संक्रांति का दिन हिंदू धर्म में बेहद ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। संक्रांति उस दिन को कहा गया है जिस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करता है। ऐसे में आज हम यहां आपको बताएंगे वृश्चिक संक्रांति से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
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वृश्चिक संक्रांति 2020, 16 नवंबर सोमवार
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष में कुल 12 संक्रांति आती है और हर राशि में सूर्य लगभग 1 महीने तक रहते हैं। संक्रांति कोई भी हो लेकिन इस दिन धर्म-कर्म, दान-पुण्य, स्नान आदि का बेहद महत्व बताया गया है। ऐसे में बहुत से लोग संक्रांति के दिन ज़रूरतमंदों को खाने-पीने की वस्तुएँ और कपड़े इत्यादि दान में देते हैं।
वृश्चिक संक्रांति की विशेष पूजन विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव का विधिवत पूजन करें।
- लाल तेल का दीपक जलाएं।
- इस दिन गूगल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर, इत्यादि पूजा में शामिल अवश्य करें।
- भगवान को लाल और पीले रंग के फूल चढ़ाएं।
- इसके अलावा प्रसाद में गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं और रोली हल्दी और सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- लाल चंदन की माला से ‘ॐ दिनकराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- पूजा के बाद बना हुआ भोग प्रसाद के रूप में सभी के साथ बांटे और सब की मंगल कामना करें।
- परीक्षा में सफलता पाना चाहते हैं तो इस दिन सूर्य देव पर खजूर के फल को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं और पूजा के बाद इस खजूर को गरीब छात्रों में वितरित करें।
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वृश्चिक संक्रांति महत्व
वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु भगवान का पूजन और दान का खास महत्व बताया गया है। इस दिन पितृ तर्पण भी किए जाने का विधान है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार अगर वृश्चिक संक्रांति के दिन कोई इंसान किसी ब्राह्मण को गाय का दान करें तो इस से विशेष फल की प्राप्ति होती है। वृश्चिक संक्रांति के दिन की 16 घड़ियों को बेहद ही शुभ माना गया है।
ऐसे में इस दौरान अगर कोई इंसान दान और पुण्य करता है तो इसे बेहद लाभकारी फल मिलते हैं। संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान दान और पुण्य काम करने चाहिए। इसके बाद दान में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता, दान दिए जाते हैं।
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