हिन्दु कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। 17 अक्टूबर, गुरुवार को “वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी” का त्यौहार मनाया जायेगा। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के उपासक सूर्योदय से लेकर चन्द्रोदय के समय तक उपवास रखते हैं। संकट से मुक्ति मिलने को संकष्टी कहते हैं। भगवान गणेश को सबसे अधिक ज्ञानी माना जाता हैं। और उनको विघ्नहर्ता भी कहा जाता हैं। इसीलिए यह माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों को सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है।
तो चलिए इस लेख में आपको बताते हैं कि किस प्रकार आप राशि अनुसार गणपति कि पूजा कर अपने कष्टों को दूर कर सकते हैं।
मेष राशि
इस संकष्टी चतुर्थी मेष राशि के जातक गणेश जी की ‘वक्रतुण्ड’ रूप की आराधना करें और ‘गं’ या ‘ॐ वक्रतुण्डाय हूं’ मंत्र की एक माला का जाप कर गुड़ का भोग लगाएं। इससे जीवन में जो भी समस्या होंगी, उनका समाधान हो जाएगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों को इस संकष्टी चतुर्थी गणेश जी के ‘शक्ति विनायक’ रूप की आराधना करनी चाहिए और ‘गं’ या ‘ॐ हीं ग्रीं हीं’ मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपकर घी में मिश्री मिलाकर भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से निश्चित ही उन्हें सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
मिथुन राशि
इस वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर मिथुन राशि वाले लोगों को गणेश जी के ‘लक्ष्मी गणेश’ रूप की पूजा करनी चाहिए। गणेश जी को प्रसाद के तौर पर मूंग के लड्डू चढ़ाएं और ‘श्रीगणेशाय नम: या ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र की प्रतिदिन एक माला का जाप करें। इससे जीवन में जो भी समस्या होंगी, उनका समाधान हो जाएगा।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले इस वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की ‘वक्रतुण्ड’ रूप में पूजा करें और ‘ॐ वरदाय न:’ या ‘ॐ वक्रतुण्डाय हूं’ की एक माला प्रतिदिन जाप करें। गणेश जी की पूजा के दौरान आप सफेद चंदन लगाकर सफेद फूल चढ़ाएं।
सिंह राशि
इस संकष्टी चतुर्थी पर सिंह राशि वालों को गणेश जी की पूजा-अर्चना ‘लक्ष्मी गणेश’ रूप में करनी चाहिए और उन्हें ‘ॐ सुमंगलाये नम:’ मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए। सिंह राशि वाले श्री गणेश को लाल पुष्प चढ़ाकर मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं, जिससे आपके सभी तरह की समस्याओं का समाधान हो सके।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को भी इस संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी के ‘लक्ष्मी गणेश’ रूप की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान दुर्वा यानि की घांस के 21 जोड़े अर्पित कर ‘ॐ चिंतामण्ये नम:’ मंत्र की एक माला का प्रतिदिन जाप करना चाहिए। इससे भक्त के जीवन की सभी तरह की चिंताएं दूर हो जाएंगी।
तुला राशि
17 अक्टूबर को होने वाले वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर तुला राशि वाले लोगों को गणेश जी के ‘वक्रतुण्ड’ रूप की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही पूजा के दौरान गणेश जी को 5 नारियल का भोग लगाएँ। उसके बाद एक माला ‘ॐ वक्रतुण्डाय नम:’ मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जो भी समस्याएं होंगी, वह भगवान गणेश जल्द ही दूर करेंगे।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह “मंगल” है, इसीलिए इस राशि वाले जातकों को ‘श्वेतार्क गणेश’ रूप की पूजा करनी चाहिए। भक्तों को पूजा में सिंदूर और लाल फूल अर्पित करना चाहिए। साथ ही ‘ॐ नमो भगवते गजाननाय’ मंत्र की एक माला रोज जपना चाहिए। ऐसा करने से उस जातक के जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं रहेगा।
धनु राशि
जिसकी भी राशि धनु है, उन्हें गणेश जी के ‘लक्ष्मी गणेश’ रूप की पूजा करनी चाहिए। धनु राशि का स्वामी ग्रह “गुरु” है, इसीलिए गणेश जी को पीले फूल चढ़ाकर बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं। धनु राशि वालों को प्रतिदिन ‘ॐ गं गणपते मंत्र’ का जप करना चाहिए। ऐसा करने से सभी समस्याएं समाप्त होंगी।
मकर राशि
जिस किसी की भी राशि मकर है, वह इस दिन ‘शक्ति विनायक’ गणेश की आराधना करें। पूजा के दौरान भगवान गणेश को पान, सुपारी, इलायची और लौंग अर्पित करें और ‘ॐ गं नम:’ मंत्र की एक माला रोज जपें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों को इस दिन ‘शक्ति विनायक’ गणेशजी की पूजा करनी चहिए और ‘ॐ गण मुक्तये फट् मंत्र की एक माला रोज जपना चाहिए। इससे भक्त के सभी तरह के कष्टों का निवारण होगा।
मीन राशि
मीन राशि वाले जातकों को ‘हरिद्रा गणेश’ की पूजा करनी चाहिए। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा’ मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपना चाहिए और पूजा के दौरान केसर और शहद का भोग लगाना चाहिए। अधिक फल की प्राप्ति के लिए किसी गणेश मंदिर में प्याऊ के लिए पैसा दान करें। वहीं मनोकामनाएं भी पूर्ण होगी