रंगों का त्यौहार एक बार फिर लोगों के जीवन में रंग से खुशियाँ भरने के लिए दरवाज़ें पर दस्तक देने ही वाला है। तो चलिए, इसके पहले की होली का जश्न शुरू हो जाये और आप उसमें पूरी तरह से डूब जाएं हम आपको बताते हैं देश की सबसे मशहूर कही जाने वाले होली, बरसाने की होली से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प बातें। और साथ ही जानिए कैसे भगवान कृष्ण की नगरी में हफ़्तेभर पहले से ही अलग-अलग प्रकार की होली का आयोजन शुरू हो जाता है।
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22 मार्च 2021, सोमवार, अष्टमी |
लड्डू होली |
इसमें लोग एक-दूसरे पर लड्डू फेंकते हैं |
23 मार्च 2021, मंगलवार, नवमी |
बरसाना की लट्ठमार होली |
इस होली में महिलाएं पुरुषों को नटखट अंदाज़ में लट्ठ से मारती हैं और पुरुष एक ढाल से खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। |
24 मार्च 2021, बुधवार, दशमी |
नंदगांव की लठमार होली |
इस होली में पुरानी परंपरानुसार लठमार होली खेली जाती है। |
25 मार्च 2021, गुरुवार, एकादशी |
इस दिन मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और वृंदावन में बांके बिहारी के मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किये जाने की परंपरा है। |
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25 मार्च 2021, गुरुवार, एकादशी |
फूलों वाली होली |
इस दिन जब पूरा देश रंगों वाली होली खेलेगा उस समय, द्वारकाधीश मंदिर में फूलों से (टेसू के फूल से) होली खेलने की एक बेहद खूबसूरत परंपरा निभाई जाती है। फूलों से होली खेलने के बाद लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल भी लगाकर होली खेलते हैं। |
26 मार्च 2021, शुक्रवार, द्वादशी |
छड़ीमार होली |
ये भी एक तरह से लठमार होली ही होती है लेकिन, लट्ठ के बजाय इसे छड़ी से खेला जाता है। इसके पीछे लोगों की मान्यता यह है कि गोकुल में कान्हा बालरूप में रहे थे ऐसे में उन्हें लठ से चोट लग सकती है इसलिए लट्ठ की जगह यहाँ छड़ी का प्रयोग किया जाता है |
28 मार्च 2021, रविवार, पूर्णिमा |
फालेन की होली |
ये होली अपने आप में बेहद ही ख़ास और उतनी ही हैरान कर देने वाली होती है क्योंकि, इस होली में एक पंडा धधकते हुए अंगारों और भड़की हुई आग पर चलता है। यहाँ जो बात आपको हैरान कर देगी वो यह कि इस आग में चलने के बावजूद उन्हें कुछ भी नहीं होता है। |
30 मार्च 2021, मंगलवार, द्वितीया |
हुरंगा आयोजन |
होली के अगले दिन हुरंगा और मुखराई गांव में नृत्य इत्यादि मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। |
ये बात तो मुमकिन ही नहीं है कि ज़िक्र होली का हो और बरसाना की होली की बात ना की जाये। बरसाना की होली की ख़ासियत का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा लीजिये कि होली से काफी समय पहले ही पर्यटकों का जत्था इस होली का नज़ारा देखने के लिए यहाँ पहुँचने लग जाता है। जी हाँ, आँखों से देखिये तभी विश्वास होता है कि यहाँ होली खेलने से ज़्यादा लोग सिर्फ इस खूबसूरत नज़ारे का आनंद लेने पहुँचते हैं। अब इतनी तारीफ सुनकर आपके मन में भी सवाल तो उठ रहा होगा कि आखिर इस होली में ऐसा क्या है? तो चलिए आपको शब्दों के ज़रिये बरसाना की होली की खूबसूरती बताने की कोशिश करते हैं।
क्या ख़ास है बरसाने की होली में
प्रभु श्रीकृष्ण की नगरी की प्रसिद्ध लठमार होली सबका मन मोह लेती है। बताया जाता है कि लठमार होली श्रीकृष्ण की नगरी में सदियों से खेली जा रही है। इस होली को जो बात सबसे अलग बनाती है वो है ये बात कि यहाँ होली आज भी उसी पुराने ढंग से खेली जाती है जैसे पहले के समय में खेली जाती थी।
जानें होली का इतिहास और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं
लट्ठमार होली का इतिहास
लठमार होली के बारे में ऐसी मान्यता है कि इसकी शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा के समय से हुई है। बताया जाता है कि उस समय भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ बरसाना में होली खेलने जाया करते थे। होली में भगवान कृष्ण और उनके दोस्त, राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली किया करते थे। इस बात से खफ़ा होकर राधारानी और उनकी सखियाँ कान्हा और उनके दोस्तों पर डंडे बरसाया करती थी, जिससे बचने के लिए कृष्णा और उनके दोस्त ढाल का सहारा लिया करते थे। वक़्त के साथ प्यार और नटखट अंदाज़ से होली खेलने ये सिलसिला परंपरा बन चला है।
इन 7 जगहों की होली है भारत में सबसे ज़्यादा मशहूर, एक बार अवश्य लें इनका आनंद
होलिका दहन और होली का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष होलिका दहन का त्योहार 28 मार्च 2021, रविवार के दिन मनाया जायेगा और होली इसके अगले दिन यानि 29 मार्च 2021 , सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इसके अलावा होलिका दहन के दिन से जुड़े शुभ मुहूर्त इत्यादि नीचे दिए गए चार्ट में मौजूद हैं,
होलिका दहन मुहूर्त |
18:36:38 से |
20:56:23 तक |
अवधि |
2 घंटे 19 मिनट |
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भद्रा पुँछा |
10:27:50 से |
11:30:34 तक |
भद्रा मुखा |
11:30:34 से |
13:15:08 तक |
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