वासुदेव द्वादशी, देवशयनी एकादशी के ठीक एक दिन बाद आती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान वासुदेव यानि की कृष्ण जी की पूजा अर्चना की जाती है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन यदि विधि पूर्वक वासुदेव जी की पूजा अर्चना की जाए तो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। यहाँ हम आपको वासुदेव द्वादशी के महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
वासुदेव द्वादशी का महत्व
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह में चातुर्मास की शुरुआत होने वाले दिन को वासुदेव द्वादशी मनाया जाता है। इस साल वासुदेव द्वादशी 13 जुलाई को मनाई जायेगी। इस दिन भगवान् वासुदेव यानि की श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही आज के दिन खासतौर से लक्ष्मी माता और विष्णु भगवान की भी आराधना की जाती है। मान्यता है कि वासुदेव द्वादशी के दिन विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से मोक्ष प्राप्ति के साथ ही संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में आज के दिन व्रत रखना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वासुदेव द्वादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
वासुदेव द्वादशी के दिन इस प्रकार से करें पूजा अर्चना
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नहा धोकर नए वस्त्र धारण करें।
- पूजा विधि प्रारंभ करने से पहले भगवान वासुदेव और लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र को गंगा जल से स्वच्छ करें।
- लाल रंग के कपड़े पर दोनों मूर्तियों को स्थापित करें।
- अब भगवान् वासुदेव को हाथ का पंखा झलें और पूल चढ़ाएं।
- भगवान् वासुदेव और माता लक्ष्मी को धूप, दीप दिखाएं।
- भोग के लिए पंचामृत के साथ ही चावल की खीर या अन्य कोई मिष्ठान चढ़ा सकते हैं।
- पूजा विधि संपन्न होने के बाद भगवान् विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
- वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान् कृष्ण की सोने की मूर्ती का दान करना भी शुभ फलदायी माना जाता है।
- भगवान वासुदेव की सोने की मूर्ती को किसी बर्तन में जल भरकर पहले उसकी पूजा अर्चना करें और उसके बाद उसका दान करें।
- आप अपनी श्रद्धा अनुसार आज के दिन व्रत भी रख सकते हैं।
वासुदेव द्वादशी के दिन उपरोक्त नियमानुसार पूजा पाठ कर और व्रत रखकर मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आज के दिन विष्णु सहस्रनाम का जाप कर आप जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से भी मुक्ति पा सकते हैं।