घर में वास्तु एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देता है। घर का वास्तु ठीक है तो आपके घर में हमेशा सुख, संपत्ति, धन, ऐश्वर्य सब बना रहता है लेकिन अगर गलती से भी घर का वास्तु ठीक नहीं है तो इससे घर में दुःख, नकारात्मकता, कंगाली, मानसिक तनाव आदि की स्थिति बन जाती है। इसी तरह वास्तु के अनुसार वर्गाकार और आयताकार भू-खंड पर बने घर हर मायने में श्रेष्ठ माने जाते हैं। लेकिन कभी-कभी किसी भू-खंड या उस पर बने घर का कोई कोण या विदिशा बढ़ा हुआ या घटा हुआ होता है, ऐसी स्थिति में भू-खंड या घर विदिशाओं की बढ़ी या घटी दशा के अनुसार शुभ अथवा अशुभ फल देने वाले हो सकते हैं।
भू-खंड अगर बढ़ा हुआ होता है तो इसका मतलब होता है कि वह किसी कोण या विदिशा की तरफ से आगे निकला हुआ है। यानी कि भू-खंड का वह कोण 90 अंश से ज़्यादा है। इसी तरह से भूखंड के घटे या छोटे होने से मतलब ये होता है कि घर का कोई कोण या विदिशा कटा हुआ है। इसमें भू-खंड का घटा हुआ कोण 90 अंश से कम हो जाता है।
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ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा
अगर आपका कोई भू-खंड ईशान कोण की तरफ से बढ़ा हुआ है तो वास्तु शास्त्र की दृष्टि में इसे काफी शुभ माना गया है। ऐसे भू-खंड पर बने घर में रहने वाले लोगों को हमेशा सम्मान,सुख और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे भू-खंड पर बने घर में सदैव धन का आगमन होता है। वहीँ इसके विपरीत अगर भू-खंड ईशान कोण से कटा या घटा होता है तो उसे हमेशा अशुभ ही माना गया है। ईशान कोण की तरफ से घटे भू-खंड पर बने घर से उस घर में रहने वालों को शारीरिक कष्ट,मानसिक तनाव,अशांति,अपमान और धन की हानि जैसी जटिल समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।
आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व दिशा
अगर किसी घर का भू-खंड का आग्नेय कोण बढ़ा हुआ होता है तो इसे काफी कष्टकारी माना जाता है जिसके कारण इस घर में रहने वालों के काम में अड़चन,व्यापार में असफलता, आग से डर, सरकारी विभाग से दंड की स्थिति और धन हानि की सम्भावना हमेशा बनी रहती है। वहीं अगर भूखंड का आग्नेय कोण कटा हुआ है तो इसे वास्तु में शुभ प्रभाव देने वाला माना गया है। ऐसे भूखंड पर बने घर में रहने से इंसान के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त बनी रहती है।
नैऋत्य कोण यानि दक्षिण-पश्चिम दिशा
वास्तु नियमों के अनुसार अगर किसी भूखंड का नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ अथवा कटा हुआ होता है तो दोनों ही हालत में ऐसी स्थिति को अशुभ माना गया है। इस तरह के भूखंड पर बने घर में रहने वाले लोगों को हमेशा ही मानसिक कष्ट, धन की हानि, परिवार में कलह, अलग-अलग तरह रोग और बिमारियों आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे भूखंड पर घर ना ही बनाया जाए।
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वायव्य कोण यानि उत्तर-पश्चिम दिशा
किसी भूखंड के वायव्य कोण का बढ़ा या कटा होना भी अशुभ फलदायी माना गया है। इस तरह के भूखंड पर बने घर में रहने वालों को हमेशा मानसिक अशांति,आर्थिक नुकसान ,नौकरी और व्यवसाय में घाटा, जोड़ों में दर्द और गठिया रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे भूखंड पर घर बनाना वास्तु दोष की तरफ इशारा करता है।