ज्योतिष शास्त्र कहता है कि आपका जीवन ग्रहों की चाल और स्थिति पर निर्भर करता है। आपका भूत, भविष्य और वर्तमान सब ग्रहों की दशा और गोचर पर निर्भर है। अब चूंकि 30 मई को बुध ग्रह वक्री चाल प्रारंभ करने वाला है तो ऐसे में आज हम आपको इस लेख में वक्री बुध से जुड़ी चार बेहद जरूरी बातें बताने जा रहे हैं।
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01 – बुध का वैदिक ज्योतिष में महत्व
वैदिक ज्योतिष में बुध को एक बेहद ही शुभ ग्रह माना गया है। बुध किसी भी जातक की कुंडली में बुद्धि, व्यापार, संचार, हाजिर जवाबी व्यवहार, गणित आदि के लिए कारक होता है। बुध का सभी बारह राशियों में मिथुन और कन्या राशि पर आधिपत्य होता है। वहीं 27 नक्षत्रों के बीच अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों का बुध स्वामी है। बुध के मित्र ग्रह शुक्र और सूर्य माने जाते हैं जबकि मंगल और चंद्रमा से बुध को बैर है।
बुध यदि किसी जातक की कुंडली में शुभ स्थान पर बैठा हो तो ऐसे जातकों का जीवन सुखद रहता है। बुध की जिस पर कृपा हो जाये वह जातक तीक्ष्ण बुद्धि का होता है। ऐसे जातक अपनी बातों से सबको आकर्षित करते हैं और अपनी बात को दूसरों तक बेहतर तरीके से पहुंचाने में सफल रहते हैं। व्यापार में इन्हें सफलता मिलती है और इनकी गणना करने की क्षमता भी अद्भुत होती है।
वहीं यदि किसी जातक की कुंडली में बुध कमजोर अवस्था में मौजूद हो तो ऐसे जातकों को अपने जीवन में किसी भी बात को समझने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन्हें मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही शारीरिक समस्याएं भी तकलीफ देती हैं। जीवन में दरिद्रता आती है। ऐसे जातक मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और बहुत ही बुरे वक्ता होते हैं। बुध अगर बहुत ही बुरी स्थिति में हो तो जातकों को कई बीमारियां भी घेर लेती हैं।
आइये अब जान लेते हैं कि बुध कब वक्री होने वाला है।
02 – बुध कब हो रहे हैं वक्री?
बुध साल 2021 में दूसरी बार वक्री होने जा रहे हैं। साल 2021 के मई महीने की 30 तारीख को रविवार के दिन 03 बजकर 47 मिनट पर बुध मिथुन राशि में वक्री हो जाएगा। इसके बाद बुध ग्रह 23 जून, 2021 को बुधवार की दोपहर 02 बजकर 50 मिनट पर वृषभ राशि में मौजूद रह कर दोबारा मार्गी होगा।
आइये अब समझने की कोशिश करते हैं कि बुध का वक्री होना क्या है और ये कैसे आम लोगों के जीवन पर असर डालता है।
03 – बुध का वक्री होना क्या होता है?
किसी भी ग्रह का वक्री होना एक विशेष ज्योतिषीय घटना है जिसमें वह ग्रह पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत होता है। आपको बता दें कि इस ज्योतिषीय घटना में ग्रह बस पीछे चलता हुआ प्रतीत होता है न कि पीछे चलने लगता है। एक साल में बुध लगभग तीन से चार बार वक्री होते हैं।
वक्री होने की स्थिति में यह जातकों को उनकी कुंडली में बुध की स्थिति (शुभ या अशुभ) के अनुसार ज्यादा फल देते हैं। यदि बुध शुभ फल देने की स्थिति में हैं तो जातकों को बुध के वक्री होने से फायदा पहुंचेगा और वहीं अगर बुध कुंडली में अशुभ फल देने की स्थिति में हैं तो जातक के जीवन में इस अवधि के दौरान परेशानियाँ बढ़ जाएंगी।
जिन लोगों के जीवन में बुध की वजह से समस्या आ रही हैं, उन्हें बुध शांति के उपाय करने चाहिए। ऐसे में आइये जान लेते हैं कि बुध शांति के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
04 – बुध शांति के उपाय
भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा
बुधवार का दिन बुध को समर्पित होता है। यह दिन भगवान गणेश को भी समर्पित होता है। ऐसे में बुध शांति के लिए जातकों को बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही बुधवार के दिन यदि भगवान विष्णु की आराधना की जाये तो बुध देवता अति प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु की आराधना करते वक़्त विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करें। शुभ फल प्राप्त होगा।
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व्रत रखें
बुध को बुधवार का दिन समर्पित होता है। ऐसे में बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों से पीड़ित जातकों को बुधवार के दिन व्रत रखना चाहिए। इस दिन नमक न खाएं। फलाहार करें। ज्यादा समस्या होने पर सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
गाय माता की सेवा
सनातन धर्म में गाय मातृतुल्य है। ऐसे में बुधवार के दिन जातकों को गाय को हरी घास का चारा खिलाना चाहिए। बुध ग्रह की शांति होगी।
घर की महिलाएं
बुध के अशुभ प्रभावों से बचना है तो घर की स्त्रियॉं को सम्मान दें। घर में यदि बहन, बेटी या कोई भी छोटी बच्ची हो तो उसे प्रसन्न रखें। बीच बीच में उसे कोई उपहार देते रहें। बुध की आप पर कृपा होगी।
दान का है महत्व
बुधवार के दिन मूंग, हरी घास, हारा या नीले रंग का वस्त्र, इत्यादि का दान करें। इससे बुध देवता बहुत प्रसन्न होते हैं।
हरे वस्त्र से मिलेगी राहत
बुध देवता को प्रसन्न करना है तो बुधवार के दिन हरे रंग का वस्त्र धारण करें। बुध देवता को हरा रंग बेहद प्रिय है। ऐसे में ये उपाय अपनाने पर वे आप पर बहुत प्रसन्न होंगे।
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