करियर में बृहस्पति का योगदान और साथ ही जानें इसे मज़बूत करने के उपाय

एक अच्छा करियर बनाना हर किसी के लिए आज एक ज्वलंत समस्या है और गुरु बृहस्पति एक ऐसे ग्रह हैं जो किसी का भी करियर बना और बिगाड़ने का सामर्थ्य रखते हैं। ज्ञान के कारक बृहस्पति जी ने गुरु के नाम से भी जाना जाता है, किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मुख्य आधारभूत ग्रहों में से एक ग्रह माने जाते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमारे करियर को देव गुरु बृहस्पति किस प्रकार से प्रभावित करते हैं।

 

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवोमहेश्वरः।

गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।

बृहस्पति ग्रह, जिन्हें देव गुरु भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में सबसे शुभ ग्रह माने जाते हैं। नैसर्गिक रूप से शुभ होने के कारण इनकी दृष्टि अमृत सामान्य मानी गई है। यह जिस भाव में बैठते हैं, उस भाव से पाँचवें, सातवें और नौवें भाव पर पूर्ण दृष्टि देते हैं, जिससे इन भावों की वृद्धि होती है। 

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इनकी प्रकृति भी वृद्धि कारक मानी गई है, इसलिए कुंडली के जिन भी कारकत्वों से बृहस्पति का संबंध होता है, उसमें बृहस्पति वृद्धि करते हैं, चाहे वह शुभ हो अथवा अशुभ अर्थात यदि बृहस्पति शुभ स्थिति में हैं तो जीवन की उपलब्धियों में वृद्धि करेंगे और यदि बृहस्पति अशुभ स्थिति में हैं तो बीमारियों तथा संघर्ष में वृद्धि करेंगे।

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ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। ये धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं तथा कर्क राशि में उच्च अवस्था में और मकर राशि में नीच अवस्था में माने जाते हैं। कुल सत्ताईस नक्षत्रों में इनके तीन मुख्य नक्षत्र हैं पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद। अगर धार्मिक दृष्टिकोण की बात की जाए तो देव गुरु बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं : 

ॐ अंगिरोजाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो: गुरु प्रचोदयात्।

बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति शिक्षित बनता है और संस्कारी बनता है क्योंकि बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह है। यह शिक्षा देता है, संतान देता है, धन देता है, बड़े भाई के बारे में जानकारी देता है, धार्मिक कार्यों में मन लगाता है, पवित्र स्थलों की सैर कराता है। बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति तीर्थाटन करता है और समय समय पर दान पुण्य करता है। बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में पुण्य कमाता है और वृद्धि को प्राप्त करता है। यह सात्विक प्रकृति का ग्रह है और आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।

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गुरु ग्रह की खास विशेषताएँ

देव गुरु होने के कारण बृहस्पति सभी प्रकार की विद्याओं की ज्ञाता माने गए हैं और बृहस्पति से प्रभावित व्यक्ति की गणना समाज के गणमान्य और ज्ञानी लोगों में होती है। वह विद्वान होता है, भाग्यशाली होता है। उसके व्यक्तित्व में आकर्षण होता है और उदारवादी विचारधारा वाला होता है 

ऐसा व्यक्ति धार्मिक आचरण और दान पुण्य के द्वारा परोपकार के कार्यों में लिप्त रहता है तथा मीठा खाने का शौकीन होता है। ऐसे व्यक्ति भ्रमण करने में आनंद प्राप्त करते हैं और ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा इनमें सदैव बनी रहती है। यदि बृहस्पति का प्रभाव अनुकूल है तो व्यक्ति जीवन में धन और ज्ञान प्राप्त करता है।

गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव

बृहस्पति ग्रह यदि आपकी कुंडली में बलवान है तो आपके अंदर ज्ञान की कोई कमी नहीं आएगी। ऐसे व्यक्ति शिक्षा में बिना अवरोधों के अपने क्षेत्र में अग्रणी रहता है। उसे जीवन में उत्तम संतान का सुख मिलता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन साथी का सुख और धन का सुख भी सहज रूप से प्राप्त होता है। 

बृहस्पति के प्रभाव वाला व्यक्ति पूजा पाठ करता है और उसे गुरु या गुरु तुल्य लोगों से आशीर्वाद मिलता है और वह उनका आदर करता है। वह ईमानदारी को महत्व देता है किसी से झूठ नहीं बोलता। सत्य के मार्ग पर चलने वाला होता है। वह न्याय प्रिय होता है तथा जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होता है।

गुरु बृहस्पति चंद्रमा के साथ मिलकर गजकेसरी योग बनाते हैं तथा कुंडली में केंद्र भावों में यदि अपनी स्वराशि अथवा उच्च राशि में स्थित हों तो हंस नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण करते हैं। ये योग व्यक्ति के जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते और उसे उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाते हैं।

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गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव

यदि बृहस्पति किसी जातक की कुंडली में अशुभ अथवा नीच अवस्था में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति ज्ञान का अनादर करने वाला, बुजुर्गों और गुरु समान लोगों का सम्मान ना करने वाला, शिक्षा से वंचित और शिक्षा में अवरोध पाने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति को धन प्राप्ति में भी बाधाएं आती हैं और उसकी गति थम सी जाती है। उसके चारित्रिक और नैतिक मूल्यों का ह्रास होता है और नौकरी तथा विवाह आदि में भी समस्याएं आती हैं।

बृहस्पति ग्रह वसा पर नियंत्रण भी रखता है और यदि यह कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को पेट से संबंधित रोग, अपच, एसिडिटी, पेट दर्द, कमजोर पाचन तंत्र और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ देने में भी सक्षम होता है। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति अनुकूल नहीं है तो यह आपको डायबिटीज़, पीलिया, हर्निया, शरीर में सूजन, फेफड़ों या कान से संबंधित रोग, बेहोशी की स्थिति या कफ और चर्बी की वृद्धि दे सकता है।

गुरु ग्रह और कार्यक्षेत्र में सफलता 

देवताओं के गुरु कहे जाने वाले बृहस्पति ग्रह ज्ञान के सहज कारक होते हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति के अंदर सही निर्णय लेने की क्षमता उत्पन्न होती है और उसकी शिक्षा भी अनुकूल होती है। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति अनुकूल है तो आपका करियर चाहे कितना ही खराब क्यों ना हो बृहस्पति की दशा अंतर्दशा में अथवा अनुकूल गोचर होने पर आपको करियर में सफलता मिल सकती है। आइए जानते हैं कि बृहस्पति से संबंधित कार्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं:

प्रत्येक ग्रह अपने कारकत्वों को बढ़ाने का कार्य करता है। बृहस्पति ग्रह को दर्शन, धर्म, ज्ञान का कारक माना जाता है। यह व्यक्ति की कुंडली में मजबूत स्थिति में हो और कार्य क्षेत्र से उत्तम संबंध बनाए तो व्यक्ति न्यायाधीश बन सकता है। वकील, बैंक, मैनेजर कंपनी के बड़े डायरेक्टर, ज्योतिषी और शिक्षक का कार्य भी बृहस्पति कराता है। 

इसके अलावा शेयर मार्केट, शिक्षा और धर्म संबंधी पुस्तकों का कार्य, स्टेशनरी का काम, शिक्षण संस्थाओं का संचालन और फाइनेंस का कार्य तथा लोगों को सलाह देने का कार्य भी बृहस्पति ही कराता है। यदि बृहस्पति का आशीर्वाद आपको प्राप्त है तो आप हलवाई का कार्य भी कर सकते हैं और फिल्म निर्माण में भी हाथ आजमा सकते हैं। 

पीले रंग की सभी वस्तुओं पर बृहस्पति का अधिकार होता है, इसलिए सोने के आभूषणों से लेकर पीतल के काम तक आप बृहस्पति कृपा से कर सकते हैं। यह संपादन के कार्य में सफलता देता है और आपको खाद्य उत्पाद जैसे मक्खन, घी, मिष्ठान्न तथा फलों के कारोबार में भी अच्छी पकड़ दे सकता है।

इसके अलावा कुछ अन्य विशेष कार्यों में मुद्रा का क्रय-विक्रय, कूटनीतिक सलाहकार, चिकित्सा, पुजारी तथा धर्म-कर्म के कार्य, प्रवक्ता, धार्मिक संस्थानों के अधिकारी व ट्रस्टी, संचालक, दार्शनिक, साहित्यकार, कैशियर, मंत्री और राजनीतिज्ञ आदि भी बृहस्पति की ही देन हैं, इसलिए यदि बृहस्पति अनुकूल है तो आप को अनेकों क्षेत्रों में सफलता दिला सकता है। 

केवल इतना ही नहीं, बृहस्पति का संयोग अन्य ग्रहों से होने पर व्यक्ति को उत्कृष्ट परिणाम प्रदान करता है। इसके लिए आपको बृहस्पति ग्रह से संबंधित कुछ विशेष उपाय भी करने चाहिएं, जिनसे बृहस्पति का अनुकूल प्रभाव आपको प्राप्त हो सके।

गुरु की शिक्षा और करियर की दिशा

आपकी कुंडली में अनुकूल संबंध होने पर बृहस्पति यदि आपके पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो या इनसे मजबूत सम्बन्ध बनाये तो करियर में काफी अनुकूलता देता है और व्यक्ति को आगे बढ़ने में मदद देता है। प्रथम भाव का गुरु  आपको ज्ञानी और सही परामर्शदाता बनाता है। दूसरे भाव में यही गुरु आपकी वाणी में गंभीरता देता है और आपको प्रवक्ता तथा वक्ता बनने में मदद करता है। चतुर्थ भाव का गुरु अक्सर पैतृक कार्यों से लाभ देता है। तो पंचम भाव का गुरु शिक्षा में सफलता देता है और उसी से धन अर्जन कराता है। सातवें भाव का गुरु व्यापार से लाभ देता है तथा नवम भाव का गुरु वैदिक कर्मकांड और धर्म के प्रचार-प्रसार से आपके यश और कीर्ति को बढ़ाता है। दशम भाव का गुरु कार्यक्षेत्र में आपकी कार्यकुशलता को बढ़ाता है और आप प्रशंसा पाते हैं तथा एकादश भाव का गुरु आपको कथावाचक और उपदेशक भी बना सकता है।

यदि तीसरे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति धार्मिक आचरण करने वाला और किसी मंदिर का पुजारी हो सकता है। छठे भाव का बृहस्पति धार्मिक कार्य में अधिक खर्च करवाता है। यह बृहस्पति की अधिक अनुकूल स्थिति नहीं मानी जाती क्योंकि यहाँ गुरु आपको बीमारी दे सकता है। आठवें भाव का बृहस्पति आध्यात्मिक कार्यो के लिए अनुकूल है और व्यक्ति को आध्यात्मिक तौर पर उन्नत बनाता है लेकिन भौतिक सुखों में कमी करता है। द्वादश भाव का बृहस्पति परोपकार तथा धर्म संबंधित कार्यों में धन का खर्च अधिक कराता है।

अब प्रश्न यह उठता है कि आज के समय में प्रत्येक विद्यार्थी पर पढ़ाई का और अपने माता-पिता के साथ समाज का और स्वयं की महत्वाकांक्षाओं का काफी बोझ होता है ऐसे में वह यह निश्चित नहीं कर पाता कि उसकी पढ़ाई की सही दिशा क्या होनी चाहिए क्योंकि यह पढ़ाई उसके भविष्य निर्माण और करियर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसी बात को ध्यान में रखने के बाद एस्ट्रोसेज ने एक खास रिपोर्ट का निर्माण किया है, जिसे कोग्निएस्ट्रो रिपोर्ट (Cogniastro Report) का नाम दिया गया है। 

यह रिपोर्ट तीन स्तरों पर काम करती है। पहले स्तर पर यह है उन माता-पिता और विद्यार्थियों की मदद करती है, जो कक्षा 10 तक की पढ़ाई कर रहे हैं और आगे कौन सा विषय लिया जाए, उसको चुनने में मदद चाहते हैं। यदि आप उनमें से एक हैं तो आपको  कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 10 तक) का चुनाव करना चाहिए। यह रिपोर्ट आपकी कुंडली में आधारित ग्रहों की स्थितियों के आधार पर आपको यह बताएगी कि आपके लिए आगे की कक्षाओं में कौन से विषय लेना उत्तम रहेगा, जो आपके करियर निर्माण में सहायक बनेंगे।

दूसरे स्तर की रिपोर्ट आपको यह बताती है कि कक्षा 12 उत्तीर्ण करने के बाद आपको किस करियर फील्ड का चुनाव करना चाहिए। इसके साथ ही आपको यह भी बताती है कि उस करियर फील्ड के लिए कौन सी जॉब प्रोफाइल आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगी और उस जॉब के अनुसार आप कौन सा कोर्स कर सकते हैं।  यह रिपोर्ट कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 12 तक) है। यह आपको अच्छा कॉलेज और विश्वविद्यालय चुनने में भी मदद करती है।

तीसरे स्तर की रिपोर्ट और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जो लोग पहले ही किसी प्रोफेशन में काम कर रहे हैं, यह उनके लिए है अक्सर ऐसा होता है कि कुछ प्रोफेशनल्स अपने काम से संतुष्ट नहीं होते। उन्हें ऐसा लगता है कि वह इस फील्ड के लिए नहीं बने हैं या मेहनत करने के बाद भी उन्हें नतीजे नहीं मिल रहे हैं तो इस संबंध में करियर परामर्श रिपोर्ट (प्रोफेशनल) आपकी पूरी सहायता करती है और यह बताती है कि आप किस-किस अन्य क्षेत्र में काम करके अपने करियर ग्राफ को ऊपर उठा सकते हैं।

इस प्रकार एस्ट्रोसेज की कोग्निऐस्ट्रो रिपोर्ट आपके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और इससे आपका करियर काफी हद तक सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है। इसी प्रकार जीवन में ज्ञान को बढ़ाने और शिक्षा के साथ-साथ करियर में सफलता पाने के लिए आपको देव गुरु बृहस्पति की कृपा भी प्राप्त होनी आवश्यक है। इसी क्रम में आपको कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें करने से आप देव गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त कर सकते हैं:

गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय 

  • आप बृहस्पति देव के वैदिक मंत्र 

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। 

यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।” 

या देव गुरु के पौराणिक मंत्र 

देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचसंनिभम्‌। 

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्‌॥” 

अथवा गुरु के तांत्रिक मंत्र 

ॐ बृं बृहस्पतये नमः” 

या फिर बृहस्पति के बीज मंत्र 

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” 

इनमें में से किसी का भी प्रतिदिन 108 की संख्या में जाप कर सकते हैं।

  • आप पुखराज रत्न भी पहन सकते हैं या उसके स्थान पर सुनैला रत्न भी धारण कर सकते हैं। 
  • यदि आप चाहें तो पाँच मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं। 
  • आप गुरु बृहस्पति की शुभता के लिए केले के वृक्ष की जड़ या पीपल की जड़ भी धारण कर सकते हैं। 
  • आप चाहें तो गुरु यंत्र की स्थापना करके उसकी विधिवत पूजा भी कर सकते हैं। 
  • उपरोक्त में से प्रत्येक उपाय को बृहस्पतिवार के दिन, गुरु ग्रह के नक्षत्रों पुनर्वसु, विशाखा अथवा पूर्वाभाद्रपद में अथवा बृहस्पति की होरा में धारण / स्थापित करना बेहतर रहेगा।
  • बृहस्पतिवार के दिन ब्राह्मणों तथा गुरु जनों को भोजन कराना तथा दान दक्षिणा देना भी उत्तम रहेगा। 
  • यदि आपको लगता है कि बृहस्पति के शुभ प्रभाव नहीं मिल रहे तो आपको बृहस्पतिवार के दिन हल्दी की गाँठ को पीले रंग के धागे में दाहिनी भुजा पर पहनना चाहिए।
  • बृहस्पतिवार से शुरू करके प्रतिदिन अपने मस्तक पर केसर अथवा हल्दी का तिलक लगाएँ और शरीर पर सोना जरूर पहनें।
  • परिवार के बुजुर्गों और गुरु समान व्यक्तियों का आदर करें तथा बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ के नीचे देसी घी का दीपक जलाएं।
  • आपको प्रत्येक बृहस्पतिवार को पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए लेकिन पेड़ को छुए बिना।

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इस प्रकार उपरोक्त उपायों के द्वारा आप अपनी कुंडली में देव गुरु बृहस्पति की स्थिति को अनुकूल बनाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और उससे आपकी शिक्षा तथा करियर में आने वाले अवरोधों से आपको मुक्ति मिलेगी और आप उत्तम करियर बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

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एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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