जम्मू के कटरा में स्थित माँ वैष्णो देवी का मंदिर अपने रहस्यमयी चमत्कारों के लिए हमेशा ही लोगों के बीच आश्चर्य का विषय रहा है। यहाँ पहाड़ की गुफा में माँ वैष्णो देवी स्थित हैं जिनकी पूजा अर्चना के लिए हर दिन ही भक्तों की भाड़ी संख्या में भीड़ लगी रहती है। आज हम आपको विशेष रूप से वैष्णो देवी मंदिर गुफा के रहस्यमयी तथ्यों और पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इस मंदिर की गुफा से संबंधित मुख्य तथ्यों के बारे में।
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वैष्णो देवी मंदिर का स्वरुप
जम्मू के कटरा में त्रिकुटा पहाड़ी पर करीबन 5200 फ़ीट की ऊंचाई पर माता वैष्णो देवी विराजमान हैं। भारत के वेंकटेश्वर मंदिर के बाद ये दूसरा ऐसा मंदिर है जहाँ माता के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या में कभी कमी नहीं आती। वैष्णो देवी गुफा मंदिर में मुख्य रूप से देवी माँ की तीन मूर्तियां स्थापित हैं। ये तीन मूर्तियां मुख्य रूप से माँ काली, सरस्वती और माता लक्ष्मी की हैं जो पिंडी के रूप में गुफा के अंदर स्थापित है। बता दें कि, इन तीनों पिंडों के मिश्रित रूप को ही माता वैष्णो देवी के नाम से जाना जाता है। माँ वैष्णो देवी की ये गुफा करीबन 99 फ़ीट लंबी है, गुफा के भीतर एक चबूतरा है जिसके ऊपर माँ त्रिकुटा भी अन्य देवियों के साथ विराजित हैं।
माँ वैष्णोदेवी ने किया था भैरवनाथ का वध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैष्णोदेवी मंदिर की गुफा में ही माता ने भैरवनाथ का वध किया था। मंदिर की गुफा के पास ही भैरवनाथ का सर कटा शरीर है, कहते हैं की उसका सर करीबन तीन किलोमीटर आगे जाकर गिरा था और उस जगह को आज भैरो घाटी के नाम से जानते हैं। जहाँ भैरवनाथ का सर कटकर गिरा था उस जगह पर भैरोनाथ का एक मंदिर भी स्थित है। इस जगह से ही वैष्णोदेवी माता के मंदिर की चढ़ाई शुरू होती है जो करीबन 14 किलोमीटर की है।
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वैष्णोदेवी मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वैष्णोदेवी मंदिर के बारे में प्रचलित कथा के आधार पर एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर भैरवनाथ तप कर रहा था तभी उसने वहां एक सुंदर कन्या को देखा। माना जाता है कि, भैरवनाथ उस सुंदर कन्या को देखकर इतना मंत्रमुग्ध हुआ की वो उसे पकड़ने के लिए पीछे चल पड़ा। हालाँकि वो कोई आम कन्या नहीं थी बल्कि स्वयं माँ जगदम्बा का थी। उनकी रक्षा के लिए उनके साथ हनुमान जी भी उपस्थित थे। उन्होनें माता से पीने के लिए पाने माँगा तब माता ने त्रिकुटा पहाड़ी पर अपने एक तीर से जलधारा निकाल दी और स्वयं वहां अपने केश धोएं और गुफा के अंदर नौ महीने तक करने चली गयी। उनका पीछा करते हुए जब भैरवनाथ वहां पहुंचे तो उन्होनें हनुमान जी को गुफा के बहार पहरा देते देखा। इसके वाबजूद भी वो बार-बार गुफा के अंदर प्रवेश करने की जिद पर अड़ा रहा। इस बीच दोनों में घमासान युद्ध आरंभ हो गया, जब देवी माँ को इस बात का आभास हुआ तो वो गुफा से बाहर आयीं और उन्होनें भैरवनाथ का वध कर दिया।