क्या आपके घर में मौजूद मंदिर वास्तु शास्त्र के नियमों के मुताबिक सही है, जानें अभी

किसी भी घर में सबसे पवित्र स्थान भगवान का होता है। अक्सर लोग घर में सुख शांति के लिए देवी-देवताओं का एक छोटा सा मंदिर घर के किसी कोने में जरूर विराजमान करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि घर में मंदिर विराजमान करने को लेकर भी वास्तु शास्त्र के कुछ नियम हैं जिनका अगर ढंग से पालन न किया जाये तो घर में मौजूद मंदिर नकारात्मक परिणाम देने लगता है। 

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अगर नहीं पता है तो कोई बात नहीं, आप बिल्कुल ही सही जगह पर आए हैं। आज हम आपको इस लेख में वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार घर में मौजूद मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे जो आपके लिए निश्चित ही फायदेमंद सिद्ध होगी।

घर के मंदिर के लिए वास्तु शास्त्र के नियम

पहला नियम

देवी-देवताओं की मूर्ति या तस्वीर कभी भी ऐसे नहीं रखी जानी चाहिए कि उनकी पीठ नजर आए। भगवान की पीठ नजर आना अशुभ फल देता है। ऐसे में यदि आपके पूजा घर में कोई ऐसी प्रतिमा या तस्वीर है जिसमें भगवान की पीठ नजर आ रही है तो आप उसे दीवार के सहारे टेक लगा कर रख दें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है तो भगवान के पीठ को किसी लाल कपड़े से ढक दें।

दूसरा नियम

वास्तु शास्त्र कहता है कि कभी भी देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति या तस्वीर की पूजा नहीं करनी चाहिए। यदि आपके घर में किसी देवी या देवता की कोई खंडित मूर्ति या तस्वीर हो तो भले ही आप उसकी पूजा न करें लेकिन उसे जल्द से जल्द अपने घर से बाहर करें। आप उसे किसी बहते हुए पानी के स्रोत में प्रवाहित कर सकते हैं या फिर किसी एकांत जगह में जमीन के नीचे दफना सकते हैं।

तीसरा नियम

कई घरों में भगवान की प्रतिमा और तस्वीर के साथ लोग अपने पूर्वजों की तस्वीर भी रखते हैं। ऐसा करना वास्तु शास्त्र के नियमों के हिसाब से बिल्कुल भी सही नहीं है और इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ऐसे में जितनी जल्दी हो सके आप ये सुनिश्चित करें कि देवताओं और पूर्वजों की प्रतिमा या तस्वीर अलग-अलग स्थानों पर लगी हों।

चौथा नियम

वास्तु शास्त्र कहता है कि देवी-देवताओं की प्रतिमा या तस्वीर हमेशा सौम्य रूप में हो और उनकी मुद्रा हमेशा वर देने वाली हो तभी फलदायी सिद्ध होती है। कई घरों में आप पाएंगे कि जातक अज्ञानता में भगवान शिव के तांडव करते हुए रूप की पूजा करते हैं जो कि बेहद गलत है। साथ ही भगवान की कोई भी मूर्ति या तस्वीर ऐसी नहीं होनी चाहिए जिसमें वो किसी युद्ध में संलग्न हों या फिर किसी का नाश कर रहे हों। ये सभी रूप घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।

पांचवा नियम

वास्तु शास्त्र का एक और नियम ये कहता है कि पूजा स्थल पर एक ही स्थान पर एक देवता की एक से अधिक प्रतिमा या तस्वीर नहीं होनी चाहिए। यदि है भी तो वे दोनों प्रतिमा या तस्वीर एक दूसरे के सामने न लगे हों। ऐसे में यदि आपके घर के पूजा स्थल पर कुछ ऐसा ही मंजर हो तो इसे शीघ्र अति शीघ्र बदलें। साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें कि यदि आपके घर में भगवान गणेश की एक से अधिक प्रतिमा या तस्वीर है तो आप किसी एक ही प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करें। अन्यथा इन दोनों ही स्थितियों में घर में कलह शुरू हो जाते हैं और सदस्यों को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है।

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छठा नियम

वास्तु शास्त्र का नियम कहता है कि पूजा घर में देवी देवताओं की तीन इंच से बड़ी प्रतिमा नहीं होनी चाहिए। सबसे उपयुक्त लंबाई अंगूठे के पोर जितनी भगवान की प्रतिमा मानी गयी है। 

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हम उम्मीद करते हैं कि वास्तु शास्त्र के ये नियम आप सभी के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित हुए होंगे। इसी तरह की और भी रोचक व महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए एस्ट्रोसेज के साथ बने रहें। धन्यवाद!

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