क्यों है निर्वस्त्र नहाना मना, जानिए भगवान कृष्ण से

क्यों है निर्वस्त्र नहाना मना, जानिए भगवान कृष्ण से

स्नान करना नित्य क्रिया है। बिना स्नान किये कोई भी व्यक्ति साफ़-सुथरा और शुद्ध नहीं माना जाता है। किसी भी शुभ या पवित्र कार्य को करने से पहले हम स्नान करते हैं। किन्तु पद्मपुराण के अनुसार नहाने के भी कुछ नियम होते हैं जिनका वर्णन स्वयं भगवान् श्री कृष्ण ने किया था। क्या वजह है की इंसान को बिना वस्त्र के नहीं नहाना चाहिए, आइये जानते है।

अधिकांश लोग निर्वस्त्र होकर नहाते हैं, लेकिन शास्त्रों में ऐसा करना ठीक नहीं माना गया है। इसलिए मनुष्य को कुछ-न-कुछ पहनकर ही नहाना चाहिए।

क्यों है निर्वस्त्र स्नान का निषेध

आइए जानते हैं कि कैसे श्री कृष्ण ने अपनी लीला से निर्वस्त्र होकर स्नान करने को निषेध कर्म बताया था। हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत-सी ऐसी बातें दर्ज हैं जो हमारे लिए बहुत ही उपयोगी हैं और जो हमारे जीवन को सफल बना सकती हैं। इनमें से पद्मपुराण की यह घटना भी काफी महत्वपूर्ण है–

पद्म पुराण के अनुसार एक बार जब गोपियाँ नदी में स्नान कर रही थीं तब श्री कृष्ण ने उनके कपड़े चुरा लिए और उन्हें पेड़ पर टांग दिया था। जब गोपियों को इस बारे में पता चला तो वे भगवान कृष्ण से अपने वस्त्र वापस लौटाने के लिए प्रार्थना करने लगीं। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें स्वयं ही जल से बाहर आकर अपने वस्त्र लेने को कहा। इसपर गोपियों ने प्रश्न किया कि वे नग्नावस्था में कैसे बाहर आ सकती हैं।

तब भगवान ने उनसे पूछा कि अगर उन्हें इतना ही भय था तो वे निर्वस्त्र होकर नदी में स्नान करने ही क्यों गयीं। तत्पश्चात गोपियों ने कृष्ण से कहा कि जब वे जल में प्रवेश कर रही थीं तब वहाँ कोई भी नहीं था। श्री कृष्ण ने गोपियों को उत्तर दिया–

“ऐसा तुम्हें लगा कि यहाँ कोई नहीं था, किन्तु मैं तो हर पल हर जगह मौजूद हूँ। इसके अलावा आसमान में उड़ रहे पक्षियों ने, ज़मीन पर चल रहे छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़ों ने भी तुम्हें देखा। यही नहीं, पानी के जीवों ने और जल के देवता स्वयं वरुण देव ने भी तुम्हें नग्न-अवस्था में देखा। यह उनका अपमान है। इसलिए तुम सब गोपियाँ पाप की भागी हो।”

इस लीला के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि स्नान करते समय नग्नावस्था में भी हमें कोई-न-कोई देखता ही है, इसलिए हमें निर्वस्त्र होकर नहाने से परहेज़ करना चाहिए।

गरुड़ पुराण में भी निर्वस्त्र नहाने की मनाही

इस बात का ज़िक्र पद्म पुराण में ही नहीं बल्कि गरुड़ पुराण में भी आया है। गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे पूर्वज हमेशा हमारे आस-पास ही मौजूद रहते हैं। यहाँ तक कि स्नान करते वक़्त भी वे हमारे नज़दीक होते हैं। शरीर से गिरने वाले जल को हमारे पूर्वज ग्रहण करते हैं। जब हम निर्वस्त्र होकर स्नान करते हैं तो वे अतृप्त रह जाते हैं।

बिना कपड़े पहने स्नान करने के नुक़सान

शास्त्रों के अनुसार जब कोई व्यक्ति बिना कपड़े पहने नहाता है, तो ऐसा करने से उसका तेज, बल, शौर्य, धन, सुख और क्षमता सभी नष्ट हो जाते हैं। अतः इस मत के मुताबिक़ शरीर पर तौलिया या अन्य कोई वस्त्र लपेटकर ही स्नान करना चाहिए और इससे संबंधित सभी नियमों का उचित तरीक़े से पालन करना चाहिए।

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