आज 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज के समय में कैंसर दुनिया की सबसे बड़ी बीमारियों में शुमार है और आधे से अधिक मामलों में यह बीमारी काफी फैल जाने के बाद ही पता चलती है, जिससे व्यक्ति को उसका इलाज करा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
भारत में काफी व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हैं और इसका इलाज भी बहुत महँगा होता है। यहां तक कि कुछ लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हुए अपनी जान भी गँवा देते हैं और कई परिवारों के चिराग बुझ जाते हैं। इसी सब को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको कुछ ऐसे ज्योतिषीय कारण बता रहे हैं, जो आपकी कुंडली में यह बताते हैं कि क्या आपको कैंसर अर्थात कर्क रोग होने की संभावना है या नहीं। आइए जानते हैं इन कारणों को:
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कैंसर (कर्क रोग) के ज्योतिषीय कारण और निवारण के उपाय
कैंसर रोग एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को शारीरिक और आर्थिक दोनों रूपों से परेशान करती है और अधिकांश मामलों में व्यक्ति को जान गँवानी पड़ती है। इसलिए यदि समय रहते ही आप यह जान लें कि कहीं आपकी कुंडली में इसे रोग के लक्षण तो नहीं है, आप जरूरी उपचार करके काफी हद तक इस पर नियंत्रण रख सकते हैं। आइए जानते हैं कैंसर रोग के क्या कारण हैं जो ज्योतिष के अनुसार आपको जानने चाहियें:
कैंसर रोग के ज्योतिषीय कारण
- यदि छठे भाव का स्वामी लग्न, और राहु से युति करें तो कैंसर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
- शनि का संबंध लग्न अथवा अष्टम भाव से होने पर तथा मंगल का संबंध शनि से होने पर व्यक्ति कर्क रोग का शिकार हो सकता है।
- मंगल, गुरु और शनि की दृष्टि या युति विशेष रूप से उत्तरदायी होती है।
- राहु का संबंध त्रिक भाव अथवा भाव के स्वामी ग्रह से होने पर भी ऐसी संभावना बनती है।
- कुंडली में चंद्रमा के अशुभ होने पर रक्त अथवा स्तन संबंधित कैंसर की संभावना बढ़ाता है।
- सूर्य का अशुभ स्थिति में होने पर उदर, सिर अथवा मलकोष में कैंसर दे सकता है।
- कुंडली में मंगल का प्रबल अशुभ होने पर रक्त, गर्भाशय या मज्जा का कैंसर हो सकता है।
- यदि कुंडली में बुध अशुभ प्रभाव दे रहा है तो मुंह अथवा नाक या नाभि का कैंसर दे सकता है।
- गुरु के अशुभ होने की स्थिति में जिगर, लीवर, जांघ, कान अथवा जीभ का कैंसर हो सकता है।
- शुक्र के अशुभ होने पर गले अथवा प्रजनन अंगों का कैंसर होने की संभावना रहती है।
- शनि के अशुभ होने पर टांगों, दाँतों, अथवा हाथों का कैंसर हो सकता है।
कैंसर रोग के ज्योतिषीय उपचार
- महामृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से जाप करें अथवा भोजन करते समय और दवाई लेते समय 3 बार इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
- भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं।
- बृहस्पतिवार के दिन ब्राह्मण को केले का दान करें।
- उपरोक्त ग्रहों के अनुसार उनका दान करें।