विंशोत्तरी दशा (vimshottari dasha) वह प्रणाली है जिसके जरिये ग्रहों के प्रभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। विंशोत्तरी दशा प्रणाली में हर ग्रह की दशा का समय अलग-अलग होता है और परिणाम भी अलग होते हैं। आज हम अपने इस लेख में विंशोत्तरी दशा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां आपको देंगे।
विंशोत्तरी दशा प्रणाली में ग्रहों की दशा का समय
इस दशा प्रणाली में हर ग्रह की दशा की अवधि अलग-अलग होती है। जिसके बारे में आप नीचे दी गई तालिका से जान सकते हैं।
ग्रह और उनकी महादशा का काल
ग्रह | महादशा की अवधि |
सूर्य | 66 वर्ष |
चंद्र | 10 वर्ष |
मंगल | 07 वर्ष |
बुध | 17 वर्ष |
गुरु | 16 वर्ष |
शुक्र | 20 वर्ष |
शनि | 19 वर्ष |
राहु | 18 वर्ष |
केतु | 07 वर्ष |
विंशोत्तरी दशा का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव
हर समय व्यक्ति किसी न किसी ग्रह की महादशा से गुजर रहा होता है और इसका व्यक्ति के जीवन, चरित्र आदि पर प्रभाव पड़ता है। यदि किसी शुभ ग्रह की दशा है तो व्यक्ति को अच्छे फल मिलने के संभावना अधिक होती है। हालांकि इसके लिए कुंडली का व्यापक अध्ययन करने के बाद ही नतीजा लिया जाता है, क्योंकि कई बार शुभ ग्रह की दशा में भी अनुकूल परिणाम नहीं मिलते क्योंकि कई बार ग्रह कुंडली के लग्न के अनुसार कारक नहीं होते।
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कैसे किया जाता है विंशोत्तरी दशा से फल का निर्धारण
महर्षि पराशर और वारहमिहिर जैसे प्राचीन विद्वानों ने विंशोत्तरी दशा को लेकर कहा है कि विंशोत्तरी दशा के फल के निर्धारण से पूर्ण कारक और अकारक ग्रहों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। हर कुंडली में लग्न के अनुसार कुछ ग्रह कारक और कुछ अकारक होते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी की कुंडली धनु लग्न की है तो उसमें सूर्य और गुरु कारक ग्रह होंगे। इसलिए जब भी इन ग्रहों की दशा आएगी तो व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। वहीं अगर लग्न के अनुसार अकारक ग्रहों की दशाएं आएंगी तो वही कुछ बुरे परिणाम दे सकती हैं वहीं तटस्थ ग्रह भी अपनी दशा में मिलेजुले परिणाम देते हैं। इसके साथ ही यदि कोई कारक ग्रह कुंडली में कमजोर अवस्था में है तो उससे भी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलने की संभावना कम ही होती है।
जन्म के समय दशा का निर्धारण
मुख्य रूप से दशा के निर्धारण में चंद्रमा की स्थिति का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस ग्रह के नक्षत्र में विराजमान होता है उसी ग्रह की महदशा व्यक्ति पर होती है। यह दशा कब तक रहेगी इसका पता भी चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। माना किसी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में है तो उसकी मंगल की दशा होगी क्योंकि मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल होता है।
कितने प्रकार की होती हैं दशाएं
विंशोत्तरी दशा में एक ग्रह की महादशा के साथ-साथ अन्य ग्रहों की उप दशाएं भी होती हैं इन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है। महादशा के साथ अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म दशा और प्राण दशा का भी आकलन किया जाता है। सर्वाधिक समय काल महादशा का होता है और उसके बाद क्रमश: अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म दशा और प्राण दशा। सबसे अधिक प्रभाव व्यक्ति पर महादशा और अंतर्दशा का पड़ता है।
विंशोत्तरी दशा का ज्योतिष में महत्व
कोई भी ज्योतिषी कुंडली को देखकर व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव आदि की जानकारी अवश्य दे सकता है लेकिन जीवन के अलग-अलग दौर में उसे कैसे फलों की प्राप्ति होगी इसके लिए विंशोत्तरी दशा की बहुत जरूरत होती है। विंशोत्तरी दशा का महत्व भविष्य और भूतकाल को लेकर की जाने वाली बातों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्ति का विवाह कब होगा, अच्छी नौकरी कब लगेगी, धन की स्थिति कैसी होगी यह सारी जानकारी बिना विंशोत्तरी दशा के पूरी तरह से नहीं की जा सकती है। सिर्फ यही नहीं विंशोत्तरी दशा की मदद से भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर हम अपने भविष्य को लेकर सतर्क रह सकते हैं।
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विंशोत्तरी दशा (Vimshottari dasha) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
कुंडली का आकलन करते समय जब महादशा का फल बताया जाता है तो उसमें कुछ बातें ध्यान में रखने वाली होती हैं, इनके बारे में नीचे बताया जा रहा है।
- विंशोत्तरी का दशा फल व्यक्ति की आयु, देशकाल आदि को ध्यान में रखकर किया जाता है।
- कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति से हटकर महादशाओं में कोई फल नहीं मिलता।
- जिस ग्रह की महादशा है वह अपने कारकत्व के अनुसार ही फल प्रदान करता है। साथ में यह जानना जरूरी है कि वह ग्रह कारक है या अकारक।
- जिस ग्रह की महादशा है उसपर दृष्टि किन ग्रहों की है, इसके बारे में भी विचार करना चाहिए और उसके बाद ही भविष्यफल कहना चाहिए।
- जो ग्रह महादशा के स्वामी पर दृष्टि डाल रहे हैं उनके अनुसार भी महादशा के दौरान फल मिल सकते हैं।
- जिन भावों पर महादशा के स्वामी की दृष्टि है उन भावों के फल भी वह अपनी महादशा के दौरान दे सकता है।
यह सारे बिंदु महादशा के दौरान भविष्यवाणी करते समय ध्यान में रखने चाहिए।