाव करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको “सूर्य का वृषभ राशि में गोचर” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि। 

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इसके अलावा, सूर्य के इस गोचर का असर राशि चक्र की सभी 12 राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया पर भी पड़ेगा। कुछ राशियों को सूर्य के राशि परिवर्तन से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे जबकि कुछ को नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। लेकिन चिंता न करें, हम अपने इस लेख में आपको सूर्य गोचर के अशुभ परिणामों से बचने के उपाय भी प्रदान करेंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं कि सूर्य गोचर का समय और तिथि। 

सूर्य का वृषभ राशि में गोचर: तिथि और समय 

ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव को नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है जो हर 30 दिन बाद अपना राशि परिवर्तन करते हैं। इस प्रकार, अब यह एक साल बाद शुक्र ग्र की राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि सूर्य महाराज 14 मई 2025 की रात 11 बजकर 51 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में, सूर्य गोचर का प्रभाव देश-दुनिया के साथ-साथ सभी राशियों को भी प्रभावित करेगा। कुछ राशियों को यह शुभ परिणाम देंगे जबकि कुछ राशियों को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं इसलिए आपको कुछ विशेष सावधानियों का पालन करना होगा जिनके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे। 

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चलिए अब नज़र डालते हैं कि वृषभ राशि में सूर्य की विशेषताओं पर।

सूर्य और गुरु ग्रह की वृषभ राशि में युति 

वृषभ राशि में जब सूर्य देव 14 मई 2025 को गोचर करेंगे, तो उस समय वहां पहले से देवताओं के गुरु बृहस्पति देव विराजमान होंगे। ऐसे में, शुक्र की राशि वृषभ में सूर्य और गुरु ग्रह युति का निर्माण करेंगे। हालांकि, इन दोनों ग्रहों की युति बेहद कम समय के लिए होगी क्योंकि सूर्य गोचर के एक दिन बाद यानी कि 15 मई 2025 को गुरु ग्रह मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे। 

बता दें कि एक राशि में सूर्य और बृहस्पति देव की उपस्थिति को शुभ माना जाता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सरकारी क्षेत्र से जुड़े हैं या जिनकी सरकारी नौकरी है। साथ ही, जो जातक लंबे समय से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए सूर्य-गुरु की युति फलदायी रहेगी और ऐसे में, आपको सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति हो सकती है। 

वृषभ राशि में सूर्य की विशेषताएं  

राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ पृथ्वी तत्व की राशि है और इसके अधिपति देव शुक्र ग्रह हैं। बता दें कि शुक्र स्त्री ऊर्जा वाले हैं जबकि सूर्य पुरुष ग्रह है। इन दोनों ग्रहों को ज्योतिष में एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। इस प्रकार, सूर्य की वृषभ राशि में मौजूदगी को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है, विशेष रूप से सूर्य देव जब कुंडली में प्रतिकूल स्थिति में होते हैं। लेकिन, इस स्थिति के तहत जन्म लेने वाले व्यक्ति कैसे होते हैं, आइए जानते हैं।  

स्वास्थ्य: जिन जातकों का जन्म वृषभ राशि के तहत हुआ है, उन्हें अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने के कारण रोग और बीमारियां इन्हें समय-समय पर परेशान करती रहती हैं। यह लोग आंखों और चेहरे से जुड़े रोगों के शिकार जल्दी हो जाते हैं। 

पानी से बचें: वृषभ राशि में सूर्य के तहत जन्मे जातकों को पानी से बचने की आवश्यकता होती है क्योंकि इनके जीवन में पानी समस्याएं खड़ी कर सकता है। बात करें प्रेम जीवन की, तो यह लोग जीवनसाथी के साथ रिश्ते को लेकर असंतुष्ट रह सकते हैं। 

स्वभाव: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य वृषभ राशि में बैठे होते हैं, वह दिखने में बेहद आकर्षक और स्वभाव से विनम्र होते हैं। इन लोगों को नृत्य, संगीत और गायन आदि क्षेत्रों में रुचि होती है। हालांकि, यह चतुर और बुद्धिमान होते हैं। 

धन-समृद्धि से संपन्न: वृषभ राशि में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक सामान्य रूप से धनवान होते हैं और धन-वैभव से पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। हालांकि, यह अपने जीवन में काफ़ी धन कमाने में सक्षम होते हैं। 

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सूर्य ग्रह का धार्मिक महत्व 

सूर्य देव संसार को अपनी रोशनी से प्रकाशित करते हैं, यह बात हम सभी भली-भांति जानते हैं। लेकिन, सूर्य देव का संसार और हमारे जीवन में क्या महत्व है, चलिए आपको रूबरू करवाते हैं प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए सूर्य के महत्व से। 

भगवान कृष्ण ने बताई सूर्य देव की महिमा 

भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि संसार में सूर्य से बढ़कर कोई दूसरा देव नहीं हैं, वह धरती के प्रत्यक्ष देवता हैं, जिन्होंने पूरे संसार को प्रकाशित किया है। प्रकाश सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक होता है। मानव शरीर में जो प्रकाश रूपी आत्मा है, वह सूर्य का ही प्रतिबिंब है। भविष्य पुराण के अनुसार, जगत प्रकाश से उत्पन्न हुआ है और प्रकाश में ही विलीन हो जाएगा। 

श्रीराम ने रावण वध से पहले की थी सूर्य उपासना 

वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि भगवान राम ने रावण का वध करने से पूर्व सूर्य आराधना की थी। रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम लंकापति रावण से युद्ध करते समय काफ़ी थक गए थे क्योंकि रावण बेहद शक्तिशाली था और उसे पराजित करना आसान नहीं था, उस समय महर्षि अगस्त्य ने राम जी को आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने और सूर्य देव की पूजा करने की सलाह दी। महर्षि के कहे अनुसार भगवान राम ने ऐसा ही किया और इसके पश्चात, उनके शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। इसके बाद, उन्होंने रावण का वध करते हुए युद्ध में विजय प्राप्त की। 

सूर्य ग्रह का ज्योतिषीय महत्व

वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को मान-सम्मान और उच्च पद का कारक माना जाता है जो सिंह राशि के स्वामी हैं। सूर्य ग्रह मेष राशि में उच्च के होते हैं जबकि तुला इनकी नीच राशि है। कुंडली में सूर्य महादशा के चलने पर जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं, जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ या बलवान होते हैं, उन्हें करियर में सफलता और कारोबार में लाभ मिलता है। सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव से व्यक्ति की समाज में छवि मज़बूत होती है और उसके मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है। 

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सूर्य दोष होने पर परेशान करते हैं ये रोग 

ज्योतिष की मानें तो, जिन लोगों की कुंडली में सूर्य देव किसी अन्य ग्रह से पीड़ित होते हैं, तो ऐसे जातकों को दिल, हड्डियों और आंखों से जुड़े रोग घेर सकते हैं। इसके अलावा, इन्हें पित्त संबंधित रोगों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए। लेकिन आप घबराएं नहीं, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में हर समस्या का हल मौजूद है। इसी क्रम में, हम आपको ऐसे कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जो आपको सूर्य दोष से होने वाले रोगों से बचाव के लिए अपनाने चाहिए। 

सूर्य दोष से होने वाले रोगों से बचने के उपाय 

  • जातकों को प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए। 
  • रोज़ाना स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। 
  • नियमित रूप से तांबे के बर्तन में पानी पिएं। 

सूर्य का वृषभ राशि में गोचर के दौरान अपनाएं ये उपाय 

  • रोज़ाना “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें।
  • रविवार के दिन स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें और सूर्य देव की उपासना करें।
  • कुंडली में सूर्य को बलवान करने के लिए रविवार का व्रत करें। 
  • सूर्य देव से शुभ परिणाम पाने के लिए माणिक्य, गेहूं, लाल कमल और तांबा आदि का दान करें। 
  • रविवार के दिन दही, दलिया, गेहूं की रोटी और चीनी का सेवन करना शुभ रहता है। 

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सूर्य का वृषभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय

मेष राशि

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके आठवें भाव में… (विस्तार से पढ़ें)  

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके करियर भाव यानी कि दसवें भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)  

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य देव आपके भाग्येश भाव यानी कि नौवें भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें) 

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रह आपके आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब गोचर करके…(विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रह आपके सातवें भाव के स्वामी हैं और इस भाव का संबंध…(विस्तार से पढ़ें) 

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य महाराज आपके छठे भाव के स्वामी हैं और आपकी कुंडली में… (विस्तार से पढ़ें) 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश कब करेंगे?

वृषभ राशि में सूर्य देव 14 मई 2025 को गोचर कर जाएंगे। 

2. वृषभ राशि का स्वामी कौन है?

राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ के अधिपति देव शुक्र ग्रह हैं। 

3. सूर्य का गोचर कितने समय में होता है?

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह हर माह यानी कि 30 दिनों में अपना राशि परिवर्तन करते हैं।  

ज्येष्ठ मास में मनाए जाएंगे निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा जैसे बड़े त्योहार, जानें दान-स्नान का महत्व!

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ज्येष्ठ 2025: एक वर्ष में आने वाले हर महीने, सप्ताह और हर दिन का अपना महत्व होता है। इसी क्रम में, हम आज इस विशेष ब्लॉग में ज्येष्ठ मास 2025 के बारे में बात करेंगे। बता दें कि ज्येष्ठ माह हिंदू वर्ष का तीसरा महीना होता है और इसे जेठ माह भी कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना सामान्य रूप से मई या जून में पड़ता है। इस दौरान सूर्य का प्रकोप धरती पर देखा जा सकता है क्योंकि ज्येष्ठ माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। लोगों का भीषण गर्मी से हाल-बेहाल होता है। ज्येष्ठ मास में सूर्य की ज्येष्ठता होने के कारण यह महीना सबसे गर्म महीनों में आता है। साथ ही, इस माह में सूर्य देव और भगवान वरुण की आराधना की जाती है।  

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हालांकि, ज्येष्ठ मास का अपना धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है जिसके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे। साथ ही, आपको बताएंगे कि कब होगा ज्येष्ठ माह शुरू? इस दौरान आपको किन कामों को करना चाहिए और किन कामों से बचना चाहिए? लेकिन इन सब बातों को जानने के लिए आपको ज्येष्ठ मास 2025 का यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना  जारी रखना होगा। 

कब से शुरू होगा ज्येष्ठ मास 2025?

हिंदू वर्ष के तीसरे महीने ज्येष्ठ का आगाज़ 13 मई 2025, मंगलवार के दिन होगा जबकि इस माह की समाप्ति 11 जून 2025, बुधवार को हो जाएगी। इस माह के अंत के साथ ही आषाढ़ का महीना लग जाएगा। बता दें कि ज्येष्ठ माह में सूर्य देव बहुत शक्तिशाली होते हैं इसलिए धरती पर भयंकर गर्मी पड़ती है। सूर्य की ज्येष्ठता की वजह से नदी और तालाब सूख जाते हैं। ऐसे में, यह माह लोगों को जल का महत्व समझाता है। ज्येष्ठ महीने में हनुमान जी, सूर्य देव और वरुण देव की उपासना विशेष रूप से की जाती है। 

आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं ज्येष्ठ माह 2025 में मनाए जाने वाले व्रत एवं त्योहारों के बारे में। 

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ज्येष्ठ माह 2025 में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार

दिनव्रत-त्योहार
13 मई 2025, ,मंगलवारनारद जयंती
15 मई 2025, गुरुवारवृषभ संक्रांति
16 मई 2025, शुक्रवारसंकष्टी  चतुर्थी
20 मई 2025, मंगलवारकालाष्टमी
23 मई 2025, शुक्रवारभद्रकाली जयंती 
23 मई 2025, शुक्रवारअपरा एकादशी
24 मई 2025, शनिवारप्रदोष व्रत
25 मई 2025, रविवारमासिक शिवरात्रि
26 मई 2025, सोमवारवट सावित्री व्रत
27 मई 2025, मंगलवाररोहिणी व्रत
27 मई 2025, मंगलवार अमावस्या
27 मई 2025, मंगलवारशनि जयंती
29 मई 2025, गुरुवारमहाराणा प्रताप जयंती
31 मई 2025, शनिवारशीतला षष्टी
03 जून 2025, मंगलवारदुर्गाष्टमी व्रत
03 जून 2025, मंगलवारधूमावती जयंती
05 जून 2025, गुरुवारगंगा दशहरा
05 जून 2025, गुरुवारविश्व पर्यावरण दिवस
06 जून 2025, शुक्रवारनिर्जला एकादशी
08 जून 2025, रविवारप्रदोष व्रत
10 जून 2025, मंगलवारवट पूर्णिमा व्रत 
11 जून 2025, बुधवारदेव स्नान पूर्णिमा
11 जून 2025, बुधवारकबीर जयंती
11 जून 2025, बुधवार ज्येष्ठ पूर्णिमा

ज्येष्ठ माह का महत्व 

हिंदू वर्ष के प्रत्येक माह की तरह ज्येष्ठ माह का भी अपना महत्व है। इस महीने कई बड़े एवं प्रमुख महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। साथ ही, सूर्य की तीव्रता की वजह से जल का स्तर कम हो जाता है और जलाशय सूख जाते हैं। इस प्रकार, यह माह जल के संरक्षण पर ज़ोर देता है। साथ ही, पेड़-पौधों को जल देने से मनुष्यों के दुखों का नाश होता है और पितृ भी प्रसन्न होते हैं। ज्येष्ठ मास में सत्तू, जल वाले फलों और हरी सब्जियां का सेवन करना लाभदायक साबित होता है। 

ज्येष्ठ माह 2025 का धार्मिक महत्व 

ज्येष्ठ माह 2025 के धार्मिक महत्व की बात करें, तो ज्येष्ठ मास को बहुत शुभ माना जाता है और इस महीने के स्वामी मंगल हैं जिन्हें ज्योतिष में साहस के कारक ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इस माह में वरुण देव, सूर्य देव और हनुमान जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, ज्येष्ठ विष्णु जी का प्रिय माह है इसलिए इस अवधि में भगवान विष्णु, उनके चरणों से निकलने वाली गंगा और वायुपुत्र हनुमान जी की पूजा की जाती है। 

कहते हैं कि ज्येष्ठ या जेट के महीने में पूजा-पाठ और दान-धर्म करने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संकटमोचन हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से पहली बार ज्येष्ठ के महीने में ही हुई थी। सनातन धर्म में जल के देवता वरुण, अग्नि के देवता सूर्य और कलयुग के देवता हनुमान जी की पूजा भी ज्येष्ठ माह में करना फलदायी होता है। 

इसके अलावा, ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले मंगलवार का भी विशेष महत्व होता है जिसे बड़ा मंगल या फिर बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में आने वाले चार बड़े मंगलवार की पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहा फल प्राप्त होता है। ऐसे में, ज्येष्ठ माह 2025 में मनाए जाने वाले व्रतों एवं त्योहारों का महत्व बढ़ जाता है। हालांकि, इस महीने में वट सावित्री व्रत, गंगा दशहरा, शीतलाष्टमी, प्रदोष, एकादशी  पूर्णिमा, नारद जयंती, और निर्जला एकादशी जैसे कई बड़े पर्वों को मनाया जाता है। 

सिर्फ इतना ही नहीं, ज्येष्ठ 2025 में ग्रह अपनी राशि और दशा में भी परिवर्तन करेंगे जिसका असर राशियों समेत संसार पर दिखाई देगा। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं ज्येष्ठ माह से जुड़ी ऎसी बातों से जिनके बारे में शायद आपको जानकारी नहीं होगी। 

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ज्येष्ठ मास 2025 में पाएं ग्रह दोष से मुक्ति 

ज्योतिष की दृष्टि से भी ज्येष्ठ माह को विशेष स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ माह में दान-पुण्य और पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्यों को करने से जातक की कुंडली में मौजूद कई तरह के ग्रह दोषों का निवारण हो जाता है। साथ ही, इस मास में हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से होने के कारण ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगलवार का व्रत रखने से साधक के कष्टों को हनुमान जी दूर करते हैं और उसके जीवन से नकारात्मक ग्रहों के प्रभावों को शांत करते हैं। 

ज्येष्ठ 2025 में जल दान का महत्व 

ज्येष्ठ माह  में किए गए जल दान को विशेष माना जाता है क्योंकि जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जल से जीवन है इसलिए जल के दान को सदैव शुभ माना जाता है, परन्तु ज्येष्ठ माह में जल का दान सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसे में, इस दौरान आपको अपने घर की छत पर या बगीचे में पक्षियों के लिए जल भर कर रखना चाहिए। सनातन धर्म के अलावा ज्योतिष शाश्त्र में भी पशु-पक्षियों को जल देना शुभ माना जाता है।

बता दें कि हिंदू धर्म में हर देवी-देवता का पशु-पक्षी के रूप में अपना वाहन होता है इसलिए ज्येष्ठ मास में पशु-पक्षियों को जल देने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, ऐसा करने से देवी-देवता भी आपसे प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है। सिर्फ इतना ही नहीं, ज्येष्ठ माह के दौरान गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को गुड़, जल, तिल और सत्तू आदि का दान करना चाहिए। अगर आप इन चीज़ों का दान करते हैं, तो आपसे विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से राहत मिलती है। साथ ही, आपके सभी पापों का नाश हो जाता है। 

ज्येष्ठ माह और इस महीने हुई पौराणिक घटनाएं 

प्राचीन काल से ही ज्येष्ठ माह का अपना महत्व रहा है क्योंकि इस महीने में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं जो धार्मिक रूप से विशेष मानी गई हैं। बता दें कि धरती पर गंगा नदी का अवतरण ज्येष्ठ मास में हुआ था और इस वजह से ही ज्येष्ठ में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्व के दिन पवित्र गंगा के जल में डुबकी लगाने से सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, ज्येष्ठ माह में ही न्याय के देवता और सूर्य पुत्र भगवान शनि का जन्म हुआ था।  

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

ज्येष्ठ माह 2025 के दौरान क्या करें? 

  • ज्येष्ठ माह में राम जी की मुलाकात अपने परम भक्त हनुमान जी से हुई थी और इसी वजह से इस महीने में हनुमान जी की पूजा फलदायी होती है। ज्येष्ठ माह में ही बड़े मंगलवार का पर्व आता है और इस दिन हनुमान जी की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। 
  • ज्येष्ठ मास में अपने घर की छत, बालकनी या किसी खुले स्थान पर चिड़ियों के लिए पानी और दाना रखना चाहिए क्योंकि गर्मी के प्रकोप से नदी-तालाब सूख जाते हैं। साथ ही, जल का स्तर भी गिर जाता है इसलिए अपने घर के बाहर या छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें। 
  • ज्येष्ठ माह 2025 में सच्चे मन से भगवान सूर्य और वरुण देव की आराधना करें। साथ ही, इस दौरान नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढ़ाएं। 
  • ज्येष्ठ महीने में सूर्य की तीव्रता के कारण जल संकट पैदा हो जाता है। ऐसे में, इस माह में जल का संरक्षण करने के साथ-साथ जल का दान भी करना चाहिए।
  • इस मास में तिल के तेल का दान करने से जातक को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। 
  • ज्येष्ठ माह में पौधों को जल देने, लोगों को जल पिलाने, पानी की बर्बादी न करने और जरूरतमंद लोगों को जल भरे मटके एवं पंखा दान करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। 

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ज्येष्ठ माह में भूलकर भी न करें ये काम

ज्येष्ठ माह के दौरान कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें हमें करने से बचना चाहिए जो कि इस प्रकार हैं: 

  • जेठ या ज्येष्ठ के महीने में दिन में सोने से बचना चाहिए। इस दौरान दिन में सोने से आपको कई तरह के रोग अपना शिकार बना सकते हैं। 
  • इस माह के दौरान मिर्च-मसालेदार चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए। संभव हो, तो दिन में केवल एक बार ही भोजन करने का प्रयास करें। 
  • ज्येष्ठ माह में राई, लहसुन,सहित गर्म चीजों को  नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह माह सबसे गर्म महीनों में से एक होता है। 
  • जेट मास में बैंगन के सेवन से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना आपकी संतान के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
  • ज्येष्ठ मास के दौरान अपने घर में आने वाले किसी भी इंसान को पानी पिलाए बिना नहीं जाने दें। 
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जेठ माह में अपने परिवार के बड़े पुत्र या फिर पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए।
  • ज्येष्ठ के महीने में जल का इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए और बेकार में जल को बर्बाद नहीं करना चाहिए। 

चलिए अब हम नज़र डालते हैं ज्येष्ठ माह 2025 के दौरान किए जाने वाले राशि अनुसार उपायों के बारे में। 

ज्येष्ठ माह 2025 में सूर्य देव की कृपा के लिए अवश्य करें राशि अनुसार ये उपाय

मेष राशि: मेष राशि के जातक ज्येष्ठ माह 2025 में धन प्राप्ति के लिए हर शुक्रवार एक मुठ्ठी अलसी और हल्दी की गांठ लेकर लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। 

वृषभ राशि: वृषभ राशि वाले व्यापार में तरक्की के लिए इस माह शंखपुष्पी पौधे की जड़ को गंगाजल से धोने के बाद इस पर केसर से तिलक करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक ज्येष्ठ माह में नहाने के पानी में गन्ने का रस मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-सौभाग्य आता है। 

कर्क राशि: कर्क राशि वाले ज्येष्ठ माह की अवधि में अपने घर पर सत्यनारायण भगवान की पूजा  कराएं और इसके पश्चात, घर-परिवार की खुशहाली के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के लिए ज्येष्ठ मास की किसी भी रात को जल में केसर मिलाकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें। इससे आपके सभी काम बनने लगते हैं। 

कन्या राशि: कन्या राशि वाले ज्येष्ठ माह 2025 के दौरान पानी में इलायची डालकर स्नान करें। ऐसा करना आपके लिए लाभदायक रहेगा। 

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तुला राशि: तुला राशि के जातक ज्येष्ठ माह में अपने घर पर खीर बनाएं और इसका देवी लक्ष्मी को प्रसाद के रूप में भोग लगाएं। इससे करियर की समस्याएं दूर होंगी। 

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि वाले ज्येष्ठ मास में विष्णु सहस्त्रनाम या रात में लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से जीवन में धन-वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 

धनु राशि: धनु राशि के जातकों को ज्येष्ठ माह के दौरान कच्चा सूत हल्दी में रंगकर बरगद के पेड़ पर लपेटना चाहिए और इसके बाद, वृक्ष की 11 बार परिक्रमा करें। 

मकर राशि: मकर राशि वालों को जेठ के माह में खड़ाऊ, छाता, उड़द की दाल और लोहा आदि का दान करना चाहिए। इससे ग्रहों के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं। 

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक इस माह के दौरान पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। 

मीन राशि: ज्येष्ठ मास में मीन राशि वालों के लिए आम का दान करना शुभ रहेगा। साथ ही, आप राहगीरों को पानी पिलाएं। ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति आती है। 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. ज्येष्ठ माह 2025 कब शुरू होगा?

इस साल ज्येष्ठ माह की शुरुआत 13 मई 2025 को होगी। 

2. ज्येष्ठ माह में कौन-कौन से त्योहार आते हैं?

इस महीने में निर्जला एकादशी, ज्येष्ठ पूर्णिमा और गंगा दशहरा जैसे पर्व मनाए जाते हैं। 

3. ज्येष्ठ में किसकी पूजा की जाती है?

ज्येष्ठ माह के दौरान सूर्य देव और भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है।

राहु के कुंभ राशि में गोचर करने से खुल जाएगा इन राशियों का भाग्‍य, देखें शेयर मार्केट का हाल

राहु के कुंभ राशि में गोचर करने से खुल जाएगा इन राशियों का भाग्‍य, देखें शेयर मार्केट का हाल

राहु का कुंभ राशि में गोचर: एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं राहु का कुंभ राशि में गोचर से संबंधित यह खास ब्लॉग।

राहु 18 मई, 2025 को शनि की राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि राहु के कुंभ राशि में गोचर करने का राशियों और देश-दुनिया पर क्‍या प्रभाव देखने को मिलेगा।

वैदिक ज्‍योतिष में राहु को एक रहस्‍यमयी ग्रह के रूप में देखा जाता है। इस ग्रह का संबंध राजनीति और कूटनीतिक से है। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान विष्‍णु ने जब मोहिनी अवतार लिया था, तब अमृत प्राप्‍त करने के लिए छल करने वाले स्‍वरभानु नामक राक्षस का विष्‍णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से सिर और धड़ अलग कर दिया था। लेकिन अमृत का पान करने के कारण उस राक्षस की मृत्‍यु नहीं हुई और उसका सिर एवं धड़ दोनों जीवित रहे। सिर को राहु और धड़ को केतु का नाम दिया गया।

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वैदिक ज्‍योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है लेकिन खगोलशास्‍त्र में इन्‍हें ग्रहों के बजाय सूर्य और चंद्रमा के दक्षिणी एवं उत्तरी नोड के रूप में देखा जाता है। हालांकि, तब भी राहु का अत्‍यंत महत्‍व है। जन्‍मकुंडली में राहु की स्थिति पर हमेशा ध्‍यान दिया जाता है। बृहस्‍पति की राशि मीन में कुछ समय बिताने के बाद अब राहु 18 मई, 2025 को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर शनि की राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं। राहु एक राशि में लगभग 18 महीने के लिए गोचर करते हैं। राहु के गोचर का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है।

कुछ ज्‍योतिषी वृश्चिक और धनु राशि को राहु की नीच राशियां मानते हैं जबकि कुछ वृषभ और मिथुन को इसकी उच्‍च राशि कहते हैं। कभी-कभी राहु ग्रहण लगाता है इसलिए राहु की स्थिति महत्‍वपूर्ण होती है। हालांकि, अगर राहु और केतु केंद्र और त्रिकोण भाव के स्‍वामी के साथ अच्‍छी स्थिति में हैं, तो इससे राजयोग कारक बनता है और इनकी दशा व्‍यक्‍ति को कंगाल से मालामाल बना सकती है। चूंकि, राहु को ब्‍याहु भी कहा जाता है इसलिए राहु की महादशा और अंतर्दशा चलने पर जातक के विवाह के योग बन सकते हैं। यदि शुभ दशा चल रही हो, तो राहु का गोचर विवाह भी करवा सकता है।

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राहु का कुंभ राशि में गोचर: विशेषताएं

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार राहु का कुंभ राशि में होना दर्शाता है कि जातक प्रगतिशील, दयालु और सामाजिक न्‍याय को लेकर चिंतित रहता है। इनकी रचनात्‍मकता और सुधार करने में अधिक रुचि होती है एवं ये कई विषयों को गहराई से जानने में दिलचस्‍पी रखते हैं। इन्‍हें अक्‍सर विचित्र, असामान्‍य और ऐसे व्‍यक्‍ति के रूप में देखा जाता है जो कब क्‍या करे, पता नहीं होता है। राहु के कुंभ राशि में होने पर जातक विशेष रूप से अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने, सामाजिक कार्य और रिसर्च जैसे क्षेत्रों में लोकप्रिय और प्रभावी होता है एवं उसे एक विशिष्‍ट व्‍यक्‍ति के रूप में देखा जा सकता है।

राहु वैवाहिक जीवन, भ्रम और परंपरा से हटकर चलने का प्रतीक है। राशि चक्र में कुंभ ग्‍यारहवीं राशि है। यह वायु तत्‍व की स्थिर राशि है जिसे पुरुष के रूप में देखा जाता है। यह रचनात्‍मकता, मानवता और बुद्धि का प्रतिनिधित्‍व करती है। कुंभ राशि का स्‍वामी शनि परिश्रम और कड़ी मेहनत का प्रतीक है। कुंभ राशि में होने पर राहु के गुण एवं विशेषताएं बढ़ जाती हैं। ये मानव संस्‍कृति और ज्ञान के क्षेत्र में प्रगति करने में सबसे आगे रहते हैं। इनकी समाज सेवा करने में रुचि होती है और ये समाज की परंपराओं पर सवाल उठाने का साहस रखते हैं। अपने रचनात्‍मक विचारों और नई सोच के कारण इन्‍हें अपने करियर में सफलता प्राप्‍त होती है। ज्‍योतिष में इन्‍हें महान समझा जाता है। ये पारंपरिक तरीकों से हटकर अलग और असामान्‍य तरीकों से धन कमाते हैं।

राहु का कुंभ राशि में गोचर: इन राशियों को होगा लाभ

मेष राशि

राहु गोचर 2025 के अनुसार मेष राशि के ग्‍यारहवें भाव में राहु का यह गोचर होने जा रहा है। इस भाव को राहु को बहुत लाभकारी माना जाता है इसलिए कुंभ राशि में राहु का गोचर करना आपके लिए अत्‍यंत सकारात्‍मक गोचर साबित होगा। राहु का कुंभ राशि में गोचर करने से आपको मनचाहे परिणाम मिल सकते हैं। आपके सपने सच होंगे और लंबे समय से रूकी हुई योजनाओं के आगे बढ़ने की वजह से आप अधिक आत्‍मविश्‍वासी महसूस करेंगे।

राहु इस राशि में रहकर आपकी आमदनी में वृद्धि करेंगे जिससे आपकी वित्तीय स्थिति में सुधार आने की उम्‍मीद है। आपको अपना सामाजिक दायरा बढ़ाने का मौका मिल सकता है। आपके कई दोस्‍त बन सकते हैं। आपको नए लोगों को जानने और उनके साथ समय बिताने में आनंद आएगा। आप परिवार के बजाय घर से बाहर अधिक समय बिताएंगे क्‍योंकि आप अपने दोस्‍तों को अपने परिवार से पहले रखेंगे। इसके अलावा इस समय रोमांटिक संबंध भी अच्‍छे रहेंगे।

मेष राशिफल 2025

तुला राशि

तुला राशि के पांचवे भाव में राहु का गोचर होने जा रहा है। इससे आपको सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त हो सकते हैं। आपकी बुद्धि बढ़ेगी और आपकी याद्दाश्‍त में भी सुधार देखने को मिलेगा। आप जो देखते, समझते या पढ़ते हैं, उसे तेजी से सीखने और याद रखने की मजबूत क्षमता की वजह से आप स्‍कूल में अच्‍छा प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, आपका ध्‍यान भटक सकता है।

इस दौरान प्रेम संबंध बहुत मजबूत हो सकते हैं। आपके और आपके प्रेमी के बीच अच्‍छे संबंध रहेंगे। आप अपने प्‍यार को संजोकर रखेंगे और उसके लिए त्‍याग करने को भी तैयार रहेंगे लेकिन आपको उनसे झूठ बोलने से बचना चाहिए। इस समय आपका ध्‍यान शेयर मार्केट की ओर जा सकता है जिसमें निवेश करने से अच्‍छा रिटर्न मिलने की उम्‍मीद है। आप जुए, सट्टे, लॉटरी और ऐसे कामों से बचना चाहिए। पैसा कमाने के लिए आप कई नए तरीके आज़मा सकते हैं। यहां तक कि आपको सबसे मुश्किल काम भी आसान लगेगा।

तुला राशिफल 2025

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

धनु राशि

धनु राशि के तीसरे भाव में राहु का गोचर होने जा रहा है। इस भाव में होने पर राहु आपको कई अवसर प्रदान कर सकता है। राहु गोचर 2025 आपके लिए महत्‍वपूर्ण रहने वाला है। राहु का कुंभ राशि में गोचर करने के दौरान आप व्‍यस्‍त रहेंगे और कुछ यात्राओं पर जा सकते हैं। आपको अपने दोस्‍तों के साथ समय बिताने के अधिक अवसर मिलेंगे और उनके साथ आपकी दोस्‍ती मजबूत होगी। दोस्‍तों से घिरे रहने की वजह से आप परिवार और करीबी रिश्‍तेदारों की बजाय दोस्‍तों के साथ समय बिताने और उनका साथ देने को प्राथमिकता देंगे। इसके अलावा आपको उन पर खर्चा भी करना पड़ सकता है।

राहु के प्रभाव के कारण आपके भाई-बहनों को परेशानियां आ सकती हैं लेकिन आप उनकी मदद करने के लिए तैयार रहेंगे। आपके साहस और शक्‍ति में वृद्धि देखने को मिलेगी। आप जोखिम उठाने के लिए तैयार रहेंगे। आपको व्‍यावसायिक जोखिम उठाने से भी लाभ होगा। आप अपनी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए स्‍वतंत्र रहेंगे। राहु के गोचर की वजह से आपकी बातचीत करने की क्षमता में सुधार होगा जिससे आपको कार्यक्षेत्र में मदद मिलेगी। कुछ सहकर्मी आपके लिए गलतफहमियां पैदा कर सकते हैं।

 धनु राशिफल 2025

कुंभ राशि

इस राहु गोचर 2025 से कुंभ राशि के जातकों को अत्‍यंत लाभ मिलने की उम्‍मीद है क्‍योंकि राहु का गोचर कुंभ राशि में ही होने जा रहा है। इस राशि के पहले भाव में राहु गोचर करेंगे। आपकी सोचने-समझने की क्षमता पर इस गोचर का विशेष प्रभाव पड़ेगा। आपके निर्णय लेने की क्षमता में भी बदलाव आएगा। इस समय आप तेजी से निर्णय लेंगे। आपके विचारों और मस्तिष्‍क पर राहु का प्रभाव होने की वजह से आप नैतिकता को अनदेखा करते हुए निर्णय ले सकते हैं जो कि बाद में गलत साबित हो सकते हैं।

अपने सभी विकल्‍पों पर विचार करने के बाद ही बात करें। यदि आप गलत तरीके से बात करते हैं, तो आपको मनचाहे परिणाम नहीं मिल पाएंगे। स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को अनदेखा करने से आप बीमार पड़ सकते हैं। राहु गोचर के कारण आप अपने जीवनसाथी को प्राथमिकता देंगे और स्‍वार्थी बनकर केवल अपने ऊपर ध्‍यान देने के बजाय अपने रिश्‍ते को बेहतर करने की कोशिश करेंगे। व्‍यापारियों को अपने संपर्कों को बनाए रखने की सलाह दी जाती है। आप उत्‍पादन में वृद्धि करने के लिए झूठ बोलकर व्‍यवसाय करने के बजाय नए कर्मचारियों की भर्ती करने पर ध्‍यान दें। इससे आपको फायदा होगा।

कुंभ राशिफल 2025

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राहु का कुंभ राशि में गोचर: इन राशियों को होगा नुकसान

कर्क राशि

कर्क राशि के आठवें भाव में राहु गोचर 2025 होने जा रहा है। आपको कुछ परिस्थितियों पर पैनी नज़र रखने की जरूरत है क्‍योंकि राहु का आपके आठवें भाव में गोचर करना कुछ परिस्थितियों में नुकसानदायक हो सकता है लेकिन अन्‍य चीज़ों में इससे आपको अच्‍छे परिणाम भी मिल सकते हैं। इस भाव में राहु की उपस्थिति आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। खानपान की गलत आदतों की वजह से आपको संक्रमण या स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या होने के संकेत हैं। ऐसे में आपको भविष्‍य में किसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए किसी अच्‍छे डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए। इस भाव में राहु की उपस्थिति के कारण आपके जीवन में ससुराल वालों का दखल बढ़ सकता है। आप भी ससुराल पक्ष के काम में अधिक सक्रिय हो सकते हैं।

राहु का कुंभ राशि में गोचर करने के दौरान आपको स्‍टॉक मार्केट में निवेश नहीं करना चाहिए क्‍योंकि ऐसा करने से आपको धन की हानि होने की आशंका है लेकिन इससे अप्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍याशित धन लाभ होने की भी उम्‍मीद है। आपको अप्रत्‍याशित रूप से पैतृक संपत्ति या प्रॉपर्टी मिल सकती है। इस समय आपके पास अप्रत्‍याशित रूप से धन का आगमन होगा या आपको किसी और का छिपा हुआ धन मिल सकता है। राहु के गोचर करने के दौरान आपको अपनी धार्मिक आस्‍था से भटकना नहीं है।

कर्क राशिफल 2025

राहु का कुंभ राशि में गोचर: ज्‍योतिषीय उपाय

  • राहु से सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त करने के लिए आप गोमेद रत्‍न पहन सकते हैं लेकिन इससे पहले किसी अनुभवी और योग्‍य ज्‍योतिषी से परामर्श ज़रूर कर लें।
  • राहु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए आप चांदी की चेन और अंगूठी पहन सकते हैं।
  • आप बुधवार के दिन 108 बार ‘ॐ राहवे नम:’ मंत्र का जाप करें।
  • आंवारा कुत्तों की सेवा करें और गरीब एवं ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करें।
  • अपने काम करने की जगह को व्‍यवस्थित रखें और अपने आसपास के माहौल को साफ-सुथरा और सुगंधित रखें।

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राहु का कुंभ राशि में गोचर: विश्‍व पर प्रभाव

नई खोज और प्रौद्योगिकी

  • राहु का कुंभ राशि में गोचर होने पर प्रौद्योगिकी और नई खोज को बढ़ावा मिलेगा।
  • कुंभ नई खोज का प्रतीक है और राहु का संबंध रचनात्‍मकता से होता है इसलिए इस गोचर के दौरान तकनीक के क्षेत्र में नई खोज और रचनात्‍मकता को बढ़ावा मिलेगा।
  • राहु के कुंभ राशि में होने से रणनीतिक सोच को बढ़ावा मिलेगा और खासतौर पर विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल होंगी।
  • कुंभ राशि में राहु की ऊर्जा से एक ऐसे समाज को बढ़ावा मिलेगा जिसमें लोगों के खुले विचार होंगे, यहां लोग एक-दूसरे से जुड़े रहेंगे और तकनीकी रूप से प्रगतिशील होंगे।

समाज और अध्‍यात्‍म

  • राहु का यह गोचर पारंपरिक तरीके से हटकर अध्‍यात्‍म को बढ़ावा देगा। इस गोचर से आध्‍यात्मिकता में कुछ अनूठा हो सकता है। जल्‍द ही आध्‍यात्मिकता को एक नया रूप लेते हुए देखेंगे।
  • इस गोचर से सामज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग सामाजिक कल्‍याण एवं समाज सेवा के कार्यों में शामिल होंगे।
  • यह समय ज्‍योतिषियों, वास्‍तु एक्‍सपर्ट और हीलर्स के लिए भी अनुकूल रहने वाला है। इन्‍हें बेहतर अवसर और सफलता मिलने के आसार हैं।

चिकित्‍सा और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर

  • राहु का कुंभ राशि में गोचर होने पर नया इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाने में मदद मिलेगी जिससे चिकित्‍सा के क्षेत्र में प्रगति होगी।
  • चिकित्‍सा के क्षेत्र में नई खोज में सफलता मिलने के संकेत हैं।

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राहु का कुंभ राशि में गोचर: स्‍टॉक मार्केट रिपोर्ट

राहु का गोचर सबसे महत्‍वपूर्ण गोचरों में से एक है और इसका प्रभाव स्‍टॉक मार्केट पर भी देखने को मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि राहु का गोचर शेयर मार्केट भविष्‍यवाणी 2025 के बारे में क्‍या कहता है।

  • सार्वजनिक क्षेत्र, सीमेंट उद्योग, ऊन की मिलों, आयरन, स्‍टील और हाउजिंग क्षेत्र में वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • फार्मा सेक्‍टर, ऑटोमोबाइल, ट्रैक्‍टर उद्योग, फर्टिलाइज़र और इंश्‍योरेंस कंपनियों के साथ-साथ कॉस्‍मेटिक, ट्रांसपोर्ट कंपनियां, कपास की मिलों, फिल्‍म उद्योग और प्रिंटिंग आदि क्षेत्र भी तरक्‍की करेंगे।
  • मेडिकल और लीगल कंपनियां भी अच्‍छा प्रदर्शन करती हुई नज़र आएंगी।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. राहु को खुश करने के लिए क्‍या कर सकते हैं?

उत्तर. कुत्तों को खाना खिलाने से राहु की कृपा मिलती है।

प्रश्‍न 2. राहु को किस देवता से भय लगता है?

उत्तर. कीर्तिमुख, जिसे भगवान शिव ने उत्‍पन्‍न किया था।

प्रश्‍न 3. राहु को किस ग्रह से डर लगता है?

उत्तर. देवताओं के गुरु बृहस्‍पति से।

गुरु, राहु-केतु जैसे बड़े ग्रह करेंगे इस सप्ताह राशि परिवर्तन, शुभ-अशुभ कैसे देंगे आपको परिणाम? जानें

गुरु, राहु-केतु जैसे बड़े ग्रह करेंगे इस सप्ताह राशि परिवर्तन, शुभ-अशुभ कैसे देंगे आपको परिणाम? जानें

एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए “साप्ताहिक राशिफल” का यह ब्लॉग लेकर आया है जिसके अंतर्गत आपको मई 2025 के दूसरे सप्ताह के बारे में समस्त जानकारी प्राप्त होगी। हालांकि, आपके मन-मष्तिष्क में आने वाले सप्ताह को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि क्या यह हफ़्ता आपके लिए शुभ रहेगा? करियर और व्यापार में मिलेगी सफलता या करना पड़ेगा अभी इंतज़ार? स्वास्थ्य समस्याओं का होगा अंत या रोग करेंगे परेशान? प्रेम जीवन में होगी प्यार प्रेम की बरसात या होगी तकरार? सिंगल लोगों को मिलेगा उनके जीवन का प्यार? इन सभी सवालों के जवाब आपको साप्ताहिक राशिफल के हमारे इस ख़ास ब्लॉग में मिलेंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और जानते हैं इस सप्ताह का पूरा लेखा-जोखा। 

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

साप्ताहिक राशिफल के इस लेख को हमारे अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति, दशा एवं चाल की गणना करके तैयार किया गया है। ऐसे में, यहाँ आपको न सिर्फ मई के इस हफ़्ते (12 मई से 18 मई, 2025) की जानकारी मिलेगी, बल्कि इस दौरान कौन से ग्रह गोचर करेंगे और कौन से व्रत एवं त्योहारों को मनाया जाएगा, इस बारे में भी हम आपको बताएंगे। साथ ही, इस सप्ताह जन्म लेने वाले मशहूर सितारों के जन्मदिन से भी आपको रूबरू करवाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि कैसा रहेगा ये सप्ताह सभी 12 राशियों के लिए। 

इस सप्ताह के ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना

हिंदू पंचांग के अनुसार, मई 2025 के दूसरे सप्ताह का आगाज़ स्वाति नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा अर्थात 12 मई 2025, सोमवार को होगा। वहीं, इस हफ़्ते का समापन श्रवण नक्षत्र के तहत कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि अर्थात 18 मई 2025, रविवार को हो जाएगा। बता दें कि मई का महीना साल का पांचवां महीना होता है और इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है। हालांकि, इस दौरान कई बड़े पर्वों और व्रतों को मनाया जाएगा और इनकी सही तिथियों के बारे में हम नीचे विस्तार से चर्चा करेंगे। आइए जानते हैं इस सप्ताह के प्रमुख पर्व एवं व्रतों के बारे में। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी

मई 2025 के इस सप्ताह में मनाए जाने वाले व्रत एवं त्योहारों की सूची और उनके धार्मिक महत्व  के बारे में हम विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे। 

वैशाख पूर्णिमा व्रत (12 मई 2025, सोमवार): हिंदू धर्म में वैशाख माह में आने वाली पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा कहते हैं जिसे बुद्ध पूर्णिमा और सत्य विनायक पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। वैशाख पूर्णिमा के शुभ अवसर पर धार्मिक अनुष्ठानों और दान-पुण्य करना शुभ होता है। बुद्ध पूर्णिमा होने की वजह से वैशाख पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखती है। 

वृषभ संक्रांति (15 मई 2025, गुरुवार): सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं जो साल में बारह बार आती है। इसी तरह, सूर्य ग्रह जब मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस घटना को वृषभ संक्रांति कहा जाता है। बता दें कि प्रत्येक संक्रांति दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस दिन सूर्य उपासना करना भी फलदायी माना जाता है। 

संकष्टी चतुर्थी (16 मई 2025, शुक्रवार): संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है और भक्तों द्वारा इस व्रत को बहुत आस्था एवं श्रद्धापूर्वक किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी एक लोकप्रिय व्रत है और मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक के जीवन के सभी कष्टों को बप्पा हर लेते हैं। साथ ही, व्रती को भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है। 

हम आशा करते हैं कि यह व्रत-त्योहार आपके जीवन को खुशियाँ और उमंग से भर देंगे। 

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इस सप्ताह में होने वाले गोचर और ग्रहण

बात करें ग्रहों के गोचर की तो, मई का दूसरा सप्ताह बेहद ख़ास रहने वाला है क्योंकि इस दौरान एक नहीं तीन बड़े ग्रह अपना राशि परिवर्तन करेंगे। ऐसे में, इसका प्रभाव राशि चक्र की सभी राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा। बता दें कि 12 मई से लेकर 18 मई के दौरान चार बड़े ग्रह अपनी राशि में बदलाव करेंगे। वहीं, एक ग्रह की चाल में परिवर्तन होगा। चलिए नज़र डालते हैं कौन से हैं वह ग्रह और कब होगा इनका गोचर। 

सूर्य का वृषभ राशि में गोचर (14 मई 2025): नवग्रहों के राजा के नाम से विख्यात सूर्य महाराज अपना राशि परिवर्तन करते हुए 14 मई 2025 की रात 11 बजकर 51 मिनट पर शुक्र की राशि वृषभ में गोचर करेंगे। 

बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर (15 मई 2025): बृहस्पति ग्रह को देवताओं के गुरु का दर्जा प्राप्त है जो कि ज्ञान के कारक माने गए हैं। अब लगभग एक साल बाद गुरु ग्रह 15 मई 2025 की रात 02 बजकर 30 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इस गोचर का प्रभाव लंबे समय तक संसार को प्रभावित कर सकता है। 

राहु का कुंभ राशि में गोचर (18 मई 2025): ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा जाता है जिन्हें क्रूर ग्रह माना गया है। मई 2025 के दूसरे सप्ताह में होने वाला दूसरा बड़ा गोचर राहु का होगा जो 18 मई 2025 की शाम 05 बजकर 08 मिनट पर शनि देव की राशि कुंभ में होगा। 

केतु का सिंह राशि में गोचर (18 मई 2025): केतु देव को अशुभ और पापी ग्रह माना जाता है जो जातक के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। मई के इस हफ़्ते का तीसरा बड़ा गोचर 18 मई 2025 की शाम 05 बजकर 08 मिनट पर सिंह राशि में राहु ग्रह का होगा। 

बुध मेष राशि में अस्त (18 मई 2025): ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध ग्रह को संचार, वाणी, बुद्धि और व्यापार का कारक कहा जाता है जो अब 18 मई 2025 की रात 12 बजकर 13 मिनट पर मंगल देव की राशि मेष राशि में अस्त होने जा रहे हैं। 

इस सप्ताह में पड़ने वाले बैंक अवकाश

अगर आपको भी समय-समय पर बैंक में काम पड़ता है, तो आपको बैंक अवकाशों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है इसलिए यहाँ हम आपको मई 2025 के इस सप्ताह में पड़ रहे बैंक हॉलिडे की सूची दे रहे हैं। 

तिथिदिनअवकाशराज्य 
12 मई 2025सोमवारबुद्ध पूर्णिमाअंडमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश,  झारखंड, जम्मू-कश्मीर,  महाराष्ट्र, उड़ीसा, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल
16 मई 2025शुक्रवारराज्य दिवससिक्किम 

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12 मई से 18 मई के बीच विवाह मुहूर्त

शादी-विवाह जैसे कार्यों को सदैव शुभ मुहूर्त में करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से नवविवाहित दंपति को सभी देवी-देवताओं समेत ग्रहों का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में, हम आपको यहां मई 2025 के इस सप्ताह के विवाह मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं। 

दिनांक एवं दिननक्षत्रतिथिमुहूर्त का समय
14 मई 2025, बुधवारअनुराधाद्वितीयासुबह 06 बजकर 34 मिनट से सुबह 11 बजकर 46 मिनट तक
15 मई 2025, गुरुवारमूलचतुर्थीसुबह 04 बजकर 02 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 26 मिनट तक 
16 मई 2025, शुक्रवारमूलचतुर्थीसुबह 05 बजकर 49 मिनट से शाम 04 बजकर 07 मिनट तक
17 मई 2025, शनिवारउत्तराषाढ़ा पंचमीशाम 05 बजकर 43 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक 
18 मई 2025, रविवारउत्तराषाढ़ाषष्ठीशाम 05 बजकर 48 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक

इस सप्ताह के नामकरण मुहूर्त 

शिशु के नामकरण संस्कार के लिए आप शुभ मुहूर्त नीचे देख सकते हैं जो इस प्रकार हैं:   

तिथि मुहूर्त
13 मई 2025, सोमवार 11:24:25 से 29:31:14
19 मई 2025, रविवार05:27:55 से 29:27:55

इस सप्ताह अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त

तिथिमुहूर्त 
14 मई 202507:03-12:38
19 मई 202519:11-23:34

इस सप्ताह मुंडन संस्कार के शुभ मुहूर्त

तिथिदिनमुहूर्त 
14 मई 2025बुधवार11:47:24 से 29:31:14
15 मई 2025गुरुवार05:30:37 से 14:08:04
19 मई 2025सोमवार06:14:48 से 29:28:25

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इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर सितारे

12 मई 2025: डोमनॉल ग्लीसन, कैमरून डेलपोर्ट, एरिक डर्म

13 मई 2025: दिव्येंदु शर्मा, कैंडिस किंग, कैलाश विजयवर्गीय

14 मई 2025: शुभम गढ़वाल, मनुशी चिल्लर, नताशा रास्तोगी

15 मई 2025: तुषार देशपांडे, परिधि शर्मा, पेट्रिस ईवरा

16 मई 2025: शक्ति अरोड़ा, विकी कौशल, के नटवर सिंह

17 मई 2025: साशा अलेक्जेंडर, नुसरत भरुचा, पंकज उधास

18 मई 2025: पसुपथ्य, अलाना स्टीवर्ट, डिएगो पेरेज़

एस्ट्रोसेज इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं देता है। यदि आप अपने पसंदीदा 

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साप्ताहिक राशिफल: 12 मई से 18 मई, 2025  

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें: चंद्र राशि कैलकुलेटर

मेष साप्ताहिक राशिफल 

 इस हफ्ते घरेलू या परिवार के इलाज से जुड़े ख़र्चों में अच्छा खासा इज़ाफा….. (विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

यदि आपको अपने लवमेट से यह शिकवा था कि वह अपने दिल….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

 ये बात सभी जानते हैं कि, क़ुदरत ने आपको आत्मविश्वास और तेज़ ….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

 इस सप्ताह आपको अपने प्रेमी के माध्यम से, कोई शुभ समाचार प्राप्त….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

ये सप्ताह स्वास्थ्य के मोर्चे पर, काफी अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करेगा। हालांकि….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

इस सप्ताह कई योग बनेंगे और आपको कई ऐसे अवसर प्राप्त ….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

भावनात्मक तौर पर ये सप्ताह, आपके लिए अच्छा नहीं होगा। क्योंकि…. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आप और आपका प्रिय, हर कार्य में एक दूसरे की ख़ामियों ….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह यूँ तो आप खुद को काफी हद तक, सेहतमंद….(विस्तार से पढ़ें)

सिंह प्रेम राशिफल

दिल से आप अपने संगी को खुश करने की कोशिश इस सप्ताह करते……(विस्तार से पढ़ें)

कन्या साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपने हर दिन की शुरुआत कसरत, योग या व्यायाम….(विस्तार से पढ़ें)

कन्या प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आप कई विपरीत लिंगी लोगों से ज़रूरत से, ज़्यादा….(विस्तार से पढ़ें)

तुला साप्ताहिक राशिफल

ये सप्ताह आपका स्वास्थ्य जीवन, काफी बेहतरीन रहने की उम्मीद…..(विस्तार से पढ़ें)

तुला प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपके निजी जीवन में चल रही कशमकश भरी परिस्थितियां, आपके….. (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको विशेष रूप से शराब या अन्य नशीले पदार्थ का…..(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक प्रेम राशिफल

इस सप्ताह योग बन रहे हैं कि आपकी लव लाइफ बिल्कुल…..(विस्तार से पढ़ें)

 धनु साप्ताहिक राशिफल

यदि कोई मामला कोर्ट-कचहरी में निलंबित पड़ा था तो, उसके…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपका प्रेमी आर्थिक व भावनात्मक रूप से, आपकी मदद…..(विस्तार से पढ़ें)

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मकर साप्ताहिक राशिफल

यदि आप घर के बड़े हैं तो, आपके अपने स्वाथ्य जीवन का उचित ….(विस्तार से पढ़ें)

मकर प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपको ये बात समझने की सबसे अधिक ज़रूरत….(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

घर और दफ़्तर में कुछ अतिरिक्त दबाव, आपको ग़ुस्सैल बना सकता है। इस…. (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ प्रेम राशिफल

प्रेम की भविष्यवाणी के अनुसार इस सप्ताह, आपके और प्रियतम के ….(विस्तार से पढ़ें)

मीन साप्ताहिक राशिफल 

भावनात्मक तौर पर ये सप्ताह, आपके लिए अच्छा नहीं होगा। क्योंकि…..(विस्तार से पढ़ें)

मीन प्रेम राशिफल

आप अक्सर अपने प्रिय के सामने हारने से परेशान हो जाते हैं, परन्तु….(विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वृषभ संक्रांति 2025 में कब है?

इस साल वृषभ संक्रांति 15 मई 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। 

2. मई 2025 में विवाह के कितने मुहूर्त हैं?  

मई माह में विवाह के 16 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। 

3. बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर कब होगा?

बृहस्पति देव 15 मई 2025 को मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे। 

बुद्ध पूर्णिमा पर इन शुभ योगों में करें भगवान बुद्ध की पूजा, करियर-व्यापार से हर समस्या होगी दूर!

बुद्ध पूर्णिमा पर इन शुभ योगों में करें भगवान बुद्ध की पूजा, करियर-व्यापार से हर समस्या होगी दूर!

बुद्ध पूर्णिमा 2025 बौद्ध धर्म का एक प्रमुख त्योहार है और इसे बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा के शुभ दिन पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इस तिथि पर ही उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। भगवान बुद्ध के जीवन में तीन घटनाओं को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है जिनमें से पहला उनका जन्म, दूसरा ज्ञान प्राप्ति और तीसरा मोक्ष प्राप्त होना है। बता दें कि यह सब घटनाएं एक ही दिन अर्थात बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुई थीं। ऐसे में, बुद्ध पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है इसलिए यह दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्व रखता है। 

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इसी क्रम में, बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे पवित्र त्योहार है। यह पर्व भारत के अलावा श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड आदि देशों में बहुत श्रद्धाभाव और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की जाती है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ख़ास ब्लॉग में हमारे रीडर्स को “बुद्ध पूर्णिमा 2025” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, बुद्ध पूर्णिमा कब मनाई जाएगी और क्या रहेगा पूजा का समय? इस दिन का महत्व, पौराणिक कथा और इस तिथि पर बनने वाले शुभ योग से भी आपको अवगत करवाएंगे। तो आइए बिना देर किए शुरू करते हैं और जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त। 

बुद्ध पूर्णिमा 2025: तिथि और पूजा मुहूर्त  

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।  इसे बुद्ध जयंती, पीपल पूर्णिमा और वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध के उपदेशों का भक्त स्मरण करते हैं और जीवन में उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 12 मई 2025 को मनाई जाएगी जो कि भगवान बुद्ध की 2587वीं जयंती होगी।। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर साल मई या अप्रैल के महीने में आता है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा का पूजा मुहूर्त।  

बुद्ध पूर्णिमा 2025 तिथि: 12 मई 2025, सोमवार 

पूर्णिमा तिथि आरंभ: 11 मई 2025 की रात 08 बजकर 04 मिनट पर, 

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 मई 2025 की रात 10 बजकर 28 मिनट तक। 

नोट: उदयातिथि के अनुसार, साल 2025 में 12 मई, सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। 

बुद्ध पूर्णिमा पर बनेंगे दो शुभ योग 

साल 2025 में बुद्ध पूर्णिमा को बहुत शुभ योगों में मनाया जाएगा क्योंकि इस तिथि पर ज्योतिष में शुभ माने जाने वाले दो योग निर्मित हो रहे हैं जिसमें पहला वरियान और रवि योग होगा। पूर्णिमा की पूरी रात वरियान योग रहेगा और इसके बाद रवि योग सुबह 05 बजकर 32 मिनट से लेकर 06 बजकर 17 मिनट तक होगा। साथ ही, बुद्ध पूर्णिमा 2025 पर भद्रावास का भी संयोग है। वरियान और रवि योग में भक्तों द्वारा गंगा स्नान करने के बाद विष्णु जी और भगवान बुद्ध की उपासना करने से अमोघ फल की प्राप्ति होगी।

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बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व 

धार्मिक दृष्टि से बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है और इसे भारत सहित कई बड़े देशों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा पर नेपाल के लुंबिनी में हुआ था और इनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था। बता दें कि बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इस तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था और मोक्ष मिला था। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मात्र एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह तिथि आत्म शुद्धि, करुणा और अहिंसा का अपने जीवन में पालन करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। 

हालांकि, बिहार के बोधगया में गौतम बुद्ध का पवित्र तीर्थस्थल है जहां महाबोधि नाम का एक मंदिर स्थित है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह मंदिर आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि भगवान बुद्ध ने युवावस्था में इस स्थान पर सात साल तक कठोर तप किया था और यहीं उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध श्रीहरि विष्णु के नौवें अवतार हैं इसलिए इन्हें देवता का दर्जा प्राप्त है। वैसे, हर माह की पूर्णिमा पर विष्णु जी की पूजा की जाती है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर भी भगवान विष्णु की पूजा फलदायी होता है। साथ ही, यह तिथि चंद्र देव की उपासना के लिए भी शुभ होती है।  

बुद्ध पूर्णिमा 2025 पर करें धर्मराज का पूजन 

भगवान विष्णु, गौतम बुद्ध के अलावा बुद्ध पूर्णिमा पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास की इस पूर्णिमा तिथि पर जूते, जल से भरे कलश, पंखा, छाता, पकवान, सत्तू आदि का दान करना पुण्यदायक होता है। जो जातक बुद्ध पूर्णिमा के दिन इन सभी वस्तुओं का दान करता है, उसको गोदान के समान पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही, भक्त पर धर्मराज की कृपा बनी रहती है और उसे अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है। 

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बुद्ध पूर्णिमा और भगवान बुद्ध का संबंध 

भगवान बुद्ध के जीवन में बुद्ध पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण दिन रहा है क्योंकि उनके जीवन की तीन बड़ी घटनाएं बुद्ध पूर्णिमा पर ही हुई थीं। अब इन तीनों घटनाओं के बारे में हम विस्तार से बात करेंगे। 

भगवान बुद्ध का जन्म

आज से तक़रीबन 2500 साल पूर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन लुंबिनी नामक स्थान पर शाख्य वंश में एक बालक का जन्म हुआ था जिसका नाम सिद्धार्थ गौतम था। सिद्धार्थ गौतम की माता का नाम महामाया था और पिता का नाम राजा शुद्धोधन था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान बुद्ध के पिता को अपने पुत्र के सन्यास के बारे में ज्ञान था इसलिए उन्होंने इनका विवाह 16 साल की कम आयु में करवा दिया था।

बुद्ध पूर्णिमा पर सिद्धार्थ गौतम बने बुद्ध 

सिद्धार्थ गौतम ने 29 साल की कम उम्र में राजपाट और परिवार को त्यागकर सन्यास ले लिया था। सात सालों तक कठोर तप करने के बाद भगवान बुद्ध ने मध्यम मार्ग को चुना। मध्यम मार्ग का पालन करने से सिद्धार्थ गौतम के जीवन में वह दिन आया जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बनें। 

बुद्ध पूर्णिमा पर प्राप्त हुआ मोक्ष 

ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों और संसार को ज्ञान दिया और इसे मध्यम मार्ग के नाम से जाना गया। भगवान बुद्ध ने जिस स्थान पर अपने जीवन का पहला उपदेश दिया था, वह स्थान आज सारनाथ के नाम से जाना जाता है। वर्षों तक संसार को ज्ञान का उपदेश देने के बाद 80 साल की आयु में वैशाख पूर्णिमा के दिन कुशी नगर में भगवान बुद्ध को महानिर्वाण प्राप्त हुआ। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

बुद्ध पूर्णिमा 2025 पर किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान 

  • देश-विदेश के बौद्ध मंदिरों में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विशेष पूजा, उपदेश, ध्यान, दान-पुण्य और भिक्षु संगोष्ठियां आदि धार्मिक कार्य किए जाते हैं। 
  • इस दिन बौद्ध मंदिरों में दान करना फलदायी साबित होता है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर गरीब एवं जरूरतमंदों को भोजन एवं वस्त्र दान करने चाहिए। 
  • दीप प्रज्जवलित करने के बाद भक्त भगवान बुद्ध की शिक्षा का अपने जीवन में पालन करने का संकल्प लेते हैं। साथ ही, ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। 
  • मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध के लिए व्रत करने से ज्ञान प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस शुभ तिथि पर पवित्र ग्रंथ का पाठ करना चाहिए। 

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बुद्ध पूर्णिमा 2025 पर धन-धान्य एवं सौभाग्य के लिए करे राशि अनुसार इन चीज़ों का दान 

मेष राशि: मेष राशि के जातक बुद्ध पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को दूध या खीर बांटें।

वृषभ राशि: वृषभ राशि वाले इस दिन छोटे बच्चों को दही और गाय का घी दान करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक घर के पास के मंदिर में वृक्ष का पौधा लगाएं।

कर्क राशि: कर्क राशि वालों को इस शुभ अवसर पर जल या पानी से भरा मटका दान करना चाहिए। 

सिंह राशि: बुद्ध पूर्णिमा के दिन सिंह राशि के लोग गुड़ का दान करें।

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक इस अवसर पर छोटी कन्याओं को पढ़ाई से जुड़ी चीज़ें दान में दें।

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तुला राशि: बुद्ध पूर्णिमा 2025 पर आप दूध, चावल और देशी घी का दान कर सकते हैं।

वृश्चिक राशि: इस शुभ तिथि पर वृश्चिक राशि के जातक लाल मसूर की दाल का दान करें।

धनु राशि: धनु राशि वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा पर पीले कपड़े में बांधकर चने की दाल का दान करना श्रेष्ठ रहेगा। 

मकर राशि: बुद्ध पूर्णिमा 2025 पर काले तिल और तेल का दान करें। 

कुंभ राशि: कुंभ राशि वाले बुद्धि पूर्णिमा के दिन जूते-चप्पल, काले तिल, नीले रंग के कपड़े और छाता आदि दान करें।

मीन राशि: मीन राशि के जातक बुद्ध पूर्णिमा पर रोगियों को फल और दवाएं दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

2025 में बुद्ध पूर्णिमा कब है?

इस साल बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 12 मई 2025 को मनाया जाएगा।

बुद्ध पूर्णिमा कब मनाते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।   

वैशाख पूर्णिमा पर किसकी पूजा करें?

वैशाख पूर्णिमा 2025 पर विष्णु जी और भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है।