दुनिया के हर धर्म में शादी करना जीवन का एक अहम पड़ाव होता है। लेकिन हिन्दू धर्म की बात करें तो शादी को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र बंधन माना जाता है क्योंकि इसके बाद व्यक्ति एकसाथ जीने-मरने, सुख-दुःख बांटने और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को संभालने के लिए पारंपरिक रूप से बाध्य हो जाता है। शादी को विवाह, गठबंधन, परिणय और पाणिग्रहण आदि नामों से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि मनुष्य को विवाह एक विशेष शुभ मुहूर्त में करना चाहिए क्योंकि ग्रह-नक्षत्रों के शुभाशुभ प्रभाव दांपत्य जीवन को प्रभावित करते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि पूरे साल भर में कुछ ऐसे भी महीने होते हैं, जिनमें एक भी विवाह मुहूर्त नहीं होता है। चलिए तो आज हम आपको बताएंगे कि कब से लेकर कब तक और क्यों शुभ विवाह मुहूर्त नहीं होता है। इसके अलावा इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि आने वाले दिन विवाह करने के लिए क्यों ख़ास हैं, शादी के लिए कौन से शुभ नक्षत्र होते हैं और कौन से निषेध योग। ऐसी ही तमाम जानकारियों से रूबरू होने के लिए अंत तक पढ़िए एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग।
विवाह संबंधी कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए करें विवाह विशेषज्ञों से कॉल/चैट पर बात!
हिन्द धर्म में सभी महत्वपूर्ण कार्य जैसे कि गृह प्रवेश, वाहन ख़रीद, संपत्ति ख़रीद, मुंडन, कर्णवेध, नामकरण, विद्यारंभ, शादी आदि सभी शुभ मुहूर्त देखकर ही किए जाते हैं। इसका कारण यह है कि प्रत्येक दिन-तिथि-ग्रह-नक्षत्र आदि का हमारे जीवन पर सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से विवाह की बात करें तो पूरे साल भर में कुछ विशेष तिथियों पर ही विवाह के योग बनते हैं, जिनमें शादियां की जा सकती हैं। लेकिन कुछ महीने ऐसे भी होते हैं, जिनमें विवाह जैसा शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। हिन्दू धर्म में देवशयनी एकादशी के दिन से लेकर देवउठनी/देवोत्थान एकादशी तक शादी करना उचित नहीं माना जाता है। हिन्दू पंचांग और पौराणिक कथाओं के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवशयनी एकादशी से श्री हरि भगवान विष्णु 4 महीनों के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। यही वजह है कि इस अवधि के दौरान विवाह करना वर्जित माना गया है। साल 2022 की बात करें तो देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को पड़ी थी और देवउठनी एकादशी 4 नवंबर 2022 को, यानी कि आगे आने वाले दिनों में विवाह करने वाले लोगों को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होगा और कृपा बनी रहेगी। जो लोग नवंबर या दिसंबर 2022 में विवाह करने की योजना बना रहे हैं, बता दें कि नवंबर में शुभ विवाह मुहूर्त 25 नवंबर 2022 से शुरू हो रहे हैं और दिसंबर में भी कई शुभ विवाह मुहूर्त पड़ रहे हैं, जानने के लिए देखें शुभ विवाह मुहूर्त सूची:-
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
शुभ विवाह मुहूर्त 2022: नवंबर
महीना-तिथि | दिनांक | दिन | राशि | नक्षत्र | समयावधि |
मार्गशीर्ष-द्वितीया | 25 नवंबर | शुक्रवार | धनु राशि | मूल | 18:09-28:58 |
मार्गशीर्ष तृतीया | 26 नवंबर | शनिवार | धनु राशि | मूल | 06:08-14:58 |
मार्गशीर्ष पंचमी | 28 नवंबर | सोमवार | मकर राशि | श्रवण | 10:29-30:55 |
मार्गशीर्ष-षष्ठी | 29 नवंबर | मंगलवार | मकर राशि | श्रवण | 06:55-08:38 |
नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर
शुभ विवाह मुहूर्त 2022: दिसंबर
महीना-तिथि | दिनांक | दिन | राशि | नक्षत्र | समय अवधि |
मार्गशीर्ष-अष्टमी | 1 दिसंबर | गुरुवार | मीन राशि | उत्तरभाद्रपद | 29:43-30:57 |
मार्गशीर्ष-दशमी | 2 दिसंबर | शुक्रवार | मीन राशि | उत्तरभाद्रपद | 06:57-29:50 |
मार्गशीर्ष-द्वादशी | 4 दिसंबर | रविवार | मेष राशि | अश्विनी | 07:04-27:40 |
मार्गशीर्ष-चतुर्दशी | 7 दिसंबर | बुधवार | वृषभ राशि | रोहिणी | 20:47-31:02 |
मार्गशीर्ष-पूर्णिमा | 8 दिसंबर | गुरुवार | वृषभ राशि | रोहिणी | 07:02-12:33 |
वृषभ राशि/मिथुन राशि | मृगशिरा | 12:33-31:02 | |||
मार्गशीर्ष-प्रतिपदा | 9 दिसंबर | शुक्रवार | मिथुन राशि | मृगशिरा | 07:02-14:59 |
मार्गशीर्ष-षष्ठी | 14 दिसंबर | बुधवार | सिंह राशि | मघा | 08:06-10:46 |
वर्ष 2023 के शुभ विवाह मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें!
विवाह के लिए शुभ नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष में, विवाह समारोह के लिए सभी 27 नक्षत्रों में से 11 नक्षत्रों को बेहद ही शुभ माना जाता है। जो कि वर और वधू को सुख, सहानुभूति, आपसी स्नेह, पुत्र, पौत्र और धन का आशीर्वाद देने के लिए जाने जाते हैं।
- रोहिणी नक्षत्र (चौथा नक्षत्र)
- मृगशिरा नक्षत्र (पांचवा नक्षत्र)
- मघा नक्षत्र (दसवां नक्षत्र)
- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (बारहवां नक्षत्र)
- हस्त नक्षत्र (तेरहवां नक्षत्र)
- स्वाति नक्षत्र (पंद्रहवां नक्षत्र)
- अनुराधा नक्षत्र (सत्रहवां नक्षत्र)
- मूल नक्षत्र (उन्नीसवां नक्षत्र)
- उत्तराषाढ़ नक्षत्र (इक्कीसवां नक्षत्र)
- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र (छब्बीसवां नक्षत्र)
- रेवती नक्षत्र (सत्ताईसवाँ नक्षत्र)
ध्यान रहे कि माघ और मूल नक्षत्र की पहली तिमाही और रेवती नक्षत्र की आख़िरी तिमाही को अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यदि इस दौरान कोई भी मनुष्य शादी करता है तो विवाहित जोड़े के लिए मृत्यु का डर बना रहता है।
सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों के अनुसार, लोगों को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र से भी बचना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने इसी नक्षत्र के दौरान माता सीता से विवाह किया था, जिसके बाद उन्हें अपने वैवाहिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें
विवाह के लिए निषेध योग
27 में से इन 8 योगों को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है।
- अतिगंडा योग (छठा योग)
- शुल योग (नौवां योग)
- गंडा योग (10वां योग)
- व्याघाट योग (13वां योग)
- व्यतिपात योग (17वां योग)
- परिघ योग (19वां योग)
- इंद्र योग (26वां योग)
- वैधृति योग (27वां योग)
मान्यता है कि यदि दूल्हा और दुल्हन ऊपर दिए गए किसी भी योग के दौरान विवाह बंधन में बंधते हैं, तो इसके परिणामस्वरुप दूल्हा या दुल्हन की मृत्यु भी हो सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं, इन योगों में शादी करने के कुछ अन्य दुष्परिणाम भी हो सकते हैं- जैसे कि बीमारियों से पीड़ित पत्नी, या दूल्हा शराब पीने और मांस खाने जैसी अनुचित गतिविधियों में लिप्त हो सकता है। इन 8 योगों के अलावा बाकी सभी 19 को विवाह समारोह के लिए पवित्र माने जाते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।