काल भैरव जयंती के दिन ज़रूर करें काले कुत्ते की पूजा !

हिन्दू धर्म में भगवान काल भैरव को तंत्र का देवता मानते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भैरव   को महादेव का रूद्र अवतार माना जाता है। काल-भैरव जयंती को भैरवाष्टमी, भैरव जयंती, काल-भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार इनका जन्म मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। भगवान काल भैरव का जन्म मध्य रात्रि के समय हुआ था, इसलिए इनकी पूजा भी मध्य रात्रि में ही की जाती है। बाबा भैरव नाथ की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता, धन, अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, और भूत-प्रेत जैसी समस्या परेशान नहीं करती है। इस दिन व्रत करने से इन्सान को पाप और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। 19 नवंबर, मंगलवार को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। इस दिन काले कुत्ते की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है, अगर नहीं पता तो चलिए इस लेख में आपको बताते हैं कि आखिर काल भैरव जयंती के दिन क्यों करते हैं काले कुत्ते की पूजा। 

क्यों करते हैं काले कुत्ते की पूजा

मान्यताओं के अनुसार काला कुत्ता भैरव बाबा की सवारी होता है, इसलिए इस दिन काले कुत्ते की पूजा करने का भी विशेष महत्व हैकाले कुत्ते की पूजा करने से भैरव जी की कृपा बहुत जल्दी ही प्राप्त होती है। काल भैरव जयंती के दिन कुत्ते को गुड़ खिलाने से और भोजन कराने से सभी कष्ट दूर होते हैं। काल भैरव भगवान शिव का एक प्रचंड रूप है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव की सच्चे मन से पूजा करे, तो उसे मनचाही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। भगवान काल भैरव तंत्र के देवता माने जाते हैं, इसीलिए इनकी पूजा करने से ऊपरी बाधा, भूत प्रेत आदि का साया भी समाप्त हो जाता है। भैरव जी का मुख्य हथियार दंड है, इसलिए इनको दण्डपति भी कहा जाता है। काल-भैरव अष्टमी का दिन पापियों को दंड देने वाला भी माना जाता है, इसलिए इस दिन जल का अर्घ्य देकर भैरव जी की पूजा करते हैं।  

काल भैरव जयंती की कथा 

शिव पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी के बीच श्रेष्ठ कौन है, इस बात को लेकर विवाद हो गया। इसी बीच ब्रह्मा जी के पांचवे सिर ने भगवान शिव के लिए बहुत बुरे शब्दों का प्रयोग किया और उनकी बहुत निंदा की। अपने लिए इतने बुरे शब्दों को सुन भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और अपने रौद्र रूप से काल भैरव को जन्म दिया। काल भैरव ने भगवान शिव के अपमान का बदला लेने के लिए अपने नाखून से ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को काट दिया, जिससे उन्होंने शिव जी की निंदा की थी। इस कारण काल भैरव पर ब्रह्रा हत्या का पाप लग गया। ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने काल भैरव को कहा कि वे पृथ्वी पर जाकर प्रायश्चित करें और जब ब्रह्मा जी का कटा हुआ सिर गिर जाएगा। तब उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। अंत में काशी पहुँचकर भैरव जी को ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली।  

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