जानें क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी, क्या है इसका महत्व

ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा को समर्पित बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 29 जनवरी 2020, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की खास पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं कब से शुरू हुआ था बसंत पंचमी का यह पर्व।

बसंत पंचमी/ सरस्वती पूजा का मुहूर्त

पूजा मुहूर्त

10:47:38 से 12:34:27 

अवधि

1 घंटे 46 मिनट

नोट: यह मुहूर्त केवल नई दिल्ली क्षेत्र के लिए मान्य है। अपने शहर के लिए शुभ मुहूर्त प्राप्त करने के लिए यहां क्लिक करें।

ज्योतिष के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन काफी शुभ माना जाता है इसलिए इस दिन को अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ काम को करने के लिए मुहूर्त देखने या पंडित से पूछने की जरूरत नहीं पड़ती। इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनकर पूजा करना भी शुभ होता है। बसंत पंचमी का दिन शादी के बंधन में बंधने के लिहाज से भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।

क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा जी ने समस्त संसार की रचना की। उन्होंने मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे बनाए लेकिन फिर भी उन्हें अपनी रचना में कमी लगी। इसलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे ही उन्होंने वीणा बजायी ब्रह्मा जी के बनाई हर चीज में मानो सुर आ गया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें वीणा की देवी सरस्वती का नाम दे दिया। वह दिन बसंत पंचमी का था। यही कारण है कि हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।

ऐसे करें पूजा

घरों के साथ-साथ स्कूल और संस्थानों में मां सरस्वती की खास पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ज़रूर ध्यान रखें। इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनें। मां सरस्वती की प्रतीमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें। उनकी पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें। इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें और पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को रखें। बच्चों को पूजा स्थल पर बैठाएं। इस दिन से बसंत का आगमन हो जाता है इसलिए देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए और गुलाल से एक-दूसरे को टीका लगाना चाहिए। बता दें मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी जैसे अनेक नामों से भी पूजा जाता है।

सरस्वती पूजा मंत्र – 1

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥

हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।

वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

सरस्वती पूजा मंत्र – 2

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

गुलाल लगाने की है परंपरा

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के साथ ही राधे-कृष्ण की पूजी का भी शास्त्रों में वर्णन किया गया है। दरअसल राधे-कृष्ण प्रेम का प्रतीक हैं। बसंत पंचमी के दिन पहली बार राधा-कृष्ण ने एक दूसरे को गुलाल लगाया था इसलिए बसंत पंचमी पर गुलाल लगाने की परंपरा भी चली आ रही है।

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