ज्योतिष में नवग्रहों का विशेष महत्व बताया गया है। नवग्रहों में एक है सूर्य ग्रह जिसका ज्योतिष में विशेष महत्व बताया जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य को देवता का स्थान दिया गया है और ऐसे में सूर्य देवता की उपासना का भी विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को पिता का कारक माना जाता है। सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में हो तो ऐसा व्यक्ति समाज में मान सम्मान हासिल करता है, और साथ ही अच्छी नौकरी और प्रशासनिक पद पर विराजित होता है।
वहीं जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में नहीं होता उन्हें तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में स्वाभाविक है हर इंसान यही चाहता है कि, सूर्य ग्रह की कृपा उसके जीवन पर हमेशा बनी रहे। सूर्य ग्रह की कृपा अपने जीवन में हमेशा बनाए रखने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय सूर्य देवता को प्रतिदिन अर्पित करना बताया जाता है। ऐसे में बहुत से लोग नियमित रूप से सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। तो आइये अब यह जानते हैं कि सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के क्या कुछ नियम होते हैं जिनका पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए।
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इस आर्टिकल में जानते हैं सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करने के क्या नियम होते हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में सूर्य देवता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के नियम
- सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से व्यक्ति को जीवन में आरोग्यता और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में यदि आप सूर्य को अर्घ्य देने जा रहे हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सूर्योदय के एक घंटे के भीतर ही आप सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित कर दें।
- सूर्य देवता को अर्पित किए जाने वाले जल में एक चुटकी रोली या चंदन अवश्य मिलाएं। कभी भी सादे जल से सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित ना करें।
- इसके अलावा अर्घ्य देने वाले जल में लाल रंग का फूल भी अवश्य शामिल करें।
- इसके अलावा एक विशेष बात का ध्यान रखें कि जब आप सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करें तो इस बात को सुनिश्चित करें कि वह जल लेकर किसी नाली में ना जाए। ऐसे में सलाह दी जाती है कि जब भी सूर्य देवता को जल अर्पित करें सबसे पहले यह ध्यान में रखें कि आप एक साफ-सुथरी या मैदान जैसी जगह पर सूर्य देवता को अर्पित करें। मुमकिन हो तो सूर्य देवता को अर्घ्य किसी बगीचे या ऐसे स्थान पर दें जहां से जल लेकर कहीं और ना जाए बल्कि मिट्टी में है समा जाए।
- इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते समय आपका मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर हो। कभी बदरी हो या जिस दिन आप को सूर्य नजर ना भी आ रहा हो तो भी आपको इसी दिशा में मुख करके जल अर्पित करने की सलाह दी जाती है।
- इसके अलावा मुमकिन हो तो सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते समय नीचे दिए जा रहे मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप अवश्य करें। मन्त्रों का जप यदि स्पष्ट उच्चारण पूर्वक और श्रद्धा से किया जाए तो ही फलदायी होता है। ऐसे में यदि आप ऐसा कर पाए तो ही मंत्रों का जाप करें अन्यथा केवल श्रद्धा भक्ति से ही अर्घ्य अर्पित कर दें उससे भी आप को शुभ परिणाम हासिल होगा।
मंत्र: तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।
हंसो भगवाञ्छुचिरूप: अप्रतिरूप:।
विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं ज्योतीरूपं तपन्तम्।
सहस्त्ररश्मि: शतधा वर्तमान: पुर: प्रजानामुदत्येष सूर्य:।
ऊँ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्याक्षितेजसे हो वाहिनि वाहिनि स्वाहेति।
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