आज श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है और यह तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है। हिन्दू धर्म में लोग आज के दिन विनायक दामोदर का आशीर्वाद पाने के लिए उनके नाम का व्रत रखते हैं, और उनकी पूजा करते हैं। हिन्दू पूजा-पद्धति में सभी देवी-देवाओं की पूजा से सबसे पहले गणेश जी पूजा अनिवार्य होती है। हालाँकि आज की जनरेशन में बहुत कम लोगों को इसका वास्तविक कारण मालूम होगा। आज हम इस ख़बर के माध्यम से आपको यह जानकारी देंगे कि भगवान गणेश जी पूजा सबसे पहले ही क्यों होती है।
देवताओं में इस बात को लेकर हुई थी बहस
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक बार सभी देवताओं में यह बहस होने लगी कि पृथ्वी लोक में किस देवता की पूजा सबसे पहले होनी चाहिए। ऐसे में अहंकारवश सभी देवताओं स्वयं को श्रेष्ठ बता कर अपनी पूजा कराने में जोर देने लगे। तब नारद जी ने सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने का आग्रह किया। नारद जी ने कहा इसका समाधान केवल भगवान शिव ही कर सकते हैं।
भगवान शिव ने किया था प्रतियोगिता का आयोजन
जब सभी देवता भगवान शिव के समीप पहुंचे तो उनके मध्य इस झगड़े को देखते हुए भगवान शिव ने इसे सुलझाने की एक योजना सोची। उन्होंने एक प्रतियोगिता आयोजित की जिसके तहत ये कहा गया कि जो देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सबसे पहले उनके पास पहुँचेगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े।
भगवान गणेश जी ने भी लिया था प्रतियोगिता में हिस्सा
गणेश जी भी इसी प्रतियोगिता का हिस्सा थे, लेकिन, गणेश जी बाकी देवताओं की तरह ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने की जगह अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए। जब समस्त देवता अपनी अपनी परिक्रमा करके लौटे तब भगवान शिव ने श्री गणेश को प्रतियोगिता का विजयी घोषित कर दिया।
विघ्नहर्ता गणेश जी सर्वसम्मति से हुए विजयी
सभी देवता यह निर्णय सुनकर अचंभित हो गए और शिव भगवान से इसका कारण पूछने लगे। तब शिव जी ने उन्हें बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए हैं। तब सभी देवता, भगवान शिव के इस निर्णय से सहमत हुए और तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा।