स्वास्तिक सनातन धर्म में एक मंगल या फिर कहें तो बेहद शुभ प्रतीक माना जाता है। हर मंगल कार्य से पहले स्वास्तिक बनाना सनातन धर्म में एक परंपरा रही है। न सिर्फ सनातन धर्म में बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी स्वास्तिक का बहुत महत्व है। स्वास्तिक तीन शब्दों से मिलकर बना है : सु, अस्ति और क। इन तीनों शब्दों में सु का अर्थ होता है शुभ, अस्ति का अर्थ है होना और क अक्षर करने वाले यानी कि कर्ता को संबोधित कर्ता है।
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ऐसे में आज हम आपको इस लेख में स्वास्तिक को घरों के आगे बनाने की वजह बताने वाले हैं लेकिन उससे पहले स्वास्तिक से जुड़ी कुछ खास जानकारी आपको दे देते हैं।
स्वास्तिक
सनातन धर्म में स्वास्तिक किसी भी मंगल कार्य से पूर्व उपयोग किया जाता है। यह एक प्रकार का धार्मिक चिन्ह है लेकिन सनातन धर्म में इसका महत्व इतना है कि इसकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि स्वास्तिक के निशान में बनी चार रेखाएं चार दिशाओं की सूचक हैं जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह भगवान ब्रह्मा के चार मुखों का सूचक है। इसको बनाने में लाल रंग का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि लाल रंग को सनातन धर्म में बहुत ही शुभ माना जाता है।
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स्वास्तिक सिर्फ भारत में ही पूजनीय नहीं है बल्कि विदेशों में भी हमें स्वास्तिक से मिलते जुलते निशान देखने को मिल जाते हैं। जैसे कि बर्मा में स्वास्तिक के जैसे ही दिखने वाले महापियन्ते का निशान चलन में है। वहीं जापान में कांग्येन का निशान भी स्वस्तिक से मेल खाता है।
स्वास्तिक का घर में उपयोग की वजह
स्वास्तिक का उपयोग किसी घर में बहुत सी वजहों से किया जाता है। जैसे यदि किसी घर में कोई वास्तु दोष हो तो उस घर के सामने स्वास्तिक का निशान बना देने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सुख, समृद्धि, धन और वैभव आता है। वहीं नवविवाहित जोड़े को स्वास्तिक के दर्शन कराये जाते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखद रहे। वहीं राजस्थान में नव विवाहित वधू की ओढनी पर स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से वधू सौभाग्यवती होती है और उसके पति की आयु लंबी होती है।
इसके अलावा जिन लोगों को लाख कोशिशों के बावजूद भी सफलता नहीं मिलती है उन्हें घर की उत्तर दिशा में सूखी हल्दी से स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए। इससे उनके कार्यों में तेजी आती है। गुजरात में स्वास्तिक को घर के बाहर बनाने को लेकर मान्यता है कि इससे उनके घर में अन्न, वस्त्र और वैभव की कोई कमी नहीं रहती है। ऐसे जातक जिनके बच्चों का पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगता है, उन्हें एक कागज पर रोली चन्दन से स्वास्तिक का निशान बना कर और साथ में उसी कागज पर सरस्वती मंत्र लिख कर बच्चों के पढ़ाई वाले कमरे में रख देना चाहिए। इससे बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लाग्ने लगता है।
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