उपच्छाया चंद्र ग्रहण : जानें चंद्र ग्रहण का समय और सूतक काल की सारी जानकारी

एक महीने के अंदर लगने वाला तीसरा ग्रहण, चन्द्र ग्रहण होने वाला है। ग्रहण और गोचर का हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है, ऐसे में जुलाई के महीने में होने वाले इस ग्रहण का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा या उन प्रभावों से बचने का उपाय जानना चाहते हैं तो अभी हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषीयों से प्रश्न पूछें  

चंद्र ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता हैखगोल विज्ञान के साथ-साथ ज्योतिष विज्ञान में भी चंद्र ग्रहण का बहुत महत्व बताया गया है इस वर्ष यानि कि साल 2020 में चंद्र ग्रहण की ये घटना कुल  चार बार होनी है। इस साल में पड़ने वाला तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई, रविवार के दिन पड़ेगा यह चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण की श्रेणी में आएगा। इसकी अवधि 8:00 बज कर 38 मिनट से लेकर 11 बज कर 21 मिनट तक रहने वाली है। 

इसके अलावा अगर आप भी इन ज्योतिषीय घटनाओं की वजह से अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो एस्ट्रोसेज की व्यक्तिगत और विस्तृत बृहत् कुंडली रिपोर्ट इसमें आपकी मदद कर सकती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होगा। इसलिये धनु राशि के जातकों के जीवन में इस अवधि में कुछ बदलाव आ सकते हैं।

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जानिए इस साल पड़ने वाले चंद्र ग्रहण की जानकारी 

इस साल कुल 4 चंद्र ग्रहण होने वाले हैं।  जिनमें से दो चंद्रग्रहण 10-11 जनवरी, 5-6 जून को पड़ चुके हैं। बाकी दो चंद्रग्रहण की जानकारी आपको नीचे दी गयी तालिका में दी जा रही है।

दिन  चंद्र ग्रहण  अवधि  ग्रहण कहाँ आएगा नज़र  सूतक काल 
5 जुलाई उपच्छाया चंद्र ग्रहण 08:38 से 11:21 तक अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से। नहीं माना जाएगा
30 नवंबर उपच्छाया चंद्र ग्रहण 13:04 से 17:22 तक एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में। नहीं माना जाएगा

उपच्छाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल प्रभावी है या नहीं?

उपच्छाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल प्रभावी नहीं होता है, ऐसा देश के कुछ ज्योतिष के विद्वान मानते हैं। हालांकि वहीं एक दूसरा मत भी है जो यह मानता है कि चंद्र ग्रहण में सूतक प्रभावी होता है। ऐसे में अगर आप भी सूतक काल में विश्वास करते हैं तो जान लीजिए कि इस दौरान आपको किन कामों को करने से बचना चाहिए। 

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सूतक के दौरान अवश्य करें ये काम 

  • यूं तो सूतक काल में भगवान की पूजा वर्जित मानी गई है लेकिन सलाह दी जाती है कि इस दौरान आपको अपने इष्ट देवता का ध्यान करना चाहिए। 
  • अगर सूतक चंद्र ग्रहण का है इस समय चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करें और अगर सूर्य ग्रहण का सूतक है तो इस तरह सूर्य मंत्रों का जाप करना फलदाई साबित होता है।  
  • अगर आप आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति करना चाहते हैं तो ग्रहण के सूतक के दौरान आपको योग या ध्यान करना चाहिए। 

2020 में होने वाले चन्द्र ग्रहण की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें: चन्द्र ग्रहण 2020

सूतक के दौरान भूल से भी ना करें ये काम 

  • सूतक काल के दौरान भोजन नहीं बनाना चाहिए।  
  • इस समय भोजन ग्रहण भी नहीं करना चाहिए और अगर भोजन पहले से बन चुका है तो उसमें तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए।  
  • इस दौरान शौचालय जाने से भी बचें।  
  • इस दौरान भगवान की मूर्तियों को भी ना छुए।  हो सके तो घर के मंदिर को परदे से या दरवाजे बंद कर दें। 
  • सूतक के दौरान कोई भी नया काम शुरू ना करें। 

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इस चंद्र ग्रहण को कैसे देखें?

अमूमन तौर पर चंद्र ग्रहण को देखने के लिए आपको कभी भी किसी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत नहीं होती है। चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से भी देख सकते हैं। हालांकि अगर आप टेलिस्कोप की मदद लेते हैं इससे यह नजारा आपको कई गुना खूबसूरत नजर आएगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण को देखने के लिए आपको खास सोलर फिल्टर वाले चश्मे की मदद लेनी पड़ेगी, क्योंकि इसी से आप उस चंद्रग्रहण को देख सकते हैं। 

क्या होता है चंद्र ग्रहण?

खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण एक ऐसी स्थिति को कहा जाता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों ही ग्रह एक सीधी रेखा में एक आ जाते हैं। इस दौरान पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। जिसकी वजह से चंद्रमा की दृश्यता कम हो जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि यह घटना पूर्णिमा की रात को ही होती है।

ज्योतिष की दुनिया में भी चंद्र ग्रहण की घटना को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले सूतक लग जाता है। सूतक की वजह से वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा छा जाती है, इसीलिए सूतक काल के दौरान कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जिनका पालन करना चाहिए और कुछ ऐसे भी काम बताये जाते हैं जिन्हें इस दौरान भूल से भी नहीं करना चाहिए। 

सूतक काल

चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण लगने से पहले सूतक लग जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि सूतक एक ऐसा समय होता है जो ग्रहण से पहले लगता है और इस दौरान कोई भी शुभ काम वर्जित होते हैं। सूतक के दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं और इस दौरान पूजा-पाठ भी करने की मनाही होती है। कहा जाता है सूर्य ग्रहण के समय सूतक 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक लागू हो जाता है।

इसके बाद ग्रहण शुरू होता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान किया जाता है, घर और मंदिर की सफाई की जाती है, पूजा पाठ की जाती है, और उसके बाद ही अन्य काम शुरू किए जाते हैं।

ग्रहण के सूतक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान 

वैसे तो सूतक के दौरान हर किसी के लिए शुभ काम वर्जित होते हैं लेकिन इस दौरान गर्भवती स्त्रियों को ज्यादा सजग रहने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि सूतक काल के दौरान किसी भी गर्भवती महिला को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि सूतक के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा होती है जिससे होने वाले बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है।

इसके अलावा सूतक काल के दौरान किसी भी नए काम को करने से बचना चाहिए। किसी भी ग्रहण के दौरान खाना पीना मना किया गया है, हालांकि घर में अगर बूढ़े बुजुर्गों या बच्चे हैं तो उन्हें खाना खिलाया जा सकता है लेकिन इसके लिए आपको खाने में पहले से तुलसी का पत्ता डालकर रखने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान आज भी कई जगहों पर खाना नहीं बनाया जाता है। इसके अलावा सूतक के दौरान गर्भवती महिलाओं को चाकू, ब्लेड या कैंची जैसी चीजें भी इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए।

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चंद्र ग्रहण कुल 3 तरह के होते हैं

पहला चंद्र ग्रहण, इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं। पूर्ण चंद्र ग्रहण एक ऐसी स्थिति को कहते हैं जब पृथ्वी पूरी तरह से सूर्य को ढक लेती है और चंद्रमा पर सूर्य का थोड़ा भी प्रकाश नहीं पहुंच पाता है।

दूसरे चंद्रग्रहण को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं, आंशिक चंद्रग्रहण ऐसी स्थिति होती है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है और, इससे आंशिक रूप से पृथ्वी चंद्रमा को ढक लेती है। इसीलिए इसे आंशिक ग्रहण कहा जाता है।

क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया वाले क्षेत्र में चंद्रमा आ जाता है इसकी वजह से चंद्रमा पर पड़ने वाले सूर्य का प्रकाश कटा हुआ दिखाई देने लगता है।  जिसकी वजह से इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। 

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