यूँ तो शिव जी की प्रिय वस्तुओं में कई चीज़ों का नाम शुमार है लेकिन इन सब में रुद्राक्ष का महत्व सबसे अधिक बताया गया है। रुद्राक्ष भगवान शिव का गहना बताया जाता है और साधना में सिद्धि दिलाने के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है। रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति के बारे में बताते हैं कि ये भगवान शिव के आँसू से बना है। कहते हैं कि रुद्राक्ष तभी फ़लदायी हो सकता है जब उसे सही मंत्र जाप और उचित समस्या के हिसाब से धारण किया जाता है। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है कि रुद्राक्ष खरीदते समय सही रुद्राक्ष का चयन किया जाए।
कितने तरह के होते हैं रुद्राक्ष
रुद्राक्ष को सही मंत्रों और देवता के अनुसार ही पहनना चाहिए। ज्योतिष बताते हैं कि रुद्राक्ष को देवता और मंत्र का जाप करके ही पहनना चाहिए तभी ये फलदायी होते हैं । अगर आप इन सभी बातों को ध्यान में रखकर रुद्राक्ष धारण करते हैं तो आपको इससे विशेष लाभ अवश्य होता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने कई सालों तक तपस्या करने के बाद जब अपनी आंखे खोली तो उनकी आंखों में से आँसू धरती पर गिर गया जिसके बाद वहां एक रुद्राक्ष का पेड़ बन गया।
एक-मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष कुल 14 तरह के होते हैं। पहला होता है एक मुखी रुद्राक्ष। इस रुद्राक्ष को भगवान शिव के सबसे करीब माना जाता है। जिन भी लोगों को अपने जीवन में धन-दौलत और भौतिक चीजों की चाह होती है वो इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से पहले ऊँ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
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दो-मुखी रुद्राक्ष
दो-मुखी रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर देवता का रुद्राक्ष कहा जाता है। इस रुद्राक्ष की खास बात होती है कि ये हर इच्छाओं की पूर्ति के लिए जाना जाता है।
इसको धारण करने से पहले ॐ नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
तीन-मुखी रुद्राक्ष
तीन-मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देवता का रुद्राक्ष कहा जाता है। इसको जो भी इंसान धारण करता है उस व्यक्ति की हर इच्छा जल्दी पूरी होती है।
इस रुद्राक्ष को पहनते समय ऊँ क्लीं नम: का जाप करना चाहिए।
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चार-मुखी रुद्राक्ष
चार-मुखी रुद्राक्ष को साक्षात ब्रह्मा का रुद्राक्ष माना जाता है। इसको पहनने से इंसान को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस रुद्राक्ष को धारण करते समय ऊँ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
पांच-मुखी रुद्राक्ष
पांच-मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि देवता का रुद्राक्ष भी कहा जाता है। इस पहनने से लोग अपनी हर परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं।
ये रुद्राक्ष पहनने से पहले ऊँ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
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छह-मुखी रुद्राक्ष
छह मुखी रुद्राक्ष को कार्तिकेय का रुद्राक्ष भी कहा जाता है। इसे पहनने से ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिलती है।
इसे धारण करने से पहले ॐ ह्रीं हुम नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
सात-मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष को सप्तर्षि सप्तमातृकाएं का रुद्राक्ष कहा जाता है। जिन लोगों को बहुत ज़्यादा धन की हानि हुई है और उनके पास इससे उबरने का कोई तरीका नज़र नहीं आ रहा है, उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य पहनना चाहिए। इसे पहनने से उन्हें इसका लाभ अवश्य ही मिलता है।
इसे धारण करने से पहले ऊँ हुं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
आठ-मुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष पहनने से लोग रोग मुक्त रहते हैं। ऐसे में अगर किसी इंसान को लम्बे समय से कोई रोग हो तो वो आठ-मुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं।
इस रुद्राक्ष को धारण करते समय ॐ हुम नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
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नौ-मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष को नौ देवियों का स्वरूप कहा जाता है। इसलिए ही इसका नाम नौ-मुखी रुद्राक्ष है। जिस किसी इंसान को समाज में प्रतिष्ठा की चाह हो उन्हें नौ मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
इसके लिए ऊँ हीं हुम् नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
दस-मुखी रुद्राक्ष
दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। जिस भी इंसान को ख़ुशियों की चाह हो उसे ये रुद्राक्ष अवश्य पहनना चाहिए।
इसे धारण करते वक़्त ॐ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए
ग्यारह-मुखी रुद्राक्ष
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को रुद्रदेव का स्वरूप माना जाता है। हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इसे पहनना शुभ और फ़लदायी माना गया है।
इसके लिए ॐ ह्रीं हुम नम: मंत्र का जाप करना चाहिए
बारह-मुखी रुद्राक्ष
चौदह रुद्राक्षों में इस रुद्राक्ष को सबसे अलग माना जाता है और इसकी वजह है इसका बालों में पहना जाना।
इसे धारण करने का मंत्र है ऊँ क्रौं क्षौं रौं नम:
तेरह-मुखी रुद्राक्ष
तरह मुखी रुद्राक्ष को पहनने वाले लोगों का सौभाग्य चमकने लग जाता है।
इसे धारण करने से पहले ॐ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए
चौदह-मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष को पापों से मुक्ति दिलाने वाला कहा जाता है।
इसका जाप है ॐ नम: